*376 गठरी में लागे तेरै चोर।। 158
158
गठरी में लागे तेरै चोर, मुसाफिर के सोवै।।
पाँच पच्चीस ओर तीन चोर हैं,
सब ने मचा दिया शोर।।
जाग सवेरा बाट सवेरा,
फेर ना लागैं तेरै चोर।।
भँवसागर एक नदी बहत है,
गुरू बिन उतरा ना कोय।।
कह कबीर सुनो भई साधो,
छोड़ो जगत की डोर।।
Comments
Post a Comment