नई कबीर भजन सूची।।

        ऐसी भूल दुनिया के अंदर।। 
        और व्यापार तो बड़े हैं।।
         क्या ग़र्ज पड़ी संसार में जब लिया फकीरी बाणा।।
         क्या बैठा हंस उदास।।
        क्या भूला दीवाने।।
        क्यों भटके बाहर क्यों भटके।।
       कठिन सांवरे की प्रीत।।
       कोई आवे है कोई जावे है।।
       तूं चेत प्यारे अपने आप को चेत।।
       भरम जाल में जगत फंसा है।।
       मन का धोखा भागा रे भाई।।
         त्रिकुटी में झांक सुरता।।
       हो तेरे कोना बस का रोग।।
        हरि बिन कौन सहाई मन का।।
        हरि बिना ना सरे री माई।।
विनती।।
1 काहे की भेंट चढ़ाऊ गुरु थारे।।1।।
2 किस पर  मैं जां तुमने तो छोड़ दाता जी।।2।।
3 एक नाम लग जाऊं गुरुजी थारे।।3।।
4 सतगुरु अपने के सम्मुख रहना।।3।।
5 नमो नमो हमारे गुरुदेव को।।4।।
6 सारे तीरथ धाम आपके चरणों में।।5।।
7 गुरु मिल गए पुरमपुरा।।189।।
8 गुरुजी थारी महिमा न्यारी है।।6।।
9 म्हारे गुरु के चरण की धूल मस्तक लग रही।।7।।
10 गुरु के समान नहीं दाता रे जग में।।8।।
 11 गुरु के समान नहीं दूसरा जहां में।।9।।
12 गुरु के समान दाता और ना जहां में।।10।।
13 गुरु के समान दाता कोई नहीं रे जग मांगन हारा।।11।।
14 मैं थारे चरण का दास सतगुरु मेरे आप  धनी।।12।।
15 मोको कहां ढूंढे रे बंदे मैं हूं तेरे पास में।।13।।
16 तू ही तू ही याद मुझे आवे रे दर्द में।।14।।
17 भाई कर गुरुओं से प्यार।।15।।
18 गुरु भजा सोई जीता जग में।।16।।
        19 ऐसी गुरु मूरत की बलिहारी।।
20 गुरु के चरण में धरो ध्यान।।17।।
21आया मैं थारी शरणा।।18।।
22 अब कोई गुरु चरण चित लावे।।19।।
23 गुरुजी औड़ निभाइयों।।20।।
24 गुरु सुनियो अर्थ हमारी।।21।।
25तुम सुनियो दयाल हमारी अर्जी।। 22।।
26हमारा दाता अपने ही उर में पाया।।23।।
27मेरा कोई न सहारा बिन तेरे।। 24।।
28हमने गुरुजी मिलन को घणों चाव।। 25।।
29वंदे सतगुरु सतगुरु बोल तेरा क्या लागे है मोल।।26।।
30अन घड़ियां देवा कौन करेगा थारी सेवा।। 27।।
31अनगढ़ की रे साधो।।28।।
32गुरु हमको पार लगाओ जी।।29।।
33गुरु कर दो बेड़ा पार।। 30।।
34गुरु कर दो बेड़ा पार।।31।।
35गुरु का शरना ले भाई।।32।।
36गुरु का नाम रटो भाई।।33।।
37गुरु का नाम समर भाई।।33
38मेरे बिछड़ गए दिलदार।।34।।
39गुरु चरण लागा रहे सोई सयाना।।35।।
40अब की बार उबारियो मेरी अर्जी।।35।।
41गुरु जी मैं शरण तुम्हारी आयो।।36।।
42गुरुजी हमने अवगुण बहुत किए।।36।।
43गुरु हमारे ने दिन्हि है ज्ञान जड़ी।।37।।
44गुरु चरण कमल बलिहारी मेरे मन की दुविधा।।38।।
45गुरु वचनों को रखना संभाल के।।39।।
46गुरु ने झीनी वस्तु लखाई।।40।।
47सतगुरु मैं तेरी पतंग।।71।।
48सतगुरु मैं तेरी पतंग।।41।।
49भला हे दिन उगया।।42।।
50आज म्हारे रंग बरसे।।43।।
51आज म्हारे सतगुरु को घर लाऊं।।
52आज तो आनंद हमारे सतगुरु आए।।44।।
53आज हमारे सतगुरु को घर लाऊं।।45।।
54सतनाम सतनाम बोल जय करुणाकर।।46।।
55आनंद के लुटें ख़जाने।।47।।
56ले गुरु का नाम बंदे।।48।।
57नाम लखा दिजो थारे चरण लागूं।।49।।
58नाम की जड़ी रे हरि नाम की जड़ी।।50।।
59तेरा जन्म मरण मिट जाए।।51।।
60गुरुदेव दया करके।। 52।।
61बंदे सतगुरु सतगुरु बोल।।53।।
62मुझ पर दया करो महाराज।।54।।
63आज हमारे गुरुजी काआवन होगा।।55।।
64बरसेगा बरसेगा तुम करो गुरु से प्यार।।56।।
65चाहे भूल जाए यह सारा जमाना।।57।।
66पाया है अब पाया है म्हारे सतगुरु।।58।।
67मेरे सतगुरु पकड़ी बाह नहीं त मैं।।59।।
68लागा रह  प्रेमी मेरे भाई रे।।60।।
69काहे दूर जाए बंदे ईश्वर तेरे पास में।।61।।
70दाता तुमने काज बनाय जी सबन के।।62।।
71तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना।।64
72नजरों से देख प्यारे मैं हूं तेरे पास में।।65।।
73देखो रे भाई अपने स्वामी का नूर।।66।।
74मेरी गुरु बिन लगती ना अखियां।।67।।
75सतगुरु तेरे चरणों की धूल जो मिल जाए।।68।।
76कोई गावे गुरु की महिमा सार।।69।।
77जन्म लिया ना लिया।।70।।
78मिलते नहीं है भगवान गुरु के बिना।।71।।
79नजरों से देख प्यार वह क्या दिखा रहा है।।72।।
80सतगुरु पूज्य भाई नहीं पत्थर से लाभ।।72।।
81तेरी बिगड़ी बात बन जाए हरि गुण गाने से।।72।।
82अब जाना है अब जाना है।।73।।
83अब पाया है अब पाया है।।74।।
84गुरु चरणों से प्रीत ना जोड़ी।।75।।
85सतगुरु बिन घोर अंधेरा।।76।।
86कोई जाने जानन हारा, साधो गुरु बिन घोर।।76।।
87गुरु बिन घोर अधेरा।।77।
88सतगुरु जी महाराज मोपे साइ रंग डाला।।78।।
89गुरु बिन तेरा कौन सहाई है।।79।।
90गुरु बिन धक्के खाओगे।।80।।
91गुरु बिना मुक्ति ना होएगी।।81।।
92गुरु बिन मुक्तिना चाहे करले यतन हजार।।82।।
93गुरु बिना ज्ञान नहीं मुक्ति कैसे।।83।।
94गुरु बिन ज्ञान ना पाओगे साधु भाई।।83।।
95गुरु बिन कौन बतावे बात।।84।।
96सतगुरु के बिना मार्ग कौन बतावे।।85।।
97सतगुरु के बिना कौन तेरा हीमाती।86।।
98सतगुरु के बिना कौन रास्ता खोलें।।87।।
99सतगुरु के बिना भर्म मिटावे ना कोई।।88।।
100सतगुरु के बिना राह ना पावे कोई।। 89।।
101ज़ीसने उभारों आप धनी कौन मारने वाला।।89।।
102जन को दीनता जब आवे।।89।।
103गुरु थारे बिना बिगड़ी ने कौन सवारे।।90।।
104ज्ञान बिना मनुष्य बने हैं ढोर।।91।।
105भजन बिना विरथा ही ऊंट बड़े।।92।।
106भजन बिना फिरें जा लाख चौरासी।।93।।
      पता नहीं किस वेश में आकर नारायण मिल जाएगा।।
107भजन बिन कोई ना जागे रे।।94।।
108यतन बिना मृगा ने खेत उजाड़ा।।95।।
109गरज बिना कोई नहीं रे प्यारा।।96।।
110खसम बिना तेली का बैल भया।।97।।
111सतगुरु के बिना कटते ना कर्म क्लेश।।98।।
112बंदे हरि का गुण नहीं गाया 98।।
113गुरु बिन विपद हरे कौन भाई।।99। 
114ऐसे गुरु मूर्ति की बलिहारी।।100।।
115रे मन मृगा खेत चरे।।101।।
116अब मैं क्या करूं मेरे भाई।।100।।
117दया सिंधु दातार दया करो मेरी।।103।।
118भजन बिना विरथा जन्म गयो।।104।।
119भजन बिना भव जल कौन तरे।।105।।
120गुरु बिन कौन सहाई नरक में।।106।।
121ऐसे हैं लोलीन सतगुरु ऐसे हैं।।107।।
122अब की बार उबारियो।।108।।
123कदम उठाय पांव धर आगे।।108।।
124गुरु बिन कौन मिटावे भव दुख।।108।।
125सदा शरण रखो गुरुदेव।।108।।
126चल रे बंदे संत शरण में।।108।।
127लगे रहना लगे रहना सतगुरुके भजन में।।108।।
128राम तेरी रचना अचरज भारी।।109।।
129पायो जी मैंने राम रतन धन।।109।।
130इश्क करे तो कर हरि से।।110।।
131हरि नाम का सुमिरन कर ले क्यों राह में।।111।।
132एक हरि के नाम बिना प्रलय में धक्के खा।।112।।
133थे ऊपर ने पैर तले ने सिर तेरा।।113।।
134कर हरि नाम की कमाई बंदे।।114।।
135आजा बंदे शरण राम की।।115।।
136तने हरि नाम ना ध्याया और।।116।।
137भज ले हरि को एक दिन तो है जाना।।117।।
138भजन कर राम दुहाई रे।।118।।
139आया था नर भजन करन को।।119।।
140बीत गए दिन भजन बिना रे।।119।।
141मलिक सुन ले मेरी पकार।।119।।
142मजा लूट लिया रे बंदे गुरु बंदगी क।।119।।
143राम नाम अनमोल रे इस मिट्टी में ना रोल रे 119।।
144मारे जागे पूर्वले भाग री पिया।।119।।
145बरसे बदरिया सावन की।।119।।
146रमैया में तो तारे रंग राति।।119।।
147आज मोहे लागे वृंदावन निको।।119।।
148मैं तो सांवरे के रंग राची।।119।।
149पिया का हो दीदार सखी मैं कैसे पाऊं री।।119।।
150मेरो मन राम ही राम रटे।।119।।
151दूर नगरी बड़ी दूर नगरी।।119।।
152अब तो निभाया सरेगी।।119।।
153ऐसा ऐसा ख्याल विचारों भाई साधु।।120।।
154आज मोहे वृंदावन लागे नीको।।120।।
155छोड़ मत जइयो जी महाराज।।121।।
156सुनी थी हमने गुरु आवन की आवाज।।121।।
157तूं तो सै मैली सी नार।।122।।
158गुरु के बिना सुना म्हारा देश।।123।।
159मंदिर जाती मीरा ने सांवरिया मिल गया रे।।124।।
160चांदी की दीवार को तोड़ा।। 125।।
161आली रे मेरे नैना बान पड़ी।।126।।
162कब आओगे गुरुजी हमारे देश ।।126।।
163इसी फिक्र में मेरा हुई रे बावली ।।127।।
164मेरा हुआ गुरु से प्यार बधाई बाटूंगी ।।128।।
165बसो मेरे नैनन में नंदलाल।। 128।।
166पपिहा बैरी रे,पिया पिया मत बोल।।129।।
167मने गुरु मिले रविदास सासरे ना जाएंगी।।130।।
168मेरे सतगुरु चेतन कर मेरा मन।। 131।।
169मतवाली मीरा सत्संग करती डोले।। 132।।
170मेरी वृंदावन ससुराल ।।133।।
171कठिन सांवरे की प्रीत।।134।।
172गले में माला बनी भगतनी।।135।।
173काला काला नाग हे मीरा।।136।।
174सैंया जी मैं लूट ली वैराग्य ने जी।।137।।
175तुम हमारी भी बनाईयो महाराज ।।138।।
176तुम पलक उघड़ो दीनानाथ।। 139।।
177कोई कहींऐ रे गुरु आवन की।।140।।
178कर सोलह सिंगार गुरु के देश जाऊंगी।।141।।
179गुरु की लाडली है तू क्यों ना प्रेम बढ़ाओ ।।142।।
180मीरा बैरागन हो गई रे बाली उमर में ।।143।।
**    सखी री मैं तो आई पिया के देश।।
181मेरा जोगन बन गई रे श्याम तेरी मस्ती में ।।144।।
182राणा जी तेरे महलों में आग लगे ।।145।।
183मेरा दीवानी हो गई रे मीरा मस्तानी।।146।।
184वे देहीया चेतन कर मेरा मन मोह लिया।। 147।।
185तूने खबर नहीं ससुराल की, पीहर में उम्र ग़म ।।148।।
186पिया चलो नगरिया हमारी रे ।।148।।
187नहीं बाबा थारा देश की रंग रूड़ा।।148।।
188कोई कुछ भी कहे मन लगा।।149।।
189माई रे मैंने लिया रमैया मोल ।।150।।
190मेरा मन बैरागी हुआ री मेरी मां।। 151।।
191हरी मेरे जीवन प्राण आधार।।152।।
192मेरा दर्द न जाने कोई।। 152।।
193मेरे सर पर मटकी पाप की ।।153।।
194फागुन के दिन चार होली खेल मना।। 153।।
195बाजा बाजा री मा अनहद तूरा।। 154।।
196यार मेरा याद कर दिन रात ।।155।।
197मीरा तेरी हो गई उम्र जवान छोड़ दे इकतारने।। 156।।
198छोड़ो न मीरा,तुम गिरधर गोपाल।।156।।
199सतगुरु थारी अटरिया में देवला।। 156।।
200आई सत्संग में जीत आई जंग में।।157।।
201हे मीरा हम हो जाएंगे बदनाम फिर मत जाइए।।157।।
202तेरा ले के नाम रहूंगी ।।158।।
203मैं तो चली गुरु के द्वार छोड़ राणा तेरी।।159।।
204घर कुनबे का ख्याल रहा ना ।।160।।
205मैं जानूं नाही पिया से मिलन कब होय।।160।।
206मैं थारी रंग राशि हो सवरिया।।161।।
207सखी री म्हारे जागे पूर्व वाले भाग।।162।।
208मेरे सतगुरु काट जंजीर।। 163।।
209मेरी बात समझ में आई है की बुद्धि की बात।।164।।
210मेरी लगती ना गुरु बिन अखियां।।164।।
211काते सूत हजारी मीरा नाम।।164।।
212श्याम की मीरा दीवानी हो गई ।।164।।
213कभी-गई ना गुरु के डेरे में।।165।।
214सुनो सखी री अनहद नाद बजे।।166।।
