*370 सौदा कर चल रे भाई।। 156
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सौदा कर चल रे भाई, यहाँ तूँ राम नाम सत्त का।।
हाथी घोड़ा रथ पालकी, ये सौदा उर लाई।
राम नाम के प्रेम भजन से, जन्म-२ सुख पाई।।
इस सौदे को चौकस रखना, धाड़ यमों की आई।
गुरू का ज्ञान खड्ग ले कर में, निर्भय हो के जाइ।।
शबर शील हथियार बड़ा है, सत्त की ढाल बनाई।
ये जंग जब जीतेगा, तूँ जीवत ही मर जाइ। ।
इस सौदे के ग्राहक हैं थोड़े, सूरे सन्त सिपाही।
इस सौदे को वे जन लेंगे, तज दें मान बड़ाई।।
इस सौदे में बड़ा नफा है, देते सभी गवाही।
कह कबीर सुनो भई साधो, फिर मौसम ना पाई।।
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