*651 अगम गवन कैसे करूं।।651।।
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अगम गवन कैसे करूं हेली, बिन पायन का पंथ है री हेली।पांच तत्व गुण तीन सै री हेली, पूर्ण ब्रह्म एकांत।
बाट घाट सूझे नही री हेली, निपट विकट वह पंथ।
रजनी माया मोह की री हेली, ता में मद महमंत।।
उलझी जन्म अनेक की री हेली, देह मध्य विश्रंत।
लागी विषय विकार से री हेली, कुछ नही भाव भगवंत।।
मार्ग नदियां बहे री हेली, लख चौरासी धार।
कर्म भंवर का में फिरे री हेली, कहां उतरे वो पार।।
साध संगर हेरा करो री हेली, गुरु के शब्द विचार।
प्रेम उमंग के रंग में री हेली, उतरत लगे न वार।।
पारधिया का भेष है री हेली, बारह मास बसंत।
परम योग आनंद में री हेली, स्वामी गुमानी संत।।
चलो सखी इस देश को री, जहां बसे गुरुदेव।
नित्यानंद आनंद में री हेली, परसो अलख अभेव।।
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