*644 कैसे मिलूं मैं पिया संग जाए मिलना तो कठिन है जी।।644।।
644
कैसे मिलूं मैं पिया संग जाए मिलना तो कठिन है जी।।झीना रास्ता मुश्किल चढ़ना मुझसे चढ़ा ना जाए।
औघट घाट बाट रपटीली पांव नहीं ठहराए।।
लोक लाज कुल की मर्यादा मुझसे सही ना जाए।
घर में पिया परदेश बराबर देखे बिन रहा ना जाए।।
आशा तृष्णा जाग बावली गगन मंडल चढ जाए।
गम से दूर अगम से आगे सूरत झकोलें खाए।।
रामानंद गुरु पूरे मिल गए मार्ग दिया बताएं।
कह कबीर सुनो भाई साधो सीधा अमरापुर जाए।।
Comments
Post a Comment