*1544 तुम साहब करतार हो हम बंदी तेरे।।

तुम साहब करतार हो हम बंदी तेरे।
रोम रोम गुनहगार हो, बख्सो हरि मेरे।।

दसों द्वारे मैल है सब गंदम गन्दा।
उत्तम तेरा नाम है, बिसरे सो अंधा।।

गुण तज के अवगुण किया तुम सब पहचानो।
तुमसे कहां छुपाइए तुम घटकी जानो।।

रहम करो रहमानजी, यह दास तुम्हारो। 
भक्ति पदार्थ दीजिए, आवागमन निवारो।।

गुरु सुखदेव उबार लो, अब मेहर करीजे।
चरण दास गरीब को अपना कर लीजे।।

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