*1517 कर ले भाई हंसा, सतगुरुओ से मेल।।
कर ले भाई हंसा सतगुरुओं से मेल।।
बिन सतगुरु तेरा मिटे न भाई, जन्म मरण का खेल।
सतगुरु हैं दातारा दयालु, काटें यम की जेल।।
ना तूं किसी का कोई ना तेरा, झूठा जग का खेल।
एक मिनट में ढह जाएगा तेरा बना बनाया महल।।
अब तेरा मौका मिलन का, मतना रहे बेचेत।
ईब के मौका चूक गया तो, बड़े नरक की जेल।।
सतगुरु माइलाल ने जयकरण को, दिया अगम का भेद।
निर्भय हो के सत्संग करना, दया कमल में खेल।।
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