215सतगुरु तुमसे कह रही हूं।। 166।।
216तेरा कुंज गली में भगवान।।167।।
217सखी री पड़ी अंध के कूप ।।167।।
218सजनी अब क्यों देर लगावे।।168।।
219सजनी घाट के परदे  खोल।।168।।
220सजनी नयन निहार नजारा।।168।।
221बाहर ढूंढन जा मत सजनी।।169।।
222जगा ले सजनी बना सोवे है।।169।।
223तेरा मंदिर मेला हे, जिसमें राम कहां से।।170।। 
224इसको जगाने सजनी बना सोए हैं अटारी।। 171।।
225कभी आप के कभी पति के।।172।।
226तू तो फंसी काल के जाल।। 174।।
227पी पी मतना बोल पपिहा रे।। 175।।
228विरह पपीया बोलन लागा बात करें।।175
229सखी हे रही पीहर में घूम।।176।।
230सखी री मैं कर सतगुरु का भेष।। 177।।
231चलो चलो सखी अब जाना पिया भेज दिया।। 178।।
232हे सखी जाना है ससुराल मोह छोड़ दिए।।179।।
233म्हारे सतगुरु दीन दयाल हे सखी।।180।।
234तूं झीनी मार्ग जाइए हो।।181।।
235हुई मेहर गुरु की मरने लगा परिवार।।182।।
236सजनी अब क्यों देर लगावे।।183।।
237मन का मरने लगा परिवार।।185।।
238दिखा दे यार अब मखड़ा।।186।।
239घुंघट के पट खोल रे।।188।।
240मेरे मालिक बिना दर्द कलेजे होय।।187।।
241मैं ना लड़ी मेरा पिया डिगर गया जी।।189।।
242गुरु मिल गए पुरमपूरा।।189।।
243हृदय बीच हरि है साधु।।190।।
244ओ भोले पंछी देख जरा।।190।।
245गुमानी गोविंदा थारे चरण कमल पे वारी।।191।।
246लागी थारे पाया राम लीजो म्हारी बंदगी।।192।।
247तन मन शीश ईश अपने को।।193।।
248नमो निरंजन नमो निरंजन नमो निरं स्वामी।। 194।।
249मेरे हिवरे में बस गए राम ।।195।।
250पिया क्यों ना ली हो खबरिया हमारी।।196।।
**    कैसे मिलूं पिया अपने को 
251प्यास दर्श की लग रही।। 197
253तेरो दोज़ख मिटाले 198।।
254म्हारे प्रेम संदेशी गुरु आए।।199।।
255हरि प्रीतम से प्रीत लगाकर।। 200।।
256नर जनम अमोलक खोया रे।। 201।।
257प्रभु जी दीजो दर्श सुखारा।। 202।।
258सुख के सागर प्यारे।। 203।।
259हो विदेशी प्यारे मेरी अखियां देखें बाट।।204।।
260मेरे मन बस गया री।। 205।।
261कदम उठा पांव धर आगे।। 206।।
262कैसे हो हरि मेला।।207।।
263मस्ताना मस्ताना कोई जन पावे।। 208।।
264क्यों कर मिलूं पिया अपने को।। 209।।
265समर्थ साहब दया करो गुरु मेरा।।210।।
266नित्यानंद छक रहे नूर में।।211।।
267हरि हर भज ले बरंबार।। 212।।
268दर्शन सदा राम मोहे दीजिए।।213।।
269दिल दे दिया सतगुरु प्यारे नू।। 214।।
270राम भजन की बरिया।।215।।
271हरि भज हर भज हीरा परख ले।।216।।
272तू बदले हरि का नाम तेरे काम आएगा।।217।।
273तेरी बिगड़ी बात बन जाए।।218।।
274जप ले हरी का नाम वक्त गवाई न 219।।
275भजन बंदगी कर सतगुरु की।।220।।
276भजन बंदगी कर सतगुरु की।।221।।
277भजन बंदगी कर सतगुरु की।।222।।
278एक हरि के नाम बिना।।223।।
279गुरु का नाम रटो भई।।224।।
280गुरु का शरना ले भाई।।225।।
281हरि के भजन कर ले दर्शेगा नूर।।226।।
282तेरा जीवन है बेकार भजन बिन दुनिया में।।227।।
283अखियां हरी दर्शन की प्यासी।।228।।
284हरिओम के भजन बिना।। 229।। 
285करो हरि का भजन मंजिल पार हो जाएगी।। 230।।
286राम नाम पूंजी पल्ली बांधो रे मन।। 231।।
287उस साहब ने याद कर।।232।।
288तू राम सुमर ले मंजिल दूर पड़ी।। 232।।
289राम सुमर राम तेरे काम आएगा।। 233।।
290भजन कर आराम दुहाई र।। 233।।
291उसे ईश्वर को याद कर जिसने सब सौंध।। 235।।
292कर भजन बंदगी बंदे।। 236।।
293तेरी किस्मत मारी रे राम नाम लगे खारा।। 237।।
294भजन करो भाई रे ऐसा तन पाय के ।।238।।
295भज ले राधा स्वामी तेरे काम आएगा।। 239।।
296टुकर भजन भगवान का इंसान बावले।। 240।।
297राम नाम का सुमिरन कर ले आगे आड़ो।।241।।
298अब कैसे छूटे राम धुन लागी।।242।।
299राम गुण गाया नहीं आय करके 243।।
300राम कहो आराम मिलेगा।। 244।।
301कभी किया ना भजनवा कैसे बीतेगी।। 245।।
302कभी किया ना भजनवा।।246।।
303भजन के बिना रे बंदे तेरे बैल है लदनिया 247।।
304 भाई तु राम नाम चित धरता।। 248।।
305दीनदयाल भरोसे तेरे।।449।।
306मीठा है अविनाशी रामधन मीठा है।।249।।
307हरि भजन बिना सुख नहीं रे।। 250।।
308हरि तेरो अजब निरालो काम।।251।।
309मैं तो प्रभु तुम चरणों का दास।।252।।
        310बंदे हरि का गुण नहीं गया तूने व्यर जन्म 254।।
311रट ले हरि का नाम रे बेरी।।255।।
312किस विद हरि गुण गाउं।।256।।
313नाम हरि का जप ले बंदे फिर पीछे।। 257।।
314मेरा रह गया राम मिटा रगड़ा।।258।।
315हर में हरी को दिखा।। 259।।
316नजर भर देख ले मुझको।।260।।
317नजर भर देख ले मुझको।।261।।
318ईश्वर से करते जाना प्यार ।।262।।
319मुझे है काम ईश्वर से।।263।।
320बंदे रट ईश्वर की माला।। 264।।
321तेरे द्वार खड़ा भगवान।।265।।
322मेरे मन बस गयो रे नटवर नदलाल।।266।।
323ईश्वर तेरे दरबार की महिमा अपार है।।267।।
324अब तुम दया करो महादेव जी।।268।।
325सोहन सोहन बोलो साधु।। 268।।
326संगति कर ले गुरुदेव की।।269।।
327भाई साधन कर ले पड़े भजन में सीर 270।।
328बुढ़ली सिमरन कर ले 271।।
329अवसर बहुत भला रे भाई।।272।।
330ऐसा अवसर बार-बार नहीं आवे।। 273।।
331मत अवसर खोवे हे।। 274।।
332सुमिरन में सुख भारी अब देखा हमने।।274।।
333तेरा दांव लगा है खूब।। 275।।
334सतनाम का तू सुमिरन कर ले।।276।।
335कर ले सुमिरन घड़ियां चार।। 277।।
336मैं तो इस विधि सुमिरन कीना 278।।
337वह सुमिरन एक न्यारा।। 279।।
         338फिर तुम कब सुमरोगे नाम।। 280।।
339नाम का सुमिरन करके देखो।।281।।
340राधा स्वामी नाम सुमर मन मेरा।।282।।
341सत्संगी जग सारा।।282।।
342मैं सत्संगी सब का संगी।।282।।
      343 सत्संग गंगा की धार में मलमल नहाई है 282।।
344सत्संग गंग की धार में कोई नहावेगा।।283।।
345सत्संग करते बहुत दिन बीते।।284।।
       346भाग्य बड़े सत संत पधारे।।285।।
347सत्संग नाम की गंगा है कोई नहाए चतुर सुज।।286।।
348सत्संग में आकर पापी पर हो जाते।।287।।
349गुरु दरिया में नहाना रे मन दूर नहीं जाना 287।।
350सत्संग करने से बहुत घने हुए पार।।288।।
351सत्संग साथिरत कोई नहीं।।289।।
352भाई सत्संग हो रहा सत्य गुरु के दरबार।।290।।
353भाग्यवान घर होवे साधु का सत्संग।।291।।
354भाग्यवान घर होवे सतगुरु के दर्शन।।292।।
355तन मन के मीठे विकार जिसने पाया सत्संग।।293।।
356सत्संग वह गंगा है इसमें जो नहाते हैं 294।।
357लागे ना सत्संग प्यार बहन कर्मों का मारा।।295।।
358देखी अजब निराली महिमा सत्संग की।। 296।।
359ला के फुर्सत दो घड़ी।।297।।
360मेरे मिट गए सभी विकार मैंने यह फ़ल पाया।।298।।
361म्हारी आओ बहन सत्संग में।।299।।
362मैं सत्संग के में जाऊंगी ढंग देख लसंसार का।।300।।
363आई सत्संग में जीत लिया जंग में।।301।।
364तू सत्संग करता रहिए रे।।302।।
365सतसंगत जग सार।।303।।
366सतसंगत एक अमर जड़ी है।।304।।
367बिन सत्संग के मेरे नहीं दिल को करारी है 305।।
368अगर है प्रेम दर्शन का।।308।।
369सतगुरु दर्शन दो चित चोर।।307।।
370अगर है प्रेम दर्शन का।।306।।
371मैं दर्शन की प्यासी गुरुजी।।308।।
372जिस दिन गुरूजी तेरा दर्शन होगा।।309।।
373तेरा में दीदार दीवाना।।310।।
374दर्श बिन दुखन लागे नयन।। 311।।
375गुरुजी दर्शन की प्यास घनेरी।।312।
376दर्श देख दिल में छीका।।313।।
377दिला दे भीख दर्शन की।।314।।
378दर्श बिन जीयरा तरसे रे।।315।।
379हरि दर्शन की प्यासी रे।।316।।
380दर्शन दियो जी दीदार।। 316।।
381बंदे सुकरम कर ले ना।।316।।
382दर्शन दीजे नाम सनेही 316।।
383अमल निज नाम का।।317।।
384साधु हम अमली निज नाम के।।318।।
385कोई होवे अमली सतगुरु के नाम का।।319।।
386नाम से मिला ना कोई।।320।।
       387अब कैसे प्रेम निभा में।।321।।
388अविनाशी अविनाशी माने तो तेरे नाम का।।321।।
389दौड़ सब मेटी है रे।। 322।।
390तनिक न तोड़ा जाए नाता नाम का।। 323।।
391कभी ना मैला हो नाम धन।।324।।
392कर दो नाम दीवाना गुरुजी।।325।।
393तेरे नाम पर आशिक हो गए।।326।।
394नाम निरंजन निकों।।327।।
395नाम गुरु का जप ले बंदे।।328।।
396नाम सुमर ले सुकृत कर ले।।329।।
397नाम लखा दियों थारे पाया लगू।। 330।।
398पीले नाम का प्याला चाहना अग्नि।।331।।
399नाम निरंजन गांव साधु।। 332।।
400करले नाम की कमाई योगिजन।।333।।
401अंदर अनमोला रे लाल।।333।।
402इस सत्संग रूपी लाल की।।334।।
403म्हारे गुरु ने दी है बता दलाली करयो।। 335।।
404तेरा किसने लाल चुराया।। 336।।
405अपने कर्म की गति।।336।।
406भाई तेरा ओला रतन अमोला।।337।।
407पाया रे पाया सत्संग में मोती पाया।।337।।
       408मैं पापन रही सोती।।338।।
409मोतिया बरसे रे साधु।।339।।
410जन्म तेरा हीरा है आज तुम ऐसे गंवाए।।340।।
411तने मिला यौ हीरा कीमती।।341।।
412मेरा हीरा हीरा गया कचरा में।।342।।
413मृगा नाभि में कस्तूरी।।343।।
414मैंने पायल नगीना सतगुरु मिल गया पूरा।।344।।
415अपने हाथों फाँसी घाले।।345।।
416मेरी नजर में मोती आया है।।346।।
417तेरी गुदडी में हीरा जड़ा।। 347।।
418सतगुरु खोजो री प्यारी।।348।।
419समझ नर हीरा जन्म मत खोए।। 348।।
420तूने मेरा साथ जन्म कमाया भजन बिना।।348।।
421हमारा कोई मित्र ना बैरी।।349।।
422दुनिया में तेरा कोई ना मित्र प्यारा।। 350।।
423बैरी तेरा कोई नहीं है।।351।।
424प्रभु तुम सच्चे मन के मिता।।352।।
425हरि सच्चे दिल के मीता 353।।
426नहीं रे कोई धुर का मिता।। 354।।
427अरे दीवाने बंदे कौन है तेरा साथी।।355।।
428जिव तेरा जग में कौन निभाती।। 355।।
429मित्र तेरा कोई नहीं संगीयन में।।356।।
430तुम कर ले गुरु वकील।।357।।
431तू कर ले एक वकील मुकदमा।।358।।
432मुकदमा हो गया रे तुम कर लो एक वकील।।359।।
433ढूंढा नहीं वकील मुकदमा हारेगा।।359।।
434राम नाम तत्सार सौदा कर चल रे भाई।।360।।
       435ये सौदाफिर नहीं रे संतो।।360।।
436सौदा कर सो जाने रे।।360।।
437हम हैं सत्य नाम व्यापारी।।361।।
438चल सतगुरु की हॉट सौदा महंगा है।।362।।
439कोई सौदा ले लो खुली है धर्म की हाट।।363।।
440हम सत्य नाम व्यापारी साधो।।364।।
441कोई आन करो व्यापार।।365।।
442भाई तु स्याना कोन्या गेर लिया।।366।।
443आया था नफा कमांवन।।367।।
444हम से बड़ा कौन परिवारी।।368।।
445समझ सौदा कर चालों रे।।370।।
446तेरा मेला लगा बाजार।।371।।
447ऐसी ताली रे लगाए चाला जा।।373।।
448अजब है यह दुनिया दस्तूर।।374।।
449साधो भाई सतगुरु है व्यापारी।।375।।
450सौदा कर चल रे भाई।।376।।
451हटड़ी छोड़ चला बंजारा।।377।।
