लेटेस्ट कबीर भजन सूची।। sept 2024।।


1553 अखंड साहिब का नाम।। 682।।
228अखियां हरी दर्शन की प्यासी।।
691 अगत में मत ना बोले शूल 336।।
1485 अगम गवन कैसे करूं।। 651।।
1248 अगम घर चलना है 
1221 अगम लोक से सतगुरु आकर।। 
306 अगर है प्रेम दर्शन का।।
1005 अगर है प्रेम मिलने का।। 452।।
1039 अगर है मोक्ष की इच्छा।। 465।।
1448 अगर है ज्ञान को पाना।।
1019 अड़सठ तीर्थ नहा ले तू।। 458।।
1319 अचरज खेल अत्तंभा देखा।।
1329 अचरज देखा भारी रे साधु।।
374 अजब है यह दुनिया दस्तूर।।
1355 अजब फकीरी साहबी।।
1333 अटल फकीरी धुन लाइ।।
  714 अति कभी ना करना बंदे।। 343।।
    27 अन घड़ियां देवा।।
    26 अनघड की रे साधु।।
  333 अंदर अनमोल ना रे लाल।।
  676 अनमोल तेरा जीवन यूं ही गवा रहा।।330।।
        अनहद की टेर सुनाती है ब्रह्मानंद 284।।
1303 अनहद की धुन नारी साधु।। आई
  664 अपना मानुष जन्म सुधार।। 325।।
  698 अपनी आत्मा पहचान।। 338।। 
          अपने कर्म की गति में क्या जानूं 
              अपने को आप भूल कर।।                               1
1000 अपने  प्यारे सतगुरु जी का।। 450।।
  345 अपने हाथों फाँसी घाले।।
  242 अब कैसे छूटे राम धुन।।
अब कैसे प्रेम निभाऊ मैं।।
   19 अब कोई गुरुचरण चित लावे।।
   73अब जाना है अब जाना है।।
 268 अब तुम दया करो महादेव जी।।
 649 अब तो तजो नर रति विश यन की।।
 958 अब तो संभाल के चल मेरे मन।। 435।।
1403 अब पाई हमने परम गुरु की ओट।।
    74 अब पाया है अब पाया है।।
  389 अब मैं क्या करूं गुरु साइ।।
          1012 अब मैं कैसे प्रेम निभाऊ।। 455।।
1376 अब मैं भूला रे भाई।।
1132 अब समझ सुहागिन सुरता नार।।
696 अभी में क्यों ना मरी 338।।
1410 अमरगढ़ बांका है रे भाई।।
1409 अमरपुर ले चल ओ सजना।।
1413 अमरपुरी का ध्यान सतगुरु।।
317 अमल निज नाम का मेरे दाता।।
480 अरे तू दुनिया में आया।।
466 अरे बंदे क्यों नारायण को भूला।।
946 अलख निरंजन मन का मंजन।। 431।।
1302 अवगत की गति न्यारी साधु।।
1301 अवगत से चल आया रे।।
1281 अवधु अमल करे सो पावे।।                     2
1287 अवधु ऐसा देश हमार।।
1285 अवधू ऐसा देश हमारा।।
1288अवधू ऐसा ज्ञान बिचारी।। 
1279 अवधु कुदरत की गति न्यारी।।
1277 अवधू गगन घटा गहरानी।।
1278 अवधू जगन मंडल घर कीजे।।
1276 अवधू निरंजन जाल पसारा।।
1282 अवधू भूले को घर लाए।।
1283 अवधू माया तजी ना जाए।।
1284 अवध मेरा मन मतवाला।।
1289 1280 अवधूत साधक गति विचार।।
272 अवसर बहुत भला रे भाई।।
321 अविनाशी अविनाशी मने तो तेरे।।
905 आई रे मनवा आई आज तेरी बारी।। 417।।
301 आई सत्संग में जीत आई।।
751 आज के युग में मानवता।। 356।।
  44 आज तो आनंद हमारे।
   55 आज म्हारे गुरु जी का आवन होगा।।
   43 आज म्हारे रंग बरसे।।
