*905 मन मेरा हो, हो चल।।418।।

मन मेरा हो हो चल परम फकीर।।
काम क्रोध मद लोभ मोह की पैरों पड़ी जंजीर।।
पांच तत्व का बना पुतला संग ना चले शरीर।।
भाई बंधु कुटुंब कबीला कोई ना बंधावे धीर।।
कह कबीर सुनो भाई साधो उस दिन की तदबीर।। 

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