452गठरी ३कित भुला रे।।378।।
453के बांध गांठरी लाया।।379।।
454मत बांधो गठरिया अपयश की।।380।।
455गठरी छोड़ चला बंजारा।।381।।
456गठरी में लगे तेरे चोर।।382।।
457ये सौदा सत भाय करो।।382।।
458अब कोई खेतिया मन लावे।।382।।
459चिड़िया चुग गई खेत।।384।।
460तेरा चिड़िया ने चुग लिया खेत।।385।।
461तेरा चिड़िया ने खा लिया खेत।।386।।
462खेती भली कमाई साधु।।387।।
463गुरुजी दे दो आशीर्वाद खेती हम भी।।388।।
464राम नाम धन खेती हमारी।।388।।
465अब मैं क्या करूं गुरु साइ।।389।।
466तू तो गफलत में सो गया रखवाला।।390।।
467रे सुन बुलधा वाले।। 391।।
468बंजारन अखियां खोल।।392।।
469हे बंजारन तेरा छोड़ चला बंजारा।।393।।
470मनोज कैसे किया रे मेरे लालो के व्यापारी।। 394।।
471टांडा तो तेरा लद जाएगा।। 395।।
472टांडा लाद चला बंजारा।।396।।
473राम भजे अरे सुमिरन कर लो।। 397।।
474तेरी काया में गुलजार।। 397।।
475मैं बंजारन नाम की।।397।।
476नर खेती कर निज नाम की।।397।।
477ये सौदा फिर नहीं रे संतो।।397।।
478सुन सुन री बंजारे मीत।।397।।
479यह जग रोगीया रे।। 398।।
480सारा जग रोगीया रे।। 399।।
481कोई रोगी ले लो भाई।। 400।।
482कोई रोगी रोग कटा लियो।।401।।
483नब्ज या वेज क्या देखें।। 402।।
484गुरु मेरा वैद्य है जी।।403।।
485मेरा सतगुरु वेद सियाना।।404।।
486तेरा जन्म मरण कटे रोग दवाई पी ले।।405।।
487ले लो रे नाम दवाई।।406।।
488यो हे तो मैंने ले जाएगा।।407।।
489दूर धाम से चलकर यह मौज उतर के आई 408।।
490वैद्य मर्म का पा गया है।। 409।।
491हो तेरे कोना बस का रोग।।410।।
492गुरु नाम की दवाई जिसने खाई।। 411।।
493दर्द ने चूंट खाई री, मां मेरे कई जन्म का रोग।। 412।।
494पी ले में भाई पी ले न ।।413।।
495पीले पीले रे मन नाम की जोड़ी।। 414।।
496थारी काया रहे अलमस्त।। 415।।
497नाम की जड़ी रे हरि नाम की जड़ी।।416।।
498बूटी गुरु ने पिलाई मेनू होश ना रही।।417।।
499ये मानुष देही बार-बार नहीं आवे।।418।।
500नर तेरी काया रतन अमोल।।418।।
501हरि रस बूटी पीले हो जाएगा अमर शरीर।।419।।
502जा के पीने से अमर हो जाए हरि रस।।420।।
503पीले प्याला हो मतवाला।।421।।
504रस टपके अमी बरसे साधु।।422।।
505हरि रस ऐसा रे पिया से अमर हो जाए।।423।।
506है कोई रसिया महल का।।424।।
507कोई पीवे रे रस राम नाम का।।425।।
508राम नाम रस पीजे मनवा।।425।।
509क्यों करता तू ठगी बदी।। 425।।
510धीरा रे मन धीर पाया नाम पदारत हीरा।।426।।
511गुरु के बिना कौन बांधावे हमारी धीर।।427।।
512धीरज क्यों ना धर रे लोभी मन।।428।।
513धीरज क्यों ना धरे कंगले मन429।।
514कैसे सखी री मनवा धीर धरे।।429।।
515लाडो मेंढकी है तू तो पानी में की रानी।।430।।
516ठगियों की नगरी फंस गया।।431।।
517बाबा भाग बिलैया झपटी।। 432।।
518यह मोह माया का जाल सौदा घाटे का।।433।।
519एक दिन पड़ेगा सबको ही जाना।।434।।
520दुख पावेगा बंदे, मोह के जाल में घिर के।।435।।
521माया महा ठगनी हम जानी।।436।।
522हे तु पांच ठगो ने ठगली।।437।।
523हे री ठगनी यह कैसा खेल रचाया।। 438।।
524हे माया ठगनी हे तूने लूट लिया जग सारा।। 440।।
525री तूं नाटे मतना गैल चाल मेरी माया।।425।।
526नाना रूप धर मोहे, या माया ठगनी।। 441।।
527माया है रंग बादली।। 442।।
528ठगिनी क्यों नैना घमकावे तेरे हाथ।। 443।।
529इस मोह माया की धार में कोई बिरला  तरेगा।। 444।।
530इस माया ठगनी ने लूट लिया मेरे राम।।445।।
531तने सुमरा न हरि नाम इस मोह  के चक्कर में।।446।।
532माया को मजूर  बंदों।।447।।
533तेरे जीवन के दिन चार मत फंसे माया में।।448।।
534जिसकी लेकर आई पूंजी।।449।।
535क्यों काया भटकावे माया।।450।।
536डर लगे और हांसी आवे अजब जमाना।।451।।
       537 तेरी माया है अपरंपार सतगुरु तेरा भेद।।452।।
538ऐसी करी गुरुदेव दया मेरे मोह का बंधन।।453।।
539संग चले सोई धन है साधु।।454।।
540तुमने माया रे बटोरी हरि नाम ना लिया।।455।।
541माया मोहिनी रूप धरे मोहलिया संसार।। 456।।
542हट जाओ माया पापनी साहब ने रटवा दे।। 457।।
543के के रूप धर माया ने।। 457।।
544माया ठगनी है देख लिए तेरे ठाठ।।458।।
545मोह माया की नगरी को छोड़ के।।458।।
546किस किसको नाच नचा गई रे माया कचिरैया।। 458।।
547महामाया ने छोड़ क्रोध ने तज रे।।459।।
548बना है तू पुतला मोह जाल का।।459।।
549ममता तू ना गई मेरे मन से।।460।।
550यह कैसी अद्भुत माया सब जग चुन खाया।।461।।
551जीत देखो उत माया बैठी।। 462।।
552करके माया का सहयोग लोग सब।।463।।
553अरे तू दुनिया में आया जब से करी मनमानी।।464।।
554तू चाली जाए मार्ग अपने को।।465।।
555अरे बंदे क्यों नारायण को भूला।।466।।
556या माया जोर जमाव रे।। 467।।
557तने तो मेरा पिया मोर लिया है।।468।।
558तूने तो मेरा पिया मोह लिया है।।469।।
559क्यों बना है पुतला मोह जाल का 470।।
560नर चेत गुमानी माया न संग चले।।471।।
561नाथ तेरी माया जाल बिछाया।।472।।
562घूम रही है माया ठगनी ठग लेगी गठरिया रे।।472।।
563यह माया कमा कमा धर ली।।473।।
564यह माया देवी बहुत कठिन है राम।।473।।
565यह माया रूपी कुकरिया।।473।।
566जोड़ जोड़ धर ले जितना बस जोड़ जाएगा।।474।।
567बताइए बाबा कुतीया बैर पड़ी।। 474।।
568बताइए गुरुजी कुटिया बैर पड़ी।।474।।
569ले जोड़ नाम की माया।।475।।
570एक दिन ऐसा आएगा।। 475।।
571एक दिन ऐसा आएगा।।476।।
572हाय हाय यह माया जोड़ी।।477।।
573भगवान तेरी माया कोई समझ ना पाया है।।477।।
574संग ना तेरे माल खजाना जाएगा।।478।।
575कर ले जतन हजार सॉन्ग तेरे कुछ ना जाएगा।।479।।
576अरे तूं दुनिया में आया।।480।।
577तेरा जीवन तो जुए का खेल है।।481।।
578ये जग जग तासन का खेल।। 482।।
579यह जगतासन का तेल समझ के।।482।।
580खेल समझ के खेलन लागी।।483।।
581ताश तुम खेलो रे भाई।। 484। 
582होली के खेल में गुमान न कीजिए।।485।।
583मन में सोच विचार खेल तुम खेलो।।486।।
584खेल तेरे दो दिन के सारे।।486।।
585गुरु ने बीन बजाई साधु मेरा मन पकड़ा।। 487।।
586ऐसी कौन सप्रेरण आई।। 488।।
587पानी में मीन प्यासी।।489।।
588धोबीया जल बिन मारे पियासा।।489।।
**।   धोबिया मेरा मेल छुड़ा दे।।
589मैं प्यासा पपीया हूं।।491।।
590सतगुरु ने मारा तीर री मेरे पास निकल गया।।492।।
591मेरे लग गए बाण सुरंगी हो।।493।।
592मेरे सतगुरु ने दे दिया मौका।।495।।
593बाण हरि का लगा है।।496।।
594म्हारे प्रेम वीरहै के बाद लगेंगे किसी हरिके।।497।।
595तुम्हारे सतगुरु ने मारा बाद मर्म में।। 496।।
596बाण मेरे मारा है सतगुरु खेल सामान।।499।।
597रे संकट में साधु हिरनी हरिराम।।500।।
598हिरणी हरि ने टेरन  लगी।। 501।।
599रव हिरनी है मालिक कैसी मुसीबत आई है।।502।।
600हमारे बदले बचाले भगवान हिरनी  अर्ज करें।।502।।
601मुसाफिर क्या सोवे अब जाग।।504।।
602डगर है मुश्किल कठिन सफर है।।504।।
603तू निद्रा बैरन हमारी है।।504।।
604मन मूर्ख अखियां खोल वक्त तेरा जागन का 505।।
605सोने वाले जाग जा संसार मुसाफिरखाना है।। 506।।
606गई जवानी बीत रहा तो सोता ह506।।
607क्यों सोवे नींद भर्म की।।508।।
608भतेरा सो लिया रे।। 509।।
609जाग जा मुसाफिर प्यार सोवे।। 510।।
610साइ के नाम बिना नहीं निस्तार।।511।।
611निद्रा बेच दूं कोई ले तो।।512।।
612नींदरिया तोह बेच आऊं।। 513।।
613वह घर जाईए है निद्रा।। 514।।
614सब दिन धंधे में खोया।।415।।
615सब सोंवें नगरिया के लोग 516।।
616हे मैं नींद भरम की सोऊं।। 517।।
617आशिक होना फिर सोना भी क्या।।518।।
618मुसाफिर सोवे क्यों पांव पसार 519।।
619उठ जाग सवेरा हो गया।।520।।
620तूं दे निदरा ने त्याग वक्त तेरा जागरण का।।521।।
621जाग जा मुसाफिर घना सोवे मत ना।।522।।
622दीवाने जाग जा रे।।523।।
623कैसे सोया रे मुसाफिर आए नींद घनी।। 524।।
624क्या सोवे सुमिरन की बरिया।।525।।547।।
625जाग रे नर जाग दीवाना।।526।।
626कौन वक्त सोवन की बड़ी।।527।।
627मुसाफिर जागते रहना नगर में कर आते हैं।।528।।
628संतो जागो नींद ना कीजिए।।529।।
629जागो जागो रे मुसाफिर उठकर करो तैयारी।।530।।
630क्या सोवे सुख नींद में बंदे।।531।।
         631 इब तलक ना चेत किया।।532।।
632चौरासी की नींद से।। 533।।
     633क्यों सोया तू जाग दीवाना।।534।।
634उठ जाग मुसाफिर भोर भई।।535।।
635जाग जाग नर जाग सवेरा।। 536।।
          636जाग प्यारी अब क्या सोवे 537।।
637सोने वाले उठ जाग रे तेरी गांठ कटे है।।538।।
638गाड़ी नींद ना सोवे आगे पंथ दुहेला।।539।।
639जाग रे नर जाग प्यारे, अब तो।। 540।।
640नींद से अब जाग बंदे ।।541।।
641जाग रे मुसाफिर ज्यादा सोना ठीक नहीं।।542।।
642जब प्यारी अब क्या सोवे।। 543।।
643क्यों पर सोया उठ जाग रे।।544।।
644सोता क्यों है जाग मुसाफिर दूर बहुत जाना है।।545।।
645देख प्यारे मैं समझाऊं 546।।
646जाग मुसाफिर क्या सुख सोवे।।548।।
647मत सोना मुसाफिर नींद भरी।।549।।
648क्यों सोता पैर पसार के।।550।।
649यहां जम की चले हकवाई खबरदार।। 551।।
650बटेऊ तेरा परदेसी क्यों सोवे सुख नींद।।552।।
651तेरे लागे रे सत्संग बाग।।552।।
652उजड़ा लखीना तेरा बाग।।553।।
653क्या कर लेगा माली।।552।।
654चली जा रही है उमर धीरे धीरे।।554।।
655चली चली रे उमर बीत चली रे।।555।।
656तेरी ग़ई उमरिया बीत राम नाम गुण गा।।556।।
657करो हरि का भजन प्यारे।।557।।
           658उमरिया बीती जाई तने राम।।558।।
659उमरिया बीती जाए रे।।559।।
660उमरिया बीताए दई राम नहीं जना।। 560।।
661बंदे बीती उमरिया।।561।।
662तेरी बीत उमरिया जाएगी रे।।562।।
663राम सुमर राम उमर बीत जाएगी।।563।।
664राम रट ले रे तू प्राणी।। 564।।
665सब उम्र बीत गई धोखे में।।565।।
666तेरी बीती जाए उमरिया हरि नाम बिना।। 566।।
667मेरी तेरी करके खो गई उम्र सारी रे।।567।।
668कदे लिया ना हरि का नाम।।568।।
669तू भज ले सतनाम उमर रही थोड़ी।। 569।।
670यह दुनिया जाए कयाम नहीं कुछ रोज में।।570।।
671उमरिया धोखा दे गई रे।।570।।
672जीवन का भरोसा नहीं कब मौत आ जाएगी 571।।
673करियो सहाय दीनानाथ 571।।
674पछतायेगा पछताएगा फिर बेला हाथ नहीं।। 571।।
675काल में जगत अजब भरमाया में  करूं बखान 572।।
     676 साधु काल में सब जग खाया 573।।
677साधु काल में जाल फैलाया 574।।
678कफील कैसे रे तेरे सिर पर गर्जे काल।। 575।।
679सब लिए काल ने डंस रे।।576।।
680छम छम करता आवेगा समय कल का घोड़ा 577।।
681नाम हरि का जप ले बंदे 578।।
