*164। मेरी लागती ना गुरु बिन अखियां।।
मेरी लागती न गुरु बिन अंखियां।।
मैं भी रंगीली मेरा पियाभी रंगीला।
और रंगीली सारी सखियां।।
मैं भी जगाई मेरा सैया भी जगाया।
और जगाई सारी सखियां।।
प्रेम बाण सतगुरु हृदयमें लागे,
जोत जागे सारी रतिया।।
कहे कमांली कबीरा थारी बाली।
मेरी लख चौरासी सखियां।।
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