*1481 दो नैनो के बीच रमैया प्यारा रम गया है।।

रमैया प्यारा रम रहा हे हेली, दो नैनों के बीच।।
कोठे ऊपर कोठड़ा री हेली, जहां चढ़ बोला मोर।
मोर बेचारा क्या करें, जब घर में घुस गए चोर।।
                    माल वा का हड लिया हे।।
धोबन धोवे कपड़ा हेली री त्रिवेणी के घाट।
मछली साबुन ले गई, कुनबा देखे बाट।
                       लगन वाकी लग रही हे।।
उद्य कुआं मुख सांकड़ा रे हेली, लम्बी वा की डोर।
पांच सखी पानी भरें, भर लिया समंद झकोल।।
                      जंग वा की बज रही हे।।
कह कबीर धर्मीदास से री हेली, सुन्न शिखर के बीच।
सुन्न शिखर में चांदना हेली री, बिन बाती बिन तेल
                    चश्म वा की चस रही हे।।

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