आत्मज्ञान।Enlightenment
गौतम बुद्ध उस समय के हर मशहूर गुरु के पास गए। उनकी बोद्धिक क्षमता और ज्ञान पाने की लालसा इतनी तीव्र थीं कि जो चीज समझने में बाकी लोगों को वर्षों लग जाते थे। वे कुछ हफ्तों में ही सीख लेते थे। समाधि की आठ अवस्थाएँ होती हैं। गौतम ने उन सभी अवस्थाओं को प्राप्त कर लिया था। मगर फिर भी वो जानते थे कि यह जीवन की सम्पूर्णता नहीं है। उनके अंदर अब भी ज्ञान पाने की तीव्र इच्छा थी। जब सारे उपाय बेकार हो गए तो उन्होंने अंतिम मार्ग का सहारा लिया। जिसे समाना कहते हैं। समाना साधक जीवन के मूलभूत पहलुओं में से एक ये है कि वे कभी भोजन नहीं मांगते। बस चलते रहते हैं, चलते रहते हैं। गौतम ने इस मार्ग को इतनी कठोरता से अपनाया कि वो उस दिशा में नहीं जाते थे। जहां भोजन मिलने की सम्भावना होती थीं। वे बस सीधा चलते थे। इस प्रक्रिया में उन्होंने अपने शरीर को इतना नष्ट कर लिया कि वो इतने कमजोर हो गए कि वो बस हड्डियों का ढांचा बन कर रह गए। वो कभी भोजन की तलाश में नहीं जाते थे। उन्हें जब भोजन दिया जाता था तभी खाते थे। एक दिन वो निरंजना नदी के तट पर पहुंचे। जो दो फुट गहरी एक छोटी सी धारा थीं। और उसका परव
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