682गुरु नाम को रट ले बंदे 579।।
683मत रोके काल हरामी।।580।।
684मैं काले ने खाली री 581।।
685पछताएगा रे बंदे पछताएगा।। 582।।
686सोच समझ के चल रे काल तुझे खाएगा।।583।।
687राम नाम से तूने बंदे क्यों अपना मुख मोडा 584।।
       688यह बीता समय अनमोल फिर नहीं आए 585।।
689कॉल गति बलवान साधु।।586।।
690नर चेत ले बुढ़ापा आएगा 587।।
691बुढ़ापा तेरी कोई ना पूछेगा बात 588।।
692सखी री मैं दे दूं झुकता तोल 589।।
693मैंने अब के बचा ले मेरी मां 590।।
694भोली बुढ़िया के आए लनिहार 591।।
695भोली बुढ़िया हे तूं रटे क्यों ना।। 592।।
696तूने धर्मराज के जाना ना कुकर्म कर बंदे 593।।
697संदेश आ गया यम का 594।।
698कदे जन्म में कदे मरण में।।594।।
699यम से बचना चाह कर सतगुरु से प्यार 595।।
700जाना पड़े जरूर बंदे तू राही यमपुर का 596।।
701नर तू बचना चाह यम से 597।।
702हरि के घर से आगे बुलावा पड़े जरूरी जाना 598।।
703रे दिल गफलत मत कर एक दिन यम आएगा 599।।
704तमाशा थोड़े से दिन का 600।।
705भजनगढ़ बांध ले रे 601।।
706जिस ने वचन सुन साहब के 602।।
707समान सो वर्ष का 603।।
708नाशवान की आस में सज दिए अविनाशी 604।।
709यमराज कहे दंडधारी 605।।
710लाखों सिर दे राखे अब तक 606।।
711बंधन काटीयो मुरारी मेरे यम के 607।।
712आवागमन मिटावे सतगुरु।।608।।
713एक दिन जाना पड़े जरूर।।608।।
714आशाओं का हुआ खात्मा।।609।।
715दो दिन का है तेरा सवेरे जाना है 610।।
716चार दिनों की चमक चांदनी 611।।
717अरे तूं दो दिन का मेहमान।।611।।
718एक दिन जलेगी तेरी काया आग में।।612।।
719एक दिन घोगड़ आसी रे।।613।।
720तोड़ चलेगा जग से नाता।। 614।।
721सब खड़े देखते रह जाएंगे 615।।
722दम निकले पीछे घड़ी ना रखें कोई 616।।
723भाई अंत समय में कामना आवे तेरा रोना 617।।
724हमको उड़ावे चदरिया चलती बेरिया 618।।
725बाजा अंत समय का बाजा 619।।
726नर धोखे धोखे लुट गए आ गई अंत घड़ी 620।।
727एक बार जीवत मर ले रे 621।।
728बंदे चलेगा तेरा कोई ना बहाना 622।।
729एक दिन तो चलना होगा ।।623।।
730जाना पड़े जरूर एक दिन 624।।
       731कौन मरा और किसने रोवे 624।।
732जियरा जाओगे हम जानी।।624।।
733कर लेना सामान मुसाफिर 625।।
734समान सो वर्ष का 627।।
735तूने जाना होगा रे सारी दुनिया छोड़ के 628।।
736एक दिन जाना पड़े जरूर।।628।।
737एक दिन जाना पड़े जरूर।। 628।।d 
738मैं तो माड़ी हो गई राम 629।।
739मैं तो हार गई मेरे राम।। 631।।
740सासुरी ताना मारे 630।।
741सारी उमर गई धंधे में 632।।
742कोई लाख करे चतुराई कर्म का लेख मिटे  भाई 632।।
743कोई लाख करे चतुराई 632।।
744काहे सोच कर नर मन में 632।।
745धर्म कर्म दीए छोड़ 633।।
      746 कोई लाख करे चतुराई क लेख मिटे ना 634।।
747किया कर्म तेरे आगे आवे 635।।
748अपने कर्म की गति में क्या जानू बाबा री 635।।
749करें तो शुभ कर्म कर ले 636।।
750सतगुरु पूरा जो मिले मीठे कर्म का लेखा 637।।
751यह कर्म की रेखा टाली ना टले।। 638।।
752शुभ कर्म कर सुख मिलेगा 639।।
753मानस बन के आया जग में 640।।
754सब खेल है कर्मों के कहां रावण 641।।
755मत बुरे कर्म कर बंदे 642।।
756कर्म तेरे अच्छे हैं तो किस्मत तेरी दासी है 642।।
757काहे बजाए शंख नगाड़े।।642।।
758हे भगवान तेरी माया का 643।।
759भगत के बस भगवान कहे मैं तेरे कही में 643।।
760हे भगवान पता ना पाता 644।।
761साहब तेरा भेद ना जाने कोई 645।।
762न जाने तेरा साहब कैसा है 640।।
763साहब साहब सब कहे साहब ढूंढे हर कोई 641।।
764सतगुरु तेरा कर ले बेरा 641।।
765झूठ बराबर पाप नहीं है 648।।
766वह घर कभी न जाना रे 648।।
767सुन लो चतुर सूजान निगुरे रहना।।648।।
768मेरे सतगुरु कट जजीर।।649।।
769हरे राम मुख बोल संकट कट जाएगा 650।।
770दुख में मत घबराना साथी 651।।
771दुख आया है बंदे 652।।
772कौन विधि जाओगे मियां मक्के 652।।
773नर तूने क्या पुराण पढ़ किन्हा 652।।
774किन संग करूं मैं लड़ाई 652।।
775काजी तूने कौन कतेब बखानी 652।।
776काजी तूने कौन कतेब बखानी 652।।२।।
777दुनिया खा रही धोखा साधो भाई 654।।
778धोखे में मुक्ति मानी 654।।
779विषयों में सुख नहीं मेरे भाई 654।।
780काम ने सब जग खाया रे साधु 654।।
781विषयों में फंसकर बंदे 655।।
782यह पांच बलि बलवान 656।।
783तूने वर्चा जिंदगी कोई है 557।।
        784मनवा रे तज विषयों का संग।। 658।।
         785अब तो तजौ नर रति विषयों की।।659।।
786बरज रही मैं इन विषयों से 660।।
787व्यापार की राह न्यारी 660।।
788नर काहे की तेरी आशिकी।।660।।
789धत्त तेरा दरबार निरंजन 661।।
790पंडित बाद बदे सो झूठ 661।।
791दो जगदीश कहां से आया 661।।
792एक दिन ऐसा कलयुग आवे 661।।
793लिए काट जिसे बो के आया 661।।
794लिए भोग जिसे करके चाल्या 662।।



795भरम जाल में जगत फंसा है 663।।
796जीवड़ा दो दिन का मेहमान।। 663।।
797तूं चेत प्यारे अपने आप को चेत।। 663।।
798बार-बार नहीं आए रे जन्म तेरा 663।।
799अपना मानुष जन्म सुधार।।664
800तेरी जन्म जन्म की कट जाए बेड़ी 665।।
801वंदे हरि का गुण नहीं गया तूने  जन्म गवाया 666।।
802यह मनुष्य जन्म हर बार ना मिलेगा 667।।
803करना हो तो कर ले साधु 668।।
804सीखा करो भाई गम खाने की बात 669।।
805जी करके भतेरा देख लिया 670।।
806कदे जन्म में कदे मरण में।।671।।
807नर जन्म अमोलख खोया रे 672।।
808तूने नहीं आपका चिन्ह रे 672।।
809भंवरे मिलकर मौज उड़ा ले 672।।
810जीवन यह अनमोल रे तूने यूं ही गुजर 673।।
811जीवन है अनमोल इसके दाग लगाइए ना 675।।
812अनमोल तेरा जीवन यूं ही गवा रहा है 676।।
813ऐसी भूल दुनिया के अंदर 677।।
814लगाई गुरु पीर से बाजी 678।।
815हरि नाम समर सुख धाम जगत में 678।।
816नहीं भरोसा कुछ भी बंदे 679।।
817जिंदगानी भूल में लुट गई 680।।
818जिंदगी सुधार बंदे यही तेरा काम है 681।।
819जगत में जीवन है दिन चार 682।।
820हरि भजले जन्म सुधर जाएगा 683।।
821खो दिया जन्म फिजूल हरि का सुमिरन कर 684।।
822यह जिंदगी धोखा दे जाएगी कर ले  हरि का 685।।
823जिंदगी की बड़ी प्यारी हर मत जाना 686।।
824यह जिंदगी एक किराए का घर है 687।।
825दो दिन की जिंदगानी रे परानी 688।।
826कीचड़ में क्यों सोया रे 689।।
827धन माया रंग रूप का ना करना अभियान 690।।
828अगत में मत ना बोबे शूल।।691।।
829गुरु वचन हिये में धार नहीं अकल काम आएगी 691।।
830नर काहे करे गुमान कोई ना अमर भयानिया में 692।।
831मत बोले पति के बीच कीमत घट जाएगी 694।।
832नर छोड़ दे कुब्ध कमान।। 695।।
833अपने को आप भूल कर।।696।।
834अभी मैं क्यों ना मरी।।696।।
835गर्व ना करो रे गवारा 697।।
836नन्हा सा हो के रहना रे जगत में 697।।
837अपनी आत्मा पहचान।।698।।
838क्या ने देख दीवाना हुआ रे।।699।।
839मैं नित्य कहूं समझाइए छोड़ दे मेरी मेरा रे 700।।
840सोच ले न कौन है तेरा 701।।
841तेरे जैसे बहुत घने मर गए 702।।
842करता क्यों इतना गुमान बंदे।।703।।
843नर कितनी कर चतुराई एक दिन 704।।
844भरा छल रग रग में तेरे बंदे 705।।
845पांच तत्वों का बना पुतला क्यों इतना अभिरें 706।।
846आसमान में उड़ने वाली ।।708।।
847आसमान में उड़ने वाले किसी का रहा।।708।।
848माटी में मिले माटी 709।।
849ओ प्राणी रे कितने दिन जीना।।710।।
       850मानव किसका अभियान करें दढ़ते उतरते 710।।
851बीत गई सो बात गई रे 711।।
852क्यों चाले टढ़ा-मेढ़ा712।।
853मुखड़ा क्या देखे दर्पण में 713।।
854अति कभी न करना।।714।।
855गंदी खोड अंधेरी तेरी रे 715।।
856नर कितने खप गए सिर बदनामी घर के 716।।
857होता क्यों ना गरीब रे।।717।।
858रे तूने तेरा कोना बात बिगड़ गई तेरी।। 718।।
859मत बीज विघ्न के बोबे।। 719।।
860छोटा सा बन के रहना जगत में ।।720।।
861छोटा सा ओके हार्ड ले गलियां 721।।
862इंसान जगत में आकर 722।।
863कुब्ध मेरी बैरन रोज लड़े।। 722।।
864कुब्ध ने छोड़ दे भाई।। 723।।
865दो दिन की जिंदगी इतरावे क्यों।। 724।।
866धन जोबन और काया नगर की 725।।
867झूठ फरेब को मन से हटकर 726।।
868भाई तेरी मैं रल जागी रेत में।। 727।।
869बंदे सोच समझ के चाल 728।।
870हरीबीन यहां नहीं कोई तेरा 729।।
871छुड़वाइयों मेरे सैयां लगे ये ऐब730।।
        872नर सुन री मूड गवारा राम भजन ततसारा।।
873रहना ना अमर शरीर 731।।
874तेरी काया नगर का कौन ढाणी 732।।
875मान जा ओ भूले राही मान जा 733।।
876तेरा सुना मनुष्य शरीर 734।।
877तेरा सुना मनुष्य शरीर 735।।
878म्हारे अवगुण भरे शरीर 736।।
879म्हारे अवगुण भरे शरीर 737।।
880म्हारे अवगुण भरे शरीर 738।।
881यह तन बालू जैसा डेरा 739।।
882नर कितनी कर चतुराई एक दिन 740।।
883तनु मंदिर अंदर खेले हैं खेल खिलाड़ी 741।।
      तन के अंदर देखा तुम्हारे 741।।
884कारीगर की चातरी कैसा खेल दिखाए 741।।
885तन खोजा मन पाया 742।।
886तन धर सुखिया कोई ना देखा 743।।
887कहां से आया कहां जाएगा 744।।
888थारी काया कमरती नाड़ी। 745।।
889मत प्रेम करो इस काया से 746।।
890या काया कुटी निराली 747।।
891किया हरि की नगरी है इस विद है 747।।
892काया नगर गढ़ भारी 748।।
893थारी काया नगरी में परदेसी पिया बोले 748।।
894ओ काया नगर गढ़ भारी 748।।
895तज दिए प्राण काया रे कैसे राई 749।।
896काया गढ़ के वासी।।749।।
897तेरी काया नगर का हीरा 750।।
898आज के युग में मानवता 751।।
899इस माटी के स्थूल का ।।752।।
900यहां से चला गया कोतवाल 753।।
901तेरी कल के अंदर छोटा सा है मंदिर 754।।
902जप ले हरि का नाम काया ना तो है फिर मिले 755।।
903रे मन मुसाफ़िर निकलना पड़ेगा।।756।।
904डोर लगी रे गुरु संग डोर लागी रे 757।।
905यही घड़ी यही बेला रे सधु।।758।।
906तेरी काया में गुलजार बाग में घुमन मत जाइए 759।।
907सबर बड़ा हथियार 760।।
कौन चाम से नारा साधु भाई 761।।
908जिसमें बोले सै रमताराम जगिया री चाम की 761।।
909लाई रे तन मन धन बाजी।।768।।
910हम बसे चाम के धाम।।762।।
911चमड़ा देख चमार बतावे 763।।
912या नर देही बंदे फिर ना मिलेगी 764।।
913देही ने क्या धावे मलमल के 765।।
914माटी के पुतले तूने 766।।
915क्या तन मांजता रे।।767।।
916लाई रे तन मन धन बाजी 768।।
917लगाई गुरु पीर से बाजी 768।।
918तेरी काया गढ़ मेंखुली है दुकान 768।।
919तन मन धन की बड़ी ला ले 769।।
920कहां लगाया नेह जीव तूने 770।।
921तूने मनुष्य धरा लिया नाम 770।।
922जग़ में मानस कोई ना देखा 770।।
