*865 मेरी तेरी तेरी मेरी करके।।407।।2।।

                              
                             407
मेरी तेरी-२ करके खो दइ, उम्र सारी रे।
       लोभी मन नहीं विचारी रे। कंगले मन।।
नो दस मास गर्भ में खेला, माता थारी रे।
बाहर आन के भूल गया तूँ, सुद्ध बुद्ध सारी रे।।
    बालापन में गोद खिलाया, बहना थारी रे।
    शादी हो गई त्रिया आई, लगी हर से प्यारी रे।।
कोढ़ी कोढ़ी माया जोड़ी, बना हज़ारी रे। 
अंत समय में रीता चाल्या, बना भिखारी रे।।
   रुक गए कण्ठ दसों दरवाजे, माची घ्यारी रे।
   कह कबीर सुनो भई साधो, करनी थारी रे।।

Comments

Popular posts from this blog

*165. तेरा कुंज गली में भगवान।। 65

*432 हे री ठगनी कैसा खेल रचाया।।185।।

*106. गुरु बिन कौन सहाई नरक में गुरु बिन कौन सहाई 35