1535 हंसा गहो शब्द टकसार, अमर घर खोजियो भाई।।
हंसा गहों शब्द टकसार, अमर घर खोजियो भाई।।
भवसागर की धार में बहा जाए संसार।
संत तमाशा देखते, वे गुरु भज उतरे पार।।
सुरा रण में जाए के किसकी देखें बाट।
आगे को पग धरे चाहे आप कटे चाहे दे काट।।
अलल पंख का जतला वह छुट के करें विचार।
सूरत बांध चेतन हुआ वो जाए मिला परिवार।।
अलल पंख आवे नहीं रे सुत अपने को लेन।
उलट समाना देख ले रे यह संतों की सैन।।
हरी सा हीरा छोड़के, करें और की आश।
वे नर यमपुर जाएंगे रे, सत्य भाखे रविदास।।
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