   45 आज म्हारे सतगुरु को घर।।
1458 आज मेरे गुरुदेव ने बतलाया।। 638।।
1299 आज मोहे दर्शन देओ जी कबीर।।
1050 आ जा न शब्द की गैल।।
 115 आजा बंदे शरण राम की।।
  47 आनंद के लुटे खजाने।।
367 आया था नफा कमांवन।।
 119 आया था नर भजन करने को।।                 3
1142 आया नगरी में धोबिया सूजान।।
  18 आया मैं थारी शरणा।।
1314 आया है आया है बंजारा केशव।।
608 आवागमन मिटावे सतगुरु।।
870 आवेगा का तेरे काम नाम की।। 407।।
609 आशाओं का हुआ खात्मा।।
1347 आशिक मस्त फकीर हुआ।।
518 आशिक होना फिर सोना भी क्या रे।।
708 आसमान में उड़ने वाले।। 341।।
1324 इनमें कौन राम कहाया।।
704  722 इंसान जगत में आकर।।340।। 346।।
 110 इश्क करे तो कर हरी से।।
262 ईश्वर से करते जाना प्यार।।
267 ईश्वर तेरे दरबार की महिमा अपार है।।
1217 इस कायागढ़ की रेल में।।
171 इसको जगा ले सजनी।।
803 इस जगत सराय में।। 378।।
822 इस जग से सबको जाना।।
927 इसने में कैसे समझाऊं।। 425
1203 इस पिंजरे में बैठा हनसा ।। 535।।
822 इस जग से सब ने जाना।।
752 इस माटी के स्थूल का सतगुरु बिना।। 356।।
445 इस माया ठगनी ने।।
444 इस मोह माया की धार में।।
334 इस सत्संग रूपी लाल की।।
 127 इसी फिक्र में मीरा हुई रे बावली।।
          532 ईब तलक ना चेत किया।।                  4
553 उजड़ा लखीना तेरा बाग रे।।
986 उजियाला है उजियाला है।।
1206 उठ जाग मुसाफिर बावले के तेरी आंख।। 536।।
535 उठ जाग मुसाफिर भोर भई।।
520 उठ जाग सवेरा हो गया।।
उठ सवेरे जाना है।।
1439 उठ सुनन शिखर को चला दिखाऊं।।
1128 उठो उठो हे सूरत मेरी जागो।।
1119 उठ सवेरा जाग है।।
1433 उम्हाया मन उस घर का।।
570 उमरिया धोखा दे गई रे।।
559 उमरिया बीती जाए रे।।
560 उमरिया बिताय दई राम नहीं जाना।।
       558 उमरिया बीती जाए रे।।
उम्हाया मन उस घर का।।
1246 उस घर की कोई शुद्ध ना बतावे।।
उस घर की हमने खोल बता दे।।
235 उस साहिब ने याद कर।।
1320 एक अचंभा देखा मेरी मां।।
772 एक आया अचानक चोर नगरिया हमारी।। 365।।
1505 एक दिन उड़ें ताल के हंस।। 660।।
476 एक दिन ऐसा आएगा धन दौलत।।
      एक दिन ऐसा कलयुग आए।।
612 एक दिन जलेगी तेरी काया आग में।।
613 एक दिन घोघड़ आसी रे।।
621 एक दिन तो चलन होगा।।
434 एक दिन पड़ेगा सबको ही जाना।।                   5
1196 एक दिन पिंजरा खाली कर जाएगा।। 532।।
862 एक दिन सबको जाना होगा रीति यहीं।। 403।।
0003 एक नाम लग जाऊं गुरुजी थारे।।1।।
621 एक बार जीवित मरले रे।।
1357 एक रमता जोगी आया है।।
1325 एक राम दसरथ घर डोले।।
 112 एक हरि के नाम बिना।।
 273 ऐसा अवसर बार-बार नहीं आवे।।
 120 ऐसा ऐसा ख्याल विचारों भाई साधु।। हु
983 ऐसा ऐसा लगन लिखाया गरु ने।। 444।।
1061 ऐसा ऐसा शब्द लखाया हमारे सतगुरु।।
1287 ऐसा देश हमारा भइ अवधु।।
