*358 हम हैं सत्य नाम व्यापारी।। 152

                           151
हम हैं सत्य नाम व्यापारी, प्रेम नगर म्हारो गाम।
          कोय ले लो रे, ले लो हरि का नाम।।
प्रेम नगर से हम चल आए, सौदा सत्तनाम का लाए।
           सत्तनाम है सार जगत में, कोड़ी लगे न दाम।।
बाट तराजू कुछ ना भाई, तोल मौल में एबी नाहीं।
          हम तो सौदा सत्त का लाए, ना तोलन का काम।।
तूँ पाँचा से प्रीत न कीजे, निर्भय नाम गुरू का लीजे।
         सुगरा हो तो भर भर पीवै, ना नुगरां का काम।।
सत्तनाम का भरा खजाना, पावेगा कोय चतुर सुजाना।
        कह हरिदास ये रटना हमारी,
                    निशदिन आठों याम।। 

Comments

Popular posts from this blog

*165. तेरा कुंज गली में भगवान।। 65

*432 हे री ठगनी कैसा खेल रचाया।।185।।

*106. गुरु बिन कौन सहाई नरक में गुरु बिन कौन सहाई 35