923कदरदान मानस के आगे।।771।।
924क्यों भटके बाहर क्यों भटके771।।
925एक आया अचानक चोर।।772।।
926हुई रंग महल में चोरी।। 773।।
927मन मूरख भाई रे तू दर्द व्याख्या अभिमान।।773।।
928गुरुवर मेरा यह जीवन अब तो संवार दो 774।।
929निगुरा मत मिलो चाहे पापी मिलो हजार 775।।
930पाखंड में कुछ नाहीं रे साधु 776।।
931यह सारे पाखंड फेल मचावे 777।।
932पाखंडी दुनिया कहो ना कैसे तरियां।। 778।।
933नर कपट खटाई त्याग कराकर काम 779।।
934मत बिसरे हरि नाम जगत में जीवन थोड़ा रे 779।।
935गलती है तेरे हिसाब में सतगुरु का दोष नहीं है 780।।
936यह दुनिया भूल बरमानी 781।।
937मूर्ख नर पाखंड छड़ दे।।781।।
938किस भूल में दीवाना हुआ रे।।782।।
939हरदम याद करो सतगुरु ने।।783।।
940कौन माने हुए भांग पड़ी।। 785।।
941दूई ने छोड़ एक हो ले।। 786।।
942जग सपना की माया साधु 787।।
943क्यों भर्म रहा संसार में।।788।।
944सतगुरु बिन घोर अंधेरा 789।।
      काल में जाल अजब भरमाया 789।।
      भरम लाल में जगत फंसा है 779।।
945नाम बिन भरम कर्म नहीं छूटे 790।।
946गुरुओ ने आन जगाई है सखी 791।।
947भटकता क्यों फिरे बंधन 792।।
948सब जग भूल भरम में जाई।। 793।।
949दीवाने दुनिया रे यो भूला है जग सारा 794।।
950या दुनिया भरण ने खाई रे 795।।
951जा टूट भरम के ताले 796।।
952दिया है भरमगढ़ तोड़ में वारी जाऊं सतगुरु की 797।।
953मेरा किया भरम सब दूर 798।।
954झूठ है संसार रैन का सपना है 799।।
955झुठा है संसार सारा 800।।
956यह संसार सारी मुसाफिर 801।।
957कोई आवे है कोई जावे यह जगत सराय 802।।
958इस जगत सराय में ।।803।।
959हो मतलब में फंसा जहान।।804।।
960रे जोगिया यह जगह एक सराय।।805।।
961पैदा सो नापैद जगत में 806।।
962जगत तज चलना है रे नादान 807।।
963मेरा सुन ले वतन न हितकारी 808।।
964चला संसार छोड़ के रे 809।।
965मायावी संसार झमेला 810।।
966मतलब का संसार पगले मतलब का 810।।
967मतलब का संसार होश कर चालिए 811।।
**।    जगत को कठपुतली का खेल खिलाया।।
**।  किसा सुंदर जगत रचाया।।
        968 कारीगर की चतुराई 811।।
969देख लिया संसार हमने देख लिया 812।।
970जो संसार पाप का बंधन 813।।
971मालिक मेरा राजी है चाहे रूठो सब ससार।।814।।
972हरी से नेह लगा ले बाबू।। 815।।
973कोई समझे ना गुरु की बात को 816।।
974देख तेरे संसार की हालत 817।।
975चार दिन की जिंदगी है चार दिन का मेला 818।।
976हम घूमने आए जी।।819।।
977छूट जाए संसार प्रभु तेरा द्वार न छूटे 819।।
978जग तो महा दुखदाई रे साधु 819।।
979यहां वासा दिन चार हो यारा ओ यारा 819।।
980यह जग है एक मेला तेरा जाएगा हंस अकेला 820।।
981तू किस लिए जग में आया ।। 821।।
982इस जग से सब को जाना।।822।।
983पानी बीच बताशा 823।।
984यह जग है एक मेल यहां से एक दिन 824।।
985क्या तू लेकर आया जग में।।825।।
       986 क्या सोवे सिमरन की बरिया 825।।
987देखो सब जाग जाए बहा।। 826,
988तज जगत की भज ले निज नाम।। 827।।
989मुट्ठी भींच जगत में आया 828।।
आया था मुट्ठी बीच रे जाएगा हाथ पसारे 828।।
990जगत में कोई नहीं तेरा रे 829।।
991झूठ सब जगत पसारा 830।।
992जगत में आ के रे बहुत गए ज़ख्मार।। 831।।
993जगत में स्वार्थ का व्यवहार 832।।
994कर गुजरान गरीबी में कोई दिन 833।।
995यह नासी सकल जमाना है 834।।
996दो दिन का जग में मिला सब  चली का खेल 835।।
997जख्मी समझ बूझ रहो भाई 835।।
998क्यों जग को देख लुभाया।।836।।
999जगत में जीवन है दिन चार 837।।
1000यह जगत सराय भटियारी की 838।।
1001जब रहना नहीं संसार में 839।।
1002जगत में राम नाम है सार 840।।
1003जगत में सब मतलब के यार 841।।
1004दुनिया से हमारे तो आए तेरे द्वार 842।।
1005यह संसार असार रे काहे प्रीत लगावे 843।।
1006यह दुनिया नहीं जागीर किसी की 844।।
1007यह दुनिया ऊत कसूत 845।।
1008मुझे क्या काम दुनिया से 846।।
1009जग में तुम सम कौन अनाड़ी 847।।
1010दुनिया में हो बाबा नहीं है गुजर 847।।
1011मूरख बंदे क्या है जग में तेरा 847।।
1012मुझे मिल गया मन का मीत 848।।
1013ऐस रे जन्म जल जाए।।848।।
1014मुसाफिर चले जाना चले जाना 849।
1015यह संसार असार रे काहे प्रीत लगावे 849।।
1016घूम-घूम के देखा सारे 850।।
1017चलो गुरु की नगरिया दुनिया से नाता तोड़ के 850।।
1018भाई तेरा कोई ना अपना है 850।।
1019थारी काया नगर गुलजार।। 851।।
1020सोचो जरा तुम करो विचार।।852।।
1021छोड़कर संसार जब तू जाएगा 853।।
1022यह कितना बड़ा झमेला 854।।
1023दुनिया का रही धोखा साधु भाई 854।।
1024जगत में ना कोई अपना मेरे सतगुरु ने  बताएं 850।।
1025जगत में राम नाम है सार 855।।
1026यह जग बंद रहा बहू बंधन 855।।
1027यह दो दिन का जीवन तेरा 857।।
1028भजन बिन बने खवारी रे।। 857।।
1029ले के जग से बुराई मत जाना रे 858।।
1030त्याग के चलना होगा सतगुरु के दरबार में 859।।
1031भजन बने खवारी रे जगत में सदा नहीं रहना 860।।
1032गुरु चरणों से प्रीत ना जोड़ी 861।।
1033एक दिन सबको जाना होगा रीत।।862।।
1034पांथीड़ा पंथ बांका रे।।863।।
              1035हमारा पथ है बांका।।863।।
1036मन को जमा बंदे मेल मत रखें 863।।
1037छोड़ कर अभिमान, त्याग दे मेरी मेरा रे 863।।
1038रे मनवा राजा जागा कौन सी घाटी 864।।
1039कैसे जाएं सखी मेरे मन के विकार 866।।
1040मेरे पूरे गुरु ने पकड़ लिया मन मेरा 867।।
1041रे मन मूरखा भाई।।868।।
1042मेरी तेरी करके खो दई उम्र सारी रे 869।।
1043आवेगा तेरे काम नाम की 870।।
1044हुआ मन गुरु भक्तिमें लीन।।872।।
1045मन तेरी चाल समझना आई 873।।
1046कोई बदलेंगे हरिजन सूर 874।।
1047मनवा लगा मेरा राम फकीरी में 875।।
1048मन नेकी कर ले, दो दिन का मेहमान 876।।
1049रे मान मान जा तन की बनेगी एक दिन माटी 877।।
1050अरे मन मुर्खा जागा कौन सी घाटी।।879।।
1051मन रे क्यों भुला मेरे भाई 880।।
1052छोड़ मन मेरा रे 881।।
1053तजौ रे मन हरि विमुखन को संग।। 882।।
1054बाना बदलो सो सो बार।। 883।।
मनमार सूरत ने डांटो रे।।884
1056बदल जा हो मनवा हो जागा।।884।।
मनवा तू किसका सरदार 885।।
1058मनवा बना मदारी रे 886।।
क्या पानी में मलमल नहाए।।887।।
1060मन ऐसा ब्याह करवा रे।। 888।।
तेरा तेरा मानव भाई 889।।
1062मन कहां लगा लिया रे 890।।
मेरा मन बनिया जी 891।।
1064तेरी दुरमति कौन मिटाओ 892।।
मन मार सूरत ने डांटो 893।।
1066मन राम सुमर ले  ला ले गुरु में ध्यान 894।।
तोरा मन दर्पण कहलाए 895।।
1068रे भूले मन वर्षों की मति ले रे।।896।।
मन रहना होशियार एक दिन 897।।
1070मन तूं नाहक जंग मचाए 897।।
मन रहना होशियार एक दिन 897।।
1072मन तूं नाहक द्वंद मचायो।। 897।।
मां मंदिर में गाफिला झाड़ू रोज 897।।
1074मन भजन करें जा भूला क्यों।। 898।।
मन को लगाए पिया पावे 899।।
1076वश में कर ले मन शैतान को 900।।
मन को डांट ले गुरु वचन पर 901।।
1078भाई मैं नित कहूं समझाइए।। 901।।
रोएगा लोभी तक जाएंगे पुरुष तेरे।।903।।
1080मन की जो फेरे माला 904।।
आई अरे मनवा आई आज।।905।।
1082भूले लोग समझ के लाद लदनियां।। 906।।
मन खोज ले मिले अविनाशी 907।।
1084मन परदेसी रे यहां ना तेरा देश।।908।।
मन मेरा हो हो चल परम फकीर 909।।
1086मन मगन हुआ फिर क्या बोले 910।।
मनमग्न हुआ अब क्या गावे।। 911।।
1088रुक जा रे पापी मन रुक जा 912।।
रे मन मुसाफिर निकलना पड़ेगा 913।।
1090चलो रे मन यहां नहीं रहना 914।।
देख तेरे ही मन मंदिर में 915।।
1092मनवा रे राम भजन 916।।
          के बांध गांठरी लाया 917।।
1094के मनवा मन रे कहो। 917।।
के मनवा मांन रे कही 918।।
1096मनमुख मान चाहे मत मान।। 919।।
मन रे अबकी बार संभालो 920।।
1098समझ समझ गुण गाओ रे प्राणी 921।।
मान रे मन मान मूरख 921।।
1100मांने नहीं मन मेरा।।922।।
धीरे-धीरे मोड़ तुम इस मन को 923।।
1102मन की तरंग मार लो 924।।
कर ले मन मेरा त्रिवेणी स्नान 925।।
1104है कोई मन मूर्ख समझावे।।926।।
इसने मैं कैसे समझाऊं।।927।।
1106ऐसी सेन समझ मन मेरा।। 927।।
मेरा मन बैरागी हुआ मेरी मां 928।।
1108मन करले साहब से प्रीत 929।।
हरिहर भजता नहीं रे।।930।।
1110बस्ता हुआ भगवान सब के मंदिर में 931।।
          ये तैरने का घाट।।932।।
1112चल मन हरि चट साल पढ़ाऊं 932।।
मन तूं माने ना।। 933।।
1114ऐसी सेन समझ मन मेरा 934।।
1116मन का मैल ना जावे।। 935।।
वा दिन की कुछ शुद्ध कर मनवा।।936।।
सेवा कर ले गुरु की भोले मानव 937।।
      1118मन मूरख भाई तू तज व्यर्था अभिमान 937।।
       मन मूरख अखियां खोल।।
1120यह तरने का घाट 938।।
मेरे मन अब तो संभाल के चाल 939।।
1122सफ़ा देखा दिल का 940।।
देख तेरे ही मन मंदिर में 941।।
1124साफ कर दिल के शीशे को 942।।
            रे दिल गाफिल गफलत मत कर 943।।
1126दिल दे दिया सतगुरु प्यारे नू 943।।
करो रे मन वा दिन की तदबीर।।944।।
1128करो रे मन सच्चे गुरु से मेल 944।।
मन ना रंगाए।।945।।
1130अलख निरंजन मां का मंजन 946।।
तन खोज मन पाया 947।।
1132जब से मन प्रतीति भई 947।।
देख तमाशा रोक लोभी मन को 948।।
1134मन में सोच विचार बुलबुला पानी का 949
मन लोभी तू तो लुट गया रे संसार में 950।।
1136मेरे मन सुकरम कर ले रे।। 951।।
कोई राम राम कोई हरि हरि 952।।
1138समझ मन बावला रे 953।।
          सेवा कर ले गुरु की भोले मानव 953।।
1140डाटा ना डटेगा रे।। 954।।
डाटा ना डटेगा रे।। 954।।
1142मुखड़ा क्या देखे दर्पण में 955।।
 सोच समझ इस दुनिया में 955।।
1144ले परमपिता का नाम बावले।। 956।।
समझ में तेरी कौन चीज की आशा 957।।
1146अब तो संभल कर चाल।।958।।
हो मन मेरे दिए छोड़ कुब्ध।।958।।
1148हो मन मेरे दिए छोड़ कुब्ध।।959।।
बार-बार तोह मै समझाऊं।। 960।।
1150चेत रे नर चेत प्यारे 960।।
सुनिए मनचंचल रे।।961।।
1152राधा स्वामी राधा स्वामी बोल रे मना962।।
मन पकड़े सो सुरा।।963।।
1154कर ले रे मन राम नाम से मेल।।964।।
मन क्यों भूला रहा दुनिया की मौज में 965।।
1156मेरे मन अब तो समर हरि नाम 966।।
मन की बात ना मानो साधु 967।।
1158मोहे लगन लगी गुरु पवन की 968।।
मनवा सोच समझ के देख ले 969।।
1160काहे सोच कर नर मन में।।970।।
मन भाती है मन भाती है।। 970।।
      1162 मन भोला जाने गुजर गई।।
लागी रे साधु नाम की फेरी 971।।
           1164लागी लगन करो भजन गगन में हमारा 
लागी कहे जग सारा 972।।
1166लग्न की चोट भारी है 973।।
गुरु से लगन कठिन है भाई 1974।।
1168लगन लगाए फकीर तन में लगे 975।।
