*937 देख तेरे ही मन मन्दिर में।।429।।

                              

देख तेरे ही मन मन्दिर में, बसा हुआ भगवान।                                               अरे तूँ कर उसकी पहचान।।


है घट घट में बास उसी का, सूरज में प्रकाश उसी का।
जीवन में है साथ उसीका, सबके सिर पर हाथ उसीका।
          भूल उसे क्यों भटक रहा है,
                             डगर डगर इंसान।।


चेत अरे माया के अंधे, डाल रहा यम सिर पर फंदे।
हरि चरणों में आजा बन्दे, तज दे जग के गोरखधंधे। 
             हो जाएगी राम नाम ले,
                           सब मुश्किल आसान।।


अबतो आवागमन मिटाले, मानव जीवन सफल बनालें।
ज्ञान गंग में आज न्हा ले, ब्रह्म जोत में जोत जलाले।
              कह सेवक तूँ गुरू कृपा से,
                        पावै पद निर्वाण।।

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