** 144 तेरा जोगन आला भेष हे मीरा नाचे दिन रात।। 10मार्च।।

तेरा जोगन आला भेष हे मीरा नाचे दिन रात।।
तन के ऊपर भस्म रमाई, श्याम के संग में प्रीत लगाई।
                       तने कर दिया खड़ा क्लेश हे मीरा।।
धरती पर तैं जान ने हो रही, पत्थर मे क्यों श्याम ने टोह रही।
                      तेरे खुले पड़े रहे केश हे मीरा।।
कद लग बैठी रहेगी कंवारी, राणा गैल कर जान की त्यारी।
                    उड़े ब्रह्मा विष्णु महेश हे मीरा।।
रोज रोज क्यों हमने बहकावे, तेरा श्याम ना कभी भी आवे।
                    म्हारे दिल पे लागे ठेस हे मीरा।।
गुरु मिला तने बड़ा छबीला, देखा कार्तिक जगा का झमेला।
                  चली गुरु के देश हे मीरा।।

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