** भजन बिन तीनों पन बिगड़े।।

भजन बिन तीनों पन बिगड़े।।
चेतो रे नर जीवन थोड़ा, काल करे झगड़े।।

बालपना खेलन में खोयो, तरूणाई देहें।
वृद्ध भयो जब काल ग्रासे, अंधा होय निबड़े।।

मन भुजंग माया को मातो, बोलत है करड़े।
जब ही हंसा करत पयाना, माटी होय पड़े।।

मानुष देह धरे काहे को, पशु न भया कहू रे।
कह कबीर सुनो भई साधो, संत ही ध्यान धरे।।

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