*250 कैसे मिलूं पिया अपने को।। 24मार्च।।

कैसे मिलूं पिया अपने को।।
पिया बिसर मेरी शुद्धबुद्ध बिसरी, व्यथाबढ़ी तन अपने को।।
भवन न भावे विरह सतावे, क्या करिए जग सपने को।।
दिखे देह नेह नहीं छूटे, ले रही माला जपने को।।
वन वन ढूंढत फिरूँ दीवानी, ठोर न पाई छिपने को।।
नित्यानंद महबूब गुमानी, को समझावे नपने को।।

Comments

Popular posts from this blog

आत्मज्ञान।Enlightenment

*167. तेरा कुंज गली में भगवान।। 66

*78. सतगुरु जी महाराज मो पर साईं रंग डाला।।27