*1291। गगन पर है देश हमारा चलो साहब।।

गगन पर है देश हमारा चलो साहब मिल जाएंगे।।

पढ़िया लिखीया सब ही थाका, बिन गुरु मर्म न पाए।
स्वर्ग नरक के बीच में देखो फिर फिर भटका खाए।।

पांच तत्व गुन तीन परे हैं, ता पर अलख लखाए।
चोदह लोक अगम के ऊपर, जा को काल ना खाए।।

अगम अनादि पुरुष है भाई, वाही रहे थीर थाए।
निराकार साकार नहीं है निर्गुण सरगुन नाए।।

दया परम गुरुदेव की रहिए चरण समांए।
काहे कबीरा धर्मी दास ने, बहुरी न जग में आए।।

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