दिया तो चासो भाई गुरु की लगन का।।976।।
1170लगन लागी थारे नाम की 978।।
लगन मार लगी हो 979।।
1172लागी का मार्ग और है 980।।
         मन रे मन मान मूरख 981।।
1174मोहे लगन लगी गुरु चरणों की 982।।
लगन तुमसे लगा बैठे 982।।
1176ऐसा ऐसा लगन लिखाया गुरु ने 983।।
मैंने लगन लगी उस मलिक की।।
1178लगन बिन रेन ना जागे कोई।।
लगन बिन कोई न जागे रे 983।।
1180जिनकी लगन गुरु से नाहीं।।
लगन बिन जागे न निर्मोही 983।।
1182मेरी लगन अब लागी है ये 983।।
 री उधा लागी का नाम न ले।।983।।
1184जिनकी लगन गुरु से नहीं 983।।
पता नहीं किस वेश में आकर नारायण 983।।
1186सतगुरु मिले हमारे सब दुख मिट गए 984।।
तू खोजत किसे फिरे।।985।।
1188घट का करो विचार साथ 986।।
ऐसा ऐसा लगन लिखाया गुरु ने।।987।।
1190तेरे घट में झलका जोर 987।।
क्या ढूंढ रहे बन बन।।988।।
1192उजियारा है उजियारा है।।986।।
घट ही में अविनाशी 989।।
1194तेरे घट में राम तू काहे भटके 990।।
है तेरा तुझ माहीं देख ले।।990।।
1196नजर से देख ले भाई 991।।
       नजर से देख ले भाई 991।।
1198काहे रे वन खोजन जाई।। 992।।
घट-पट में लखौ हे दीदार 993।।
1200तुम घट घट की जानो।। 993।।
          घट गंगा में नहा ले री।।
1202निरंजन माला घट में फिरे दिन रात।।994।।
कित जाऊं मैं कित जाऊं मैं।। 995।।
1204जीव जीव में है वही 996।।
तेरे घट में सर्जन हार 997।।
1206थोड़ा ध्यान लगा गुरुवर दौड़े आएगे।।998।।
ना ध्यान हरि का लाया रे इंसान बावले 999।।
1208अपने प्यारे सतगुरु जी का।।1000।।
दे ध्यान जरा 1001।।
1210ध्यान का वादा करके सजन 1002।।
**।   चेतन खुदा खुद आप है।।
तेरी आनंद हो जाए काया1003।।
1212बंदे कब ध्यान लगा देगा 1004।।
 अगर है प्रेम मिलने का।।1005।।
1214प्रेम का मार्ग बांका रे।।1006।।
प्रेम प्रीत की रीत दुहली 1007।।
       1216 पिला दे प्रेम का प्याला।।1007।।
प्रेम की बात निराली है 1008।।
1218सजन ये प्रेम की घाटी 1009।।
प्रेम बिना ना सतगुरु मिलता।।1010।।
1220जगत में प्रेम से बड़ा ना कोई 1010।।
सबसे ऊंची प्रेम सगाई 1011।।
       1222 अब मैं कैसे प्रेम निभाउ।।1012।।
लाले प्रीत गुरु से भाई 1012।।आ
1224प्रीत गुरु संग ना जोड़ी1013।।
तु कर प्रभु से प्रीत 1014।।
1226प्रीत लगाकर प्रीतम पावे।। 1015।।
लाले प्रीत गुरु से भाई।। 1016।।
128बगूला भक्ति करके बंदे 1016।।
लगा ले प्रेम ईश्वर से 1017।।
1230बता दे मोक्ष का मार्ग।। 2018।।
सतगुरु तो तेरे घट में बैठा।।1018।।
1232अड़सठ तीर्थ नहा ले तू 1019।।
गुरु के बिना बंदे तेरी कैसे होगी मुक्ति 1020।।
1234बिन सतगुरु के भजन बिना 1021।।
राधे प्रेम का प्याला।।1022।।
1236करो ओम नाम का सुमिरन ।।1022।।
जिंदा राम कहो या सतगुरु 1023।।
1238भजन बिना रे तेरी कैसे होगी मुक्ति 1024।।
भजन में रस ही रस आवे 1025।।
1240मेरे सब अविनाशी मुक्ति रहे दासी 1026।।
भक्ति भजन फिर करना पहले 1027।।
1242भक्ति के घर दूर बावले।।1028।।
भक्ति का मार्ग झीना रे 1029।।
1244भक्ति ज्ञान गुरु दीजिए 1030।।
या माया उपजे बेशुमार।।1031।।
1246भक्ति करो निज तत्व की1032।।
भक्ति करो निज तत्व की 1033।।
1248तेरे घट में राम तू कहे भटके 1033।।
भक्त वत्सल भगतन सुखदाई 1034।। 
1250भक्ति कर सतगुरु की बंदे 1035।।
तेरी याद सतावे देश भक्ति।।1032।।
1252शब्द तलवार है भाई साधु 1037।।
शब्द तेरा दर्द अनुठारे।।1038।।
1254अगर है मोक्ष की इच्छा।।1039।।
तुम क्या जाने पीर पराई 1040।।
1256शब्द तलवार है भाई साधु 1040।।
शब्द बनी तलवार गुरु के सत्संग में 1041।।
1258शब्द तेरी सार कोई कोई जाने 1042।।
तू पकड़ शब्द गई  डोर।।1043।।
1260शब्द रे तेरी बिरले ने परख करी 1044।।
         जिसके लागे शब्द की चोट 1045।।
1262जिसके लागे शब्द की सेल।। 1046।।
शब्द मत छोडो रे 1047।।
1264जो शिष्य धर्म पर डट गए 1048।।
आजा न शब्द की गेल 1049।।
1266जिनके लगी शब्द की चोट 1050।।
तू समझ देखिए सतगुरु शब्द आधार 1051।।
         1268कोई चूड़ी ले लो आया शब्द मनिहार 1052।।
हे जी साधो सार शब्द हम पाया।।1053।।
1270शब्द हमारा सत्य है1054।।
साधु शब्द साधना कीजिए।।1055।।
1272मैंने सुनी शब्द की लहरी 1055।।
ढूंढ शब्द में कनियारी।। 1057।।
          1274साधु शब्द का सब विस्तारा।।
          साधु सतगुरु दर्शन कर लो।।
1276शब्द धुन सुन ले भाई।।1058।।
जो गुरु धर्म पे डट गए कट गए।। 1059।।
1278रुक जा रे भाई रुक जा 1060।।
1280तू शब्दों का दास है जोगी 1061।।
1282ऐसा ऐसा शब्द लखाया हमारे सतगुरु।।1061।।
शब्द चढ़ देखो रे भाई 1061।।
सतगुरु का बन के, सुन ले शब्द लहरी।।1061।।
1284तू क्या जाने पीर पराई 1061।।
साधु शब्द का सब विस्तार 1061।।
1286तेरा हरी से मिलन कैसे हो 1062।।
तेरा हरी से मिलन कैसे हो1063।।
1288जाग री मेरी सूरत सुहागन।। 1064।।
सुन सूरत सयानी हे।।1065।।
1290सूरत हिलकी दे दे रोवेगी 1666।।
सूरत निज नाम से अटकी है 1067।।
1292सूरत बंजारन प्यारी है 1068।।
हे तु सतगुरु साबुन लाए।।1069।।
1294कहे तो ले चालु हे।।1070।।
सूरत सुहागन सुन मेरी प्यारी 1071।।
1296हे तु हो ले सुरता त्यार।।1072।।
मेरी प्यारी सुरतिया है 1073।।
1298सुरत सुहागिन नार हे तू सत्संग मेंआईए।। 1074।।
मेरी सूरत भजन में लागी।।1075।।
1300सुरत सुहागन गुण भरी 1076।।
       मेरी सुरता प्यारी शब्द दूर चढ़ जा1077।।
1302हे री मेरे पांच लगे लगवाल।।1078।।
हे री मेरे हरि मिलन की आश।।1079।।
1304हे री मेरे हरि मिलन की लग्न।।1080।।
        सूरत सुहागन नार भला हे।।
      1306सूरत सुहागन नार हे तू लाग़ भजन में।। 1081।।
चलो पिया के देश मेरी सुरता 1082।।
1308भूल भर्म का सुरता तेरे भरोसा से।। 1083।।
मेरी सूरत गगन में जा रही।।1084।।
1310ना सोवे सूरत सुहागन।।1085।।
         तेरा हरी से मिलन कैसे होगा हे 1086।।
1312सुरता होले शब्द की गैल।।1088।।
बिचाले बैठ लेना हे।। 1088।।
1314सुन म्हारी सुरता गुरु के वचन।।1089।।
गुरु मिले खिलावन हार 1090।।
1316गुरु मिले पढ़ावन हार1091।।
रट ले न नाम सुरता शब्द सार का।।1092।।
1318मेरी सूरत बावली हे।।1093।।
सूरत मेरी सब से राजी 1094।।
       1320 सुरता हो ले भजन वाली लार।।1095।।
पहरों पहरों है सुहागिन सुरता।। 1096
1322सूरत तूं कौन कहां से आई 1097।।
हे सुरता दिए नींद नशे ने छोड़।।1098।।
1324मेरी प्यारी सुरतिया है तू देश गुरु के जाइए 1099।।
गुरु की शरण में आओ रे सुरतिया 1100।।
         1326 सुरता प्यारी तूं देश दीवाने चाल।।1101।।
हे सुरता तुम करो हरि का ध्यान।।1102।।
1328हे मेरी सूरत सुहागन नार।।1103।।
चेतन हो के जड़ ने पूजे।। 1104।।
1330मेरी सूरत सुहागिन चाल।।1105।।
हे सुरता चल देख दीवाना देश।।1106।।
1332सत्संग में सुरता चला 1107।।
धाम दिनोद में चालिए सुरता1108।।
        1334सत्संग के मेंचल मेरीसुरता।। 1109।।
सुरत अपने घर चलो है 1110।।
1336हे सुरता क्यों गई राम ने भूल।।1111।।
हे सुरता ले चमक चुंदड़ी ओढ।।1112।।
1338हे सुरता यो झूठा जग का खेल।।1113।।
हे सुरता तेरे सतगुरु दे रहे बोल।।1114।।
1340हे सुरता आओ हे सत्संग में ।।1115।।
         हे सुरता चाल बसो उस देश सवारी।।1116।।
1342सुरता प्यारी कर ले भजन में सीर।।1117।।
धर ले सुरता ध्यान 1117।।
1344सुरत तूं मन से यारी तोड़ 1118।।
उठ सवेरा जाग हे।।1119
1346तु तो चल साजन के देश 1120।।
          हे क्यों ना सतगुरु ने रटती।।1121।।
1348सुरता भूल भर्म दे त्याग।।1122।।
तेरे बंधन कट जा सारे 1123।।
1350सुरतिया झूल रही 1124।।
        हो ले सुरता त्यार।।1125।।
1352सुरता प्यारी चाल जड़े।।1125।।
सुरता तेरा तेरे बिना।।1127।।
1354उठो उठो ही सूरत मेरी जागे।।1128।।
सूरत सुहागिन है बड़े भागन।। 1129।।
1356हे सुरता हो ले हे तैयार।।1130।।
सुन सूरत मछलियां हे।।1131।।
1358अब समझ सुहागिन सुरता नार ।।1132।।
म्हारी सूरत सुहागिन जागी री 1133।।
1360महलों से उतरी है 1134।।
शुद्ध घर अपने की पा ले री 1135।।
1362जोड़ो री कोई सूरत नाम से 1135।।
घट में गंगा नहा ले री 1135।।
1364मेरे दिल का धोखा धोला है।।1135।।
जोड़ो री कोई सूरत नाम से 1135।।
1366धो लें न काया चुंदड़ी।। 1136।।
जागो जागो हे ननदिया मेरी।। 1137।।
1368जागो जागो हे ननदिया महलों में चोर।। 1137।।
सतगुरु घाट पर आ जाइए 1137।।
1370दिन दिन मैली होय चुनरिया 1138।।
सत्य के धनी मेरी रंग दे चुनरिया 1139।।
1372मेरे सतगुरु है रंगरेज 1140।।
मैंने लागे चुनरिया प्यारी 1141।।
1374आया नगरी में धोबिया सुजान।।1142।।
मेरी चुनरी के लगा दाग पिया 1143।।
1376जतन से जरा ओढ चुनरी 1144।।
पीहर में दाग लगा आई।।1145।।
1378चुनरिया ओढ़ने वाली हे।।1146।।
उस घर की हमने खोल बता दें।।
1380सत्य की धनी मेरी रंग दे चुनरिया 1147।।
तने तो मेरा पिया मोहलिया रे 1147।।
      1382तने तो मेरा पिया मोह लिया है 1148।।
सजन घर कैसे जाऊंगी।। 1149।।
1384आ जा न शब्द की गैल।। 1150।।
चुनरी में दाग कहांसे लगा1150।।
1386साहब पूछेंगे चुनरिया 1150।।
            सुरता पी ले न शब्द की।।1151।।
1388सूरत सुहागन हे बड़भागीन।।1152।।
चादर हो गई बहुत पुरानी 1153।।
1390या चादर हुई पुरानी।। 1155।।
तेरे मन की चादर मैली है 1153।।
1392म्हारे गुरुआ राम रस भीनी 1154।।
पांच तत्व की बनी है चादर।। 1156।।
        1394 म्हारी आओ बहन सत्संग में 1157।।
मैली चादर ओढ़ के कैसे 1158।।
1396दिन-दिन मैली हो गई चुनरिया 1159।।
दिन दिन मेंली होय चुनरिया 1160।।
1398चरखले वाली री तेरा 1161।।
चरखा परे हटा ले री मां 1162।।
        1400चरखा रे सतगुरु ने खूब घड़ा मेरी माई।।
चरखे का भेद बता दे 1163।।
1402पांच तत्व ओर तीन गुणों में।।1164।।
1404चरखा परे हटा माई 1165।।
चरखा नहीं निगोड़ा चलता1166।।
चरखा चले सूरत बिरहन का 1167।।
1406हमें कोई कातन दे सिखाए।।1168।।
बहना व्यर्थ जन्म गंवाया।।1169।।
1408चरखा हिलने लगा सारा 1170।।
*चरखे आली कर ले त्यारी।।
चरखा कात सुधार री 1170।।
1410होले होले चरखा कतनी 
बंगला खूब बना दरवेश।।1172।।
1412बंगला अजब बनाया खूब।।1173।।
यह बंगला बना गगन के बीच 1174।।
1414बंगला अजब दिया करतार 1176।।
सुगना पिंजरा छोड़ भागा ।।1175।।
1416मेरी मेरी करता फिरता सांझ ढले उड़ जाना 1176।।
           सुगना बोल तूं निज नाम।।
1418मनं तोते तेरी बंद छूट गई 1177।।
पिंजरा तोड़ चला जागा।।1178।।
1420तू तो उड़ता पंछी यार 1179।।
