*1547 अजपा जाप जपो भाई हंसा, सांसों की कर लो माला जी।।
अज़पा जाप जपो भाई हंसा, साँसा की कर लो माला जी।।
हाथ सुमरनी तेरे बगल कतरनी, यो के रच रहा चाला जी।
मुंह बा के भूले भक्त कहावे, साहब का मुंह काला जी।।
मन का मनिया तूं फेर बावले, हो जागा ढंग निराला जी।
गांठ खोल हीरा ना रे परखा, इस विद हुआ सै दिवाला जी।।
बिन सतगुरु ताली नहीं लागे, खुले ना भरम का ताला जी।
इतने ना दरसे सच्चा रे साईं, हो नहीं घट उजियाला जी।।
यो मेरा बेटा रे या मेरी बेटी, हुआ सरस मतवाला जी।
कहे कबीर सुनो भाई साधु, संतों का देश निराला जी।।
Comments
Post a Comment