**828 आया था मुट्ठी भींच रे जागा हाथ पसार।। 25अप्रैल।।

आया था मुट्ठी भींच रे जागा हाथ पसारे।।

पांच तत्व का पुतलाजी, 
                जावेंगे पांचोंपाट रे सब न्यारे न्यारे।।
मन कपटी की मत मानियो रे, 
               इस की लंबी पाँख, कहीं भी उड़ जाए रे।।
जीव अमानत राम की जी,
                सैं गिनती के सांस रे ना मिले उधारे।।
इड़ा पिंगला सुषमणा नाड़ी जी।
                 नो दरवाजे जाएंगे टूट रे, बड़े बूढ़े ने गाए।।
धर्म चंद अभिमान न करना जी।
                  एक कुल्हड़ी में घले हाड़ रे तेरे तन के सारे।।

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