हो गया पिंजरा पुराना।।1181।।
1422पंछी बिन पिंजरा आए भला किस काम।।1182।।
कुछ लेना ना देना मगन रहना 1181।।
1424मायाजाल ने मोह लिया 1181।।
ना पल का भरोसा 1182।।
1426भाई पिंजरे के पंछी रे।।1184।।
पिंजरे के पंछी रे।।1185।।
1428काया का पिंजरा डोले 1186।।
पिंजरे की मैना बोल।।1187।।
1430दे हरी वचनों पर ध्यान 1188।।
हम पंछी परदेसी मुसाफ़िर।।1189।।
1432ओ भोले पंछी सोच जरा 1190।।
जो मैं होता सोन चिरैया।। 1190।।
1434सोहन सोहन सदा बोल दे तोता।।1192।।
नारायण नारायण बोल तोता 1193।।
1436जिंदगी एक पंछी तो है 1194।।
भजले हरि का नाम तोता।। 1195।।
1438एक दिन पिंजरा खाली कर जाएगा1196।।
मुनिया पिंजरे वाली 1197।।
1440पंछीडा लाल आसी रे।।1198।।
पी पी मतना बोल।।1199।।
1442बोल सुवा राम राम 1199।।
सुन गंगाराम पिंजरा पुराना तेरा।।1200।।
1444तुम पढ़ो रे तोता 1201।।
जा दिन मन पंछी उड़ जाए 1201।।
1446सांस का पंछी बोले र।।1202।।
सोहन सोहन सदा बोल री मैं ना 1202।।
1448इस पिंजरे में बैठा हंसा।।1203।।
मन पंछीडा रे।। 1203।।
1450तुम पढ़ो री मैना 1204।।
सुगना तू बोल निज नाम 1204।।
1452जा दिन मन पंछी उड़ जाए 1204।।
पपीहा रे पी की वाणी ना बोल।। 1204।।
रे1424ल धर्म की चलती कोई बैठा आ के 1205।।
उठ जाग मुसाफिर बावले।।1206।।
1426जीवन तो भैया एक रेल है 1207।।
चली जा रही है जीवन की रेल।।1208।।
1458छुक छुक रेल चली है जीवन की 1209।।
ये प्रेम की गाड़ी आ गई 1210।।
1460बंदे नाम की गाड़ी।।1211।।
छुक छुक जीवन की रेल चली 1212।।
1462हो जाओ तैयार गाड़ी।।1213।।
चेतन हो जा रे मुसाफिर 1214।।
1464रेल चली रे भैया रेल चली 1215।।
इस काया गढ़ की रेल में कोई संत।।1217।।
1466हम जाने वाले पंछी मत हमसे प्रीत लगान। 1217।।
 ले ले टिकट नाम की भाई 1218।।
1468अगम लोक से सतगुरु आए1221।।
सुन्न महल में जहाज पिया का 1219।।
1470गम लोक से सतगुरु आके 1221।।
रहबारी वीरा रे थाकी टोरडी।।1222।।
1472वे नर हुए नदी के पार 1225।।
रहबारी वीरा रे थाकी टोरडी 1228।।
1474सुमर सुमर नर उतरे पार 1226।।
सुमिरन करो समय साधु भाई 1226।।
1476सिमरन बिन अवसर जाए चला 1227।।
नदिया गहरी नाव पुरानी 1227।।
1478जरा गाड़ी हल्के हाको 1228।।
नाव तेरी मझदार 1228।।
1480मैं कैसे उतरू पार 1229।।
मल्लाह के मेरी नाव किनारे 1230।।
1482सुमिरन में सुख भारी।।
नैया बोझ भरी।। 1231
1484कबीर मेरी नैया।।1232।।
भरोसे थारे चाले रे मेरी नाव।। 1233।।
1486गुरु जी तार दो३ मेरी फैंसी भंवर में मैया1234।।
भजन करले बीती जाए घड़ी 1235।।
1488यह तैरने का घाट 1236।।
भगवान मेरी नैया 1237।।
1490प्रभु मेरी नैया को।।1238।।
सतगुरु भवसागर डर भारी 1239।।
1492सतनाम को छोड़कर बंदे।। 1239।।
भवसागर डर भारी 1239।।
1494बहुत दूर वह घर है 1240।।
बोल कहां घर तेरा बंदे। 1241।।
1496गाने के घर दूर गाना क्या गावे 1243।।
वो घर सबसे न्यारा।।1243।।
1498क्या गावे घर दूर दीवाने।।1243।।
वह घर सबसे नारा 1243।।
1500भूला लोग कहीं घर मेरा।। 1244।।
भक्ति के घर दूर बावले 1245।।
1502उस घर की कोय सुध ना बतावे।।1246।।
उस घर की हमने खोल बता दें 1247।।
1504अगम घर चलना है।।1248।।
**।   ढूंढत फिरती बाहर बावली।।
गुरु बिन पावे ना यह तो घर और है 1249।।
1506तेरे अगले घर में रोज 1250।।
मुए कहां मुकाम जीव तेरा।। 1250।।
1508तेरा कांच महल में डेरा।। 1250।।
भाई रे यह नहीं तेरा मकान 1251।।
1510सै कितने दिन का डेरा।।1252।।
छैल चतुर रंग रसिया 1253।।
1512चलो मुसाफिर अपने घर 1254।।
समझ घर आजा रे 1255।।
1514गुरु की मेहर हुई घर पाया 1256।।
सुद्ध बुद्ध भूल गया उसे घर की 1257।।
1516मेरा साहब कब घर आवे 1258।।
एक पल का नहीं भरोसा 1258।।
1518हो गगन में रे अलख पुरुष।।1259।।
गगन में जा चढ़ो भाई 1260।।
1520घरर घरर गगना गाजे 1260।।
         साधु भाई जीवन की करो आशा।।
        1522 साधु भाई दुनिया का रही धोखा।।
        साधु भाई बेगम देश हमारा।।
         1524साधु भाई मैं हूं मस्त फकीरा।।
साधु भाई ज्ञान घट झुक आया।।1261।।
1526गगन में आग लगीबड़ीभारी 1263।।
फंसा मरे जड़ वेद में।।1264।।
1528गगन मंडल में जाकर 1264।।
गगन मे रे अलख पुरुष अविनाशी 1264।।
1530गगन में है देश हमारा चलो साहब मिल जाएं 1264।।
गगन गुफा के बीच में 1265।।
1532गगन मंडल में आमि रस बरसे 1266।।
नर बजे ज्ञान के ढोल।। 1266।।
1534गगन मंडल लगा ताला 1267।।
गगन की ओट निशान है 1268।।
1536तू चढ़ जा गगन के बीच 1269।।
गगन चढ के देख ले पिया प्यारा 1270।।
1538मेरी धुन गगन में लागी।।
कोई सुनता है ब्रह्म ज्ञानी 1270।।
1540करो अगम निगम की सैल।।1271।।
करो रे मन गगन मंडल की सेल।।1272।।
1542रस गगन गुफा में अजर झरे 1272।।
करो र मन गगन मंडल की सेल 1273।।
1544कर महलों की सैल।।1274।।
यह धुन गगन में लगी।। 1275।।
1546अवधू चाल चले सो प्यारा।।1276।।
अवधू बीजों खेत निराला।। 1276।।
1548गगन में कोई हरिजन सेल करें 1276।।
अवधू निरंजन जाल पसारा।।1276।।
1550क्या ग़म पूछे मेरी रे अवधू।।1276।।
बीजों खेत निराला रे अवधू 1276।।
1552अवधू गगन घटा गहरानी।।1277।।
अवधि गगन मंडल घर कीजे।।1278।।
1554अवधू कुदरत की गति न्यारी।।1279।।
अवधू संत शरण निर्धारा।। 1279।।
1556अवधू साधक गति विचार।।1280।।
अवधू आदि अखंडी जोगी।। 1280।।
1558अवधू अमल करे सो पावे।।1281।।
अवधू भूले को घर लावे।।1282।।
1560अवधू माया तजी ना जाए।।1283।।
अवधू क्या हो नहाए धोए।। 1283।।
1562अवधू युक्ति विचारे सोई जोगी।। 1283।।
      ऐसी अटल धुन लाओ रे अवधू।।
1564अवधू मेरा मन मतवाला।।1284।।
अवधू ऐसा देश हमारा।।1285।।
           1566  देखा देखी खेल है अवधू 1286।।
अवधू जान राख मन ठाहरी।।1285।।
1568अवधू भजन भेद है न्यारा।।1286।।
अवधू ऐसा देश हमार।।1287।।
1570ऐसा देश हमारा भाई अवधू।।1287।।
अवधू ऐसा ज्ञान विचारी।।1288।।
1572अवधू साधक गति विचार 1289।।
धन धन सतगुरु कबीर 1290।।
1574चेला रे दिल दरिया हीरा भरा।।1291।।
मैं ना लड़ी मेरा पिया चला गया जी 1292।।
1576ले ले न मुजरा मेरा हो गुरुजी 1294।।
मुए कहां मुकाम तेरा।। 1294।।
1578रस की भरी एक वाणी 1294।।
काशी जी के वासी।। 1295।।
1580मेरा नाम कबीरा1296।।
जपो रे मन केवल नाम कबीर 1297।।
1582साधु कीड़ी ने हाथी जाया।।1298।।
आज मोहे दर्शन देव जी कबीर।  1299।।
1584संकट मोचन कष्ट हरण 1299।।
जिया मत मार चेला।। 1300।।
1586अवगत से चल आया।।1301।।
अवगत की गति न्यारी।।1302।।
1588अनहद की धुन न्यारी 1303।।
यह निर्गुण की चर्चा है 1304।।
1590देख कबीरा रोए संसार के लिए 1304।।
बाबा कबीर गुरु पूरा है 1305।।
1592गुरु रामानंद जी समझ पकड़ो मेरी बांह।।1306।।
सत्य के शब्द से धारण आकाश है 1307।।
1594गैबी लहर रजा की वाणी 1308।।
सतगुरु मेरा मरहमी।। 1309।।
1596साहब कबीर आजा 1310।।
धरती धन्य जहां पर जन्मे 1311।।
1598सतगुरु कबीर की वाणी 1312।।
मैं पारस चेतन आप हूं 1313।।
1600आया है आया है बंजारा केशव।।1314।।
भाग रे भाग कबीर के बालका।। 1315।।
1602नैया में नदिया डूबी जाए।। 1315।।
रोवे नीर भरन वाली।। 1316।।
1604तू तो कोई गजब है 1317।।
अचरज खेल अत्तंभा देखा।।1319।।
1606चक्की चले अचंभा भारा।। 1319।।
एक अचंभा देखा मेरी मां।।1320।।
1608एक आतंकवादी का भाई,ठाडा सिंह 1320।।
कर्ता कर्म से न्यारा।।1322।।
1610करता कर्म रेखा से न्यारा।।1322।।
गनी साथ बता दे जीव कहां से आया 1322।।
1612इनमें कौन राम कहाया।।1324।।
इनमें राम कौन कहाया।।1324।।
1614एक राम दशरथ घर डोले।।1325।।
मैं पूछूं पंडित जोशी।। 1324।।
1616एक राम दशरथ का बेटा 1325।।
मैं क्या जानू राम तेरा गोरख धंधा 1326।।
1618कौन कहां से आया रे साधु 1327।।
मन की जो फेरे माला 1328।।
1620तेरे सब दिन बंदे रहते ना एक समान 1328।।
पिया मिलन के काज।।1329
1622अचरज देखा भारी साधु।।1329।।
तुम देखो रे लोगो नैना में नदिया।।1329।।
1622तुम देखो रे लोगो, भूल भुलैया का तमाशा।।1329।।
चक्की चले अचंभा भारी 1329।।
       1626  बादल में झुक आया मेरा भीगा।।1330।।
शाम में बादल देख डरी 1331।।
1628बादल झुक आया, मेरी भीग रही काया।।1332।।
अटल फकीरी धुन लाय।।1333।।
1630हम बैरागी उस देश के।। 1333।।
हाल फकीरी घट के अंदर,1334।।
1632होय होय के मौज फकीरा दी।। 1335।।
रमते से राम फकीर 1336।।
1634बंदी छोड़ छुड़ा ले।।1337।।
फकीरी में मजा जिसको।।1338।।
1636जो आनंद संत फकीर के।।1339।।
मन लाले राम फकीरी में 1339।।
      1638 जोग जुगत हमें पाई साधो।।
संदेश संत फकीरों का 1341।।
1640दरस दीवाना बावला अल मस्त फकीरा 1342।।
फ़कीरा कैसी सस्ती फकीरी पाई।। 1343।।
1642फकीरी सदा अखंड निज मूल।।1344।।
साधु भाई मैं हूं मस्त फकीरा 1345।।
1644फकीरा बिन धूनी के तपता 1346।।
       न समझे ये मूर्ख लोग।।1346।।
1646धन्य हो धन्य साहब बलिहारी 1347।।
आशिक मस्त फकीर हुआ।।1347।।
1648म्हारे सतगुरु दीनदयाल विहंगम जोगी है।।1348।।
जोगिया से मेरा दिल लगा 1348।।
1650जोगी जन जागत रहियो मेरे भाई।। 1348।।
जग में सोई वैराग कहावे 1348।।
1652योगिजन जागृत रहिए भाई।। 1348।।
म्हारे सतगुरु दीनदयाल विहंगम जोगी है।। 1348।।
        1654कर गुजरान गरीबी में कोई दिन।।
कर गुजरान गरीबी में मगरूरी किस पे।।1349।।
1656साधु ये तन ठाठ तमुरे का।। 1350।।
हम हैं मस्त दीवानी लोग 1351।।
1658फकीरी मेरी आप निभाओगे।। 1352।।
सुल्ताना बलख बुखारे दा 1353।।
1660हरिजन होते हरि के कलेजे की कोर।।1354।।
अजब फकीरी साहिबी ।।1355।।
1662के गरज पड़ी संसार में 1556।।
गोरख जोगी बाबा नाथ पुकारे 1356।।
1664एक रमता जोगी आया है।।1357।।
मैं रमता जोगी राम 1358।।
1666जिनके मन में निश्चय हो गई 1359।।
खोज करो नगरी में साधु 1360।।
1668कुछ सोच समझ कर चलिए रे मन मूरख 1360।।
साधु सहज समाधि  भली।। 1361।।
1670देखा अजब खिलाड़ी साधु।।1361।। 
1671हम उन संतों के दास जिन्होंने मां मार लिया 1362।।
1672ओ मस्ताने बाबा अपना देश दिखा दे 1365।।
1673गैबी देश हमारा रे साधु भाई 1365।।
1674ले चलो उसे देश में जहां संत करें विश्राम।। 1365।।
1675संतों का देश निराला है के जाने 1363।।
1676क्यों फंसा मरे जड वेद में 1364।।
संतों का देश निराला है दिल ज्योति के 1365।।
1678संतो देखत जग बोराणा 1366।।
संतो के आगे कौन चीज बादशाही 1367।।
1680तुम देखो बाबा संत करें बादशाही।। 1368।।
भक्ति के आगे नजर ना आवे बादशाही 1368।।
