*1170 चरखे आली कर ले तयारी आ जागा लानिहार।। 25जून।।
चरखे आली कर ले तयारी आ जागा लानिहार।
नाट तूं सकती ना।।
जब तेरा चरखा नया-नया था प्रेम पिया से करा नहीं।
मोह माया में फंसी रही फिर भी पेटा भरा नहीं।
इब काम ना आवे माया, ना तेरा परिवार।
जब तेरा चरखा हुआ पुराना, और लालची होगी तूं।
अहंकार की ओढ चादर, तान के न सोगी तूं।
पांच ढाल के बैरी सै तेरे, डोब गए मझधार।।
इब चरखे के पुर्जे खिंडगे तेरी मर्ज़ी तें चाले ना।
कब तक दीवा बलेगा इसमें, तेल भजन का घाले ना।
नहीं राम का नहीं काम का, तेरा चरखा हुआ बेकार।।
ईब कमल सिंह इस चरखे की,राख बनेगी दो मुट्ठी।
कितना काता कैसा काता, चले गवाही ना झूठी।
फोटो रह जा चरखे का बस, देखेगा संसार।।
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