*640 जिनके ज्ञान हुआ था।।640।।

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जिनके ज्ञान हुआ था, छोड़ चले राजधानी।।
ज्ञान हुआ था गोपीचंद कै, बात मात की मानी।
सत्त के कारण राज छोड़ दिया, छोड़ी तख्त निशानी।।
ज्ञान हुआ था मोरध्वज के, सुन ऋषियों की वाणी।
अपने हाथां लड़का चीरा, ले के करोत कमानी।।
ज्ञान हुआ था हरिश्चन्द्र के, सुन ऋषियों की वाणी।
सत्त के कारण तीनों बिक गए, लड़का राजा रानी।।
ज्ञान हुआ था प्रह्लाद भक्त के, रहा सन्तों के साहमी।
कह कबीर सुनो भई साधो, नहीं किसी से छानी।। 

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