** मन तूं मान शब्द उपदेशा।।
मन तूं मान शब्द उपदेशा।।
सार शब्द ओ गुरु मुख वाणी, ता को कहो संदेशा।।
जाहि तत्व को मुनिवर खोजें, ब्रह्मादिक सो ज्ञानी।
सोई तत्व गुरु चरणन लागे, भक्ति हेतु कर प्राणी।।
कथ में दया दीनता आवे, हंसी मिथ्या ज्ञानी।
आत्म चिन्ह परात्म जाने, रहे सदा अनुरागी।।
शब्द प्रतीति शब्द कसौटी, निश दिन विरह वीरानी।
जहां लो अर्थ तहां लो पूछे, जहां लागी तहां लागी।।
कह कबीर ये तत्व जो बुझे माने सीख हमारी।
काल विकाल वहां नहीं व्यापे, सदा करो रखवारी।।
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