*365 समझ सौदा कर चालो रै।। 154
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समझ सौदा कर चालो रे, तेरा जन्म बिहुना यूँ ए जा।।
काया नगर में पीठ लाग रही,
प्रेम विषयहींन कर चालो रे।।
उठ जागी पीठ सौदा हाथ न आवै,
मन की या मन मे रह जाए रे।।
तन की कुंडी सुरत का साबुन,
दिल की काई ने धो चसलो रे।।
कथगी कमाली कबीरा थारी बाली,
शब्द किनारे लग चालो रे।।
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