*811 जगत को कठपुतली का खेल, खिलाया मायाधारी ने।।

जगत को कठपुतली का खेल।।
                         खिलाया मायाधारी ने।।
एक पर्दे में नाच नचावे, बिन पैसे के खेल दिखावे।
                        करता कोन्या धक्का पेल।।
रूप धार रंग मंच पर आते, अपना अपना रोल निभान।
                        सबकी रखे से पकड़ नकेल।।
किसे ने राजा किसे ने भिखारी, दस बेटे कोय बांझ है नारी।
                        बना दी घरवासा या जेल।।
किसी के धन के ढेर लगाए, कोय हांडे से कटोरा ठाए।
                       कुछ भी जान देवे ना गैल।।
जब यो खेल खत्म है करता, मांगेराम फिर पर्दा है गिरता।
                         बड़ा को मायावती से मेल।।


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