*180 सखी री मैं तो आई पिया के देश।। 15मार्च।।

सखी री मैं तो आई पिया के देश।
दर्शन करके प्रसन्न हो गई नारायण प्रवेश।।

टहल बजाऊं सेज सजाऊ धरू सरहाने वेश।
बैठ प्रेम से पंखा झोलू सेवा करूं हमेश।।

उठत बैठत सांझ सवेरा, वहां पे आवे आनंद घनेरा।
मेरे पिया का ऐसा चेहरा, लगता है ज्यों दरवेश।।

वहां पर अनहद बाजा बाजे बैठी सिहासन सतगुरु साजे।
वहां पर झिलमिल चमके लागे चांद सूरज परवेश।।

कहे मीरा पिया की लगन में, लहरें उठ खुशीसे मन मे।
भैंस चराऊं पिया के संग में, कट जा कर्म क्लेश।।

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