*600 जिस ने आपा मारा।।600।।

                            
                             600
जिस ने आपा मारा, वो सद्गुरु सन्त कहावै।।
    सच्चे मालिक के रहे आश्रय, दुविधा दूर भगावै।
    ओरां को ऊंचा समझे,अपने को नींच बतावै।।
जब तक मेर तेर नहीं छूटे, यूँ ए लोग हँसावै।
अपना खोट बाहर नहीं कीन्हा, ओरां ने समझावै।।
   घर घर के मा गुरु बने हैं, ऊंचा आसन लावै।
   निर्धन तैं कोय बात करे ना, संगत तैं न्यारा खावै।।
सबका ब्रह्म एक सा जानै,  वो सन्मार्ग जावै।
सकल भरमना छोड़ जगत की, एक गुरु गुण गावै।। 

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