*35 गुरु चरण कमल बलिहारी रे।। 20मार्च।।

गुरु चरण कमल बलिहारी रे, मेरे मन की दुविधा टारी रे।।
भव सागर में नीर अपारा, डूब रहा नहीं मिले किनारा।
                      पल में लिया उभारी रे।।
काम क्रोध मद लोभ लुटेरे, जनम जनम के बैरी मेरे।
                        सब को दीन्हा मारी रे।।
द्वैत भाव सब दूर कराया,  पूर्ण ब्रह्म एक दर्शाया।
                         घट घट जोत निहारी रे।।
जोग जुगत गुरुदेव बताई, ब्रह्मानंद शांति मन आई।
                          मानुष देह सुधारी रे।।

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