*1272 घररररर-घररर गगना गाजे,ओमकार का घर न्यारा।।561।।
घरर घरर गगना गाजे, सोहम सोहम झंकारा।।
अकड़ बम बम बाजे नगाड़ा ओमकार का घर न्यारा।।
रंग महल में देख ले अवधू ,निराकार एक निरधारा।।
सोहमशिखर घर अटल ज्योत है, पहुंचेगा हरि का प्यारा।।
धन्य कारीगरी साहबी तेरी पॉर न पाया थारा।
सकल तीत में ब्रह्मा थरपिया, चेतन कर दिया पोबारा।
अटल तख्त पर औघड़ तापे, निराकार एक निर्धारा।।
सूर्त न मूर्त रूप नही रेखा, एक रंगी सब से न्यारा।।
ममता मार भरमगढ़ तोड़ा, जीत लिया जम का द्वारा।।
जालम गिरी सतगुरु के शरणमें, मैं चेला तुम गुरु म्हारा
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