*310 कर नैनों में दीदार महल में प्यारा है।। 7अप्रैल ।।
कर नैनो में दीदार, महल में प्यारा है।।
उलट नागनी गगन संवारे, शट चक्र की शुद्ध विचारे।
मेरुदंड के बीच में, ये पवन दोधारा है।।
इंगला पिंगला हो कर भायली, सुषमना से ध्यान लगावे।
त्रिवेणी के घाट में हो, चलो भव से पारा है।।
गगन मंडल में अमि बरसे, शूरा होय सो भर भर पीवे।
नुगरा नुगरा जावे प्यासा हो, जिनका घट अंधियारा है।।
सोहम शब्द हृदय में धारी, कह कबीर सतगुरु लेवे तारी।
खुला भर्म किवाड़ हमारा हो, अनहद की झंकारा है।।
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