*893 मन रहना हुशियार।।415।

                                    
                                 415
मन रहना होशियार, एक दिन चोर सिपाही आवैगा
   तीर तंवर तलवार न बर्छी, नहीं बन्दूक चलावैगा।
   आवत जात लखै ना कोई, घर में द्वंद्व मचावैगा।।
ना गढ़ तोड़ै ना गढ़ फोडें, ना वो रूप दिखावैगा।
नगर से कोई काम नहीं है, तुझे पकड़ ले जावैगा।।
  नहीं फ़रयाद सुनेगा तेरी,न कोई तुझे बचावैगा।
  कुल कुटुंब परिवार घनेरा, एक काम नहीं आवैगा।।
धन संपत्ति महल अटारी, छोड़ सकल तूँ जावैगा। 
खोजे खोज मिले न तेरी, खोजी खोज न पावैगा।।
   है कोई ऐसा शब्द विवेकी, गुरू गुण आए सुनावैगा।
   कह कबीर सोवै सो खोवै, जागेगा सो पावैगा।।


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