*634 सुनाऊं तनै ब्रह्म ज्ञान को।।634।।

                               
                             634
सुनाऊँ तनै ब्रह्म ज्ञान को लटको जी।।
    पहली धारणा करो सत्संग की गुरू चरणों में रडको।
    मान गुमान तजो, मत राखो अभिमान को पटको।।
दूजी धारणा करो नाम की, ज्यूँ चढ़ै बांस पे नटको।
पाप कर्म थारे सब जल जावै, फूटै पाप को मटको
   तीजी धारणा चेतन रहना, पाओ ज्ञान को गुटको।
   ऐसी सुरत लाओ नाम पे, मिट जाए सब खटको।।
चौथी धारणा करो सेवा की, माया देख मत अटको।
कह कबीर सुनो भई साधो, सीधा शब्द में सटको।। 

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