** नाम में भेद है साधो भाई।।

नाम में भेद है साधो भाई।

जो मैं जानूं सच्चा देवा, खट्टा मीठा खाई।
मांग पानी अपने से पीवे, अब मोरे मन भाई।।

ठुक ठुक के गढ़े ठठेरा, बार बार ताव भाई।
वा मूर्त के रहो भरोसे, पिछला धर्म नसाई।।

ना हम पूजी देवी देवता, ना हम फूल चढाई।
ना हम मूर्त धरी सिंहासन, ना हम खंड बजाई।।

कांसी में जो प्राण त्यागे, सो पत्थर भये भाई।
कह कबीर सुनो भई साधो, भरमे जन फंकवाई 


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