1682अजब शहर गुलजार बना है 1368।।
संतों की शरण मेंआजा 1369।।
1684संतों के संग लाग़ रे तेरी अच्छी बनेगी 1370।।
तुम सुनियो संत सुजन गर्भ नहीं करना रे 1371।।
1686जिसने आपा मारा वह साधु संत कहावे।। 1372।।
संतो घर में झगड़ा भारी 1373।।
1688जिसे जान अपना आप लिया।। 1374।।
जिसने नाभी नासिक नाप लिया।।1374 
1690बिना रमझ समझ नहीं पावे।। 1375।।
संत का होना मुश्किल है 1375।।
1692योगी जान जागत रहिए मेरा भाई।। 1375।।
करो रे साधु सत्पुरुषों का सत्संग।। 1376।।
1694अब मैं भोला रे भाई।।1376।।
 सतगुरु अलख लख्या।। 1377।।
1696जो नैना अलख लखावे सो सतगुरु मोहे भावे।।1379।।
मेरे सतगुरु चेतन चोर मेरा मन।। 1380।।
1698संतो वे उतरे भव पारा।। 1380।।
सतगुरु ब्रह्म लखाया साधु।। 1381।।
1700मांगते फिरें हजार, साधुजन कोई।। 1382।।
जप तप योग तपस्या साधन 1383।।
1702संतो सतगुरु मोहे भावे 1384।।
            चेतन चमक न्यारी साधु 1385।।
1704मूल भेद कुछ न्यारा।। 1386।।
हे जी साधो कैसे ये विश्व रचाया।।1387।।
1706तीन पांच से जगत रचाया 1388।।
सोहन सोहन बोलो साधु।।1389।।
1708मैं तो रमता जगीराम।।1390।।
साधु है मुर्दों का देश एक 1391।।
1710जो तीन लोक से न्यारा।।1392।।
साधु चुप का है निस्तारा।। 1393।।
1712साधु एक आप जग माही।।1394।। 
        इब मैं जोगन हूंगी ओ बाबा उल्फी पहर घर जाऊंगी।।
1714साधु भजो नाम अविनाशी 1395।।
साधु दूर धाम अविनाशी 1395।।
1716साधु भाई मैं हूं पुरुष पुराण।। 1395।।
साधु वह जानो मन पर जो काबू कर ले।। 1396।।
1718साधु सुर नर मुनि भर्मावे।। 1397।।
साधु अवगत लिखा ना जाए 1398।।
1720ऐसी मौज हमारी साधो।।1399।।
बोलता नजर नहीं आया 1400।।
1722संगत तो कर ले साधु की इसमें उआत्मज्ञान 1401।।
या विधि मारो गोता 1402।।
1724अब पाई हमने परम गुरु की ओट।।1403।।
नींद की यार हमारा साधो 1404।।
1726गढ़ चेतन चढ़ देख ले अपने पिया का रूप 1405।।
वह बेगमपुर कैसा है 1406।।
1728चलो चले हम बेगमपुर गांव रे।। 1407।।
मथुरा जमुना में काशी 1408।।
1730अमरअगढ़ बांका है रे भाई।।1410।।
अमरपुर ले चल हो सजना।।1409।।
1732पिया चलो नगरिया हमारी रे 1412।।
अमरपुरी का ध्यान सतगुरु खबर करी।।1413।।
1734हमने देखा अजब नजारा।।1414।।
हम परदेसी लोग।।1415।।
1736हम हैं मस्त दीवानी लोग।।1416।।
जाएंगे दीवाने देश फिर नहीं आएंगे 1417।।
1738सतगुरु का देश निराला मैंने देखा जाकर 1418।।
हरि के बिना सुना पड़ा है देश।।1420।।
         1740 रहना नहीं देश विराना है 1422।।
मैं जाऊंगा गुरु के देश फिर नहीं आऊंगा 1423।।
1742मैं चली पिया के देश लगन साहिब में 1424।।
मैं तो जाऊंगी पिया के देश 1425।।
1744मैं अटल धाम का वासी, जहां बसअविनाशी 1425।।
तू राम भजन में लग जा देश गुरु के जाना 1426।।
1746घर तेरा अमरपुर बंदे 1426।।
जहां जन्म मरण नहीं काल है।।1426।।
1748भूल गई रास्ता में तो भूली रे ठिकाना 1427।।
मरहम हो सो जाने भाई साधु 1428।।
1750डुगडुगी शहर में बजी 1429।।
लूट लूट हे शहर भटियारी।। 1430।।
1752मैं देखूं थारी नगरी अजब योगीराज 1531।।
देखा देश अनोखा साधु 1532।।
1754उम्हाया मन उस घर का।।1433
चलो नर उस देश में 1434।।
1756सुन्न शिखर में देश हमारा वाहन लूट मौज।। 1435।।
देखा देश अपारी साधु 1436।।
1758कोई दूर बतावे देशां हमने समझ।।1437।।
नर सोच समझ कर चलिए मन मुर्ख देश पराया।।1438।।
1760पाया अमरपुर में वास।।1439।।
तेरे दुख काटे अविनाशी 1439।।
1762गुरु ज्ञान पा ले बंदे मिटाले अंधेरा 1439।।
हमारे साधो भाई सुनो जी बात अगम की।।1440
1764ऐसा दे दो ज्ञान गुरु जी मेरा एक जगह।। 1440।।
1765यह सब वाचक ज्ञान कहावे 1441।।
**         ऐसा दे दो ज्ञान गुरु जी मेरा एक जगह।।1441
1766असल निज सार है भाई साधु 1441।।
1767तेरा जीवन है बेकार गुरु ज्ञान के बिना 1442।।
1768मेरे साधो भाई पारख है निज ज्ञान।। 1443।।
सतगुरु म्हारे में दिन ही है ज्ञान जड़ी।। 1444।।
1770सुनाऊं तने ब्रह्म ज्ञान को लटकों।। 1445।।
सुना था हमने गुरु अपने का ज्ञान 1446।।
1772गुरु गम ज्ञान एक न्यारा।। 1447।।
अगर है ज्ञान को पाना 1448।।
          1774उठ सुनन शिखर को चल 1448।।
अगर है ज्ञान को पाना।।1448।।
1776गुरु ज्ञान की भांग पिलाई।। 1449।।
गुरु ज्ञान की हो बरसात 1450।।
1778भाई रे ज्ञान बिना पच मरता 1451।।
सतगुरु बांटे से पुड़िया ज्ञान की 1452।।
1780फीका लागे रे सिपाही सरदार।। 1453।।
मिलता ना आत्म ज्ञान गुरु के बिना 1454।।
1782सतगुरु पूर्ण ज्ञान तुम्हारा 1455।।
कोई समझेंगे चतुर सुजान समझ गुरुदेव की।। 1456।।
1784मेरे सच्चे गुरु ने ज्ञान की भांग पिलाई 1557।।
आज हमारे गुरुदेव ने बतलाया।।1458।।
1786मोहे दियों ज्ञान अपार गुरु जी 1459।।
जिसको नहीं है बौद्ध तो गुरु ज्ञान क्या करें 1460।।
1788कोई सुनता है ब्रह्म ज्ञानी 1461।।
किस विधि ब्रह्म जगाया।। 1461।।
1790इस विधि ब्रह्म जगाया 1461।।
ऐसा ज्ञान हमारा साधो।।1461।।
1792ज्ञान दे दीन्हा गुरु देव ने।।1461।।
साधो भाई ज्ञान घटा झुक आया।।1461।।
1794जिनको ज्ञान हुआ था छोड़ चले राजधानी 1462।।
तत्वज्ञान के बारे में गुरु गोरख करें विचार1463।।
1796पांच तत्व और तीन गुणों में।। 1464।।
तुर्या पद में आसन ला के।। 1465।।
1798निरंजन गुरु का ज्ञान सुनो नर नार 1465।।
गुरुजी ऐसा ज्ञान सिखा दे 1465।।
1800संतो भाई आई ज्ञान की आंधी 1465।।
पा सतगुरु से ज्ञान भेद ये भी हो जाएगा 1465।।
1802पिया मिलन का योग है 1466।।
कैसे मिलूं मैं पिया संग जाय 1567।।
1804सदा रहूंगी सत्संग में 1468।।
उस देश चलो म्हारी हेली।।1468।।
1806हेली तूं कौन कहां से आई।।1469।।
शब्द झड़ लागा हे हेली।। 1470।।
1808पिया पाया हेली तेरा 1471।।
पिया के फिक्र में भई जो दीवानी 1472।।
1810पिया मिलन का मौका भला 1473।।
कठिन चोट वैराग्य की।।1474।।
         1812 बिना वैराग कहो ज्ञान किस काम का 
बिन सतगुरु पाव नहीं जन्म धरो सो वार।। 1475।।
1814हेली हमने नींद ना आवे है 1477।।
कर जिंदगी कुर्बान साथिन।।1478।।
1816चल सतगुरु के द्वार हेली।। 1479।।
मिल बिछड़न की पीड़ री हेली।। 1480।।
1818दो नैनो के बीच 1481।।
चलो उसे देश में हे हेली हुए काल की टाल।। 1482।।
1820कर सतगुरु से प्रीत हेली।। 1483।।
           ऐसा देश हमारा आबधू।।1484।।
1822हरदम प्रभी नहा म्हारी हेली।।1484।।
अगम गवन कैसे करूं।।1485।।
1824हे तने मान सरोवर नहाना।।1486।।
हेली छोड़ दें वीराना देश।।1487।।
        1826हेली मान सत्य वचन मेरा।।
1827हेली हमने नींद ना आवे हे।। 1489।।
1828कौन मिलावे मोहे पिव से।। 1488।।
1829हेली हमने नींद ना आवे हे।।1489।।
*हेली हमने नींद ना आवे हे।।
1830दिल महर्रम की बात हेली किसने कहे।। 1490।।
1831पाया निज नाम हेली।।1491।।
1832म्हारे सतगुरु दे रहे हेला।। 1492।।
1833सतगुरु ने वह दिया हेला।। 1493।।
1834चल गुरुओ के देश हेली।। 1494।।
1835सतगुरु मिलने चलो हेली।। 1494।।
1836हेली म्हारी बाहर भटके काई।।1494।।

1837हंसा मोती चुग ले रे।। 1496।।
1838जहां हंस अमर हो जाए 1496।।
1839मेरे हमसफर भाई सब जग भूला पाया 1497।।
1840हंसा निकल गया पिंजरे से 1498।।
      1841हंसा परख शब्द टकसारा।।
1842हंसा कहां से आया रे 1499।।
1843सुन हंसा भाई हंस रूप था।। 1500।।
1844चल हमेशा उसे देश समंद बीच।। 1501।।
1845सुन हंस भाई हंस गति में होना।। 1502।।
1846हंसा हंस मिले सुख होई 1503।।
1847कहो पुरातन बात हंस।। 1504।।
1848एक दिन उड़ें ताल के हंस।।1505।।
1849हंसा परम गुरु जी के देश चलो 1506।।
1850गुरु मेहर करे जब कागा सेहंस बना दे 1507।।
1851पुरनगढ़ चल भाई।।1508।।
1852जगमग जगमग होई हंसा रे।।1509।।
1853भजन हंसा हरि नाम जगत में।।1510।।
1854हम हंसा उस ताल के।।1511।।
         1855 हम हंसा उस देश के।।
1856हंसा चल बसों उसे देश।।1512।।
1857क्यों चला चली है काग़ की।।1513।।
1858अरे हंस भाई देश पुरबले जाना।।1514।।
1859हंसा कौन लोक के वासी।।1515।।
1860अरे हंसा भाई होजा मस्त दीवाना 1516।।
1861कर ले भाई हमेशा सतगुरु से मेल मेल 1517।।
1862जाएगा हंस अकेला तू राम नाम।। 1518।।
1863हंसा यह पिंजरा नहीं तेरा 1519।।
1864मत लूटे हंस रास्ते में।। 1520।।
1865नहा हंसा नहा हंसा घट में अड़सठ।।1521।।
1866देश वीराना रे हंसा।। 1522।।
1867सुख सागर में आये के।।1523।।
1868मेरे हंसा परदेसी।।1524।।
1869डाटा ना डटेगा रे।।1525।।
1870जिंदगी में हजारों का मेला लगा 1526।।
1871हंसो का एक देश है 1527।।
1872है संत समागम सार।।1528।।
1873सकल हंस में राम तुम्हारा 1529।।
1874क्यों पीवे तूं पानी हंसनी।।1530।।
1875चल हंसा उस देश जहां कभी मौत नहीं 1531।।
1876चलो हंस वही देश जहां तेरे।।1532।।
1877कर मेरे हंसा चेत सतगुरु दे रहे हेला1533।।
1878काया नगरी में हंस बोलता।।1534।।
1879हंसा ग़हो शब्द टकसार 1535।।
1880निर्गुण अजर अमर है रे 1536।।
1881चुग हंस मोती मानसरोवर ताल।।1537।।
1882तजदे हंस भूल भरम को 1538।।
1883काय रे तेरी पांवनी हंस बटेऊ लोग 1539।।
1884मत लूटे हंस रास्ते में 1540।।
1885मेरे हंसा भाई न्यू होता है आत्मज्ञान।। 1541।।
1886हो हंसा भाई देश पूर्बले जाना।।1542।।
1887चढ़ जा हंस अमर लोक में असंख्य कोट।। 1543।।
1888बोलो भलाई सतनाम की 1543।।
1889चल उड़ जा हंस अमर लोक में।।1543।।
1890अजपा जाप जपो भाई हंसा।।1544।।
1891जल भरा किले में ताल।।1544।।


1892बक्सो जी थारी याद याद बिना।।1544।।
1893तुम साहिब करतर हो हम बंदी तेरे 1544।।
1894दुविधा को कर दूर धनी को सेव रे।।1544।।
1895तन सराय में जीव मुसाफिर।।1545।।
1896और बात तारे काम ना आवे 1546।।
1897राम नाम की मौज गुरु से पाइए।।1547।।
1898प्रीत लगी तुम नाम की 1548।।
         1899 अजपा जाप जपो रे भाई।।1547।।
1900प्रीत उसी से कीजिए।।1549।।
1901जो तू पिया की लाडली अपना कर लेगी 1550।।
1902सतगुरु शरण आए राम गुण गाए रे 1551।।
1903संत समागम हो वहां नित जाइए 1552।।
1904अखंड साहिब का नाम।।1553।।
1905सुन सतगुरु की तान नींद नहीं आती 1554।।
1906संत सैन को समझ भूल में।।1555।।
1907जागो रे माया के लोभी 1556।।
1908समर्थ दीनदयाल कृपा मुझ पर कीजिए 1557।।
1909हो संतो का सत्संग वहां नित जाइए।।1558।।
1910तुम साहिब करतार हो हम बंदी तेरे 1559।।
1911हिलमिल मंगल गाओ म्हारी सजनी 1560।।

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