1421 ऐसा देश हमारा अवधू।।
677 ऐसी भूल दुनिया के अंदर।।331 
1461 ऐसा ज्ञान हमारा साधु।।
               ऐसी अटल धुन लाओ रे अवधु।।
453 ऐसी करी गुरुदेव दया।।
488 ऐसी कौन सपेरणा आई।।
        ऐसी गुरु मूरत की बलिहारी।।
373 ऐसी ताली रे लगाए चला जा।।
          ऐसी भूल दुनिया के अंदर।।
1399 ऐसी मौज हमारे साधू।।
934 ऐसी सेन समझ मन मेरा।। 427।।
             100 ऐसे गुरु मूर्ति बलीहारी
107 ऐसे हैं लोलीन सतगुरु।।
749 ओ काया गढ़ के वासी।। 355।।
            ओ पापी मन करले भजन बैग में तू पछताएगा।।190 ओ भोले पंछी सोच जरा।। 530।।
1546 और बात थारे काम ना आवे।। 679।।
552 क्या कर लेगा माली।।
       क्या गर्ज पड़ी संसार में।।     
1276 क्या गम पूछे मेरी अरे अवधू।।                 6
1243 क्या गावे घर दूर दिवाने।।
988 क्या ढूंढ रहे वन वन।। 446।।
767 क्या तन मांजता रे।। 362।।
699 क्या ने देख दीवाना हुआ रे।। 338।।
887 क्या पानी में मलमल नहाए।। 412।।
                क्या भूला दीवाने।।
825 क्या लेकर तू आया जग में।।
525 क्या सोवे सुमिरन की बरिया।।
209 क्यों कर मिलूं पिया अपने से।।
450 क्यों काया भटकावे माया।।
712 क्यों चले टेढ़-मेढ़ा।। 343।।
1513 क्यों चाल चले हैं काग की।। 663।।
836 क्यों जग को देख लुभाया।।
544 क्यों पड़ सोया उठ जाग रे।।
1530 क्यों पीवे तूं पानी हसिनी।। 669।।
1264 क्यों फंसा मरे जड़ वेद में।।
470 क्यों बना है पुतला मोह जाल का।।
788 क्यों भरम रहा संसार में।। 373।।
550 क्यों सोता पैर पसार रे।।
       534 क्यों सोए तू जग दीवाना।।
508 क्यों सोवे नींद भरम की।।
1474 कठिन चोट वैराग की।।
कठिन सांवरे की प्रीत।।
108 कदम उठाय पांव धर आगे।।
771 कदरदान मानस के आगे।। 364।।
246 कभी किया ना भजनवा कैसे बी।।
165 कभी गई ना गुरु के डेरे में।।                      7
324 कभी ना मैंला होय राम धन।।
671 कदे जन्म में कदे मरण में।।३२८।।
594 कदे जन्म में कदे मरण में न्यू के पास पड़े सजनी।।
172 कदे बाप के कभी पति के।।
568 कदे लिया ना हरी का नाम उमर।।
 126 कब आओगे गुरुजी हमारे देश।।
1232 कबीर मेरी नैया उसे पार लगा देना।।
463 करके माया का संयोग।।
कर गुजरान गरीबी में कोई दिन।।
1349 कर गुजरान गरीबी में मगरूरी किस पर ।।
1478 कर जिंदगी कुर्बान साथन म्हारी ह।। 650।।
703 करता क्यों इतना गुमान बंदे।। 340।।
1322 करता कर्म रेखा से न्यारा।।
1321 करता कर्म से न्यारा।।
325 कर दो नाम दीवाना गुरुजी।।
668 करना हो सो कर ले साधु।।३२७।।
237 कर भजन बंदगी बंदे।।
1274 कर महलों की सेल महल मतवाला है।।
1533 कर मेरे हंसा चेत।। 670।।
479 कर ले जतन हजार संग तेरे कुछ ना जाएगा।।
कर लेना सामान मुसाफिर।।
1517 कर ले भाई हंस सतपुरूसो से मेल।। 664।।
925 कर ले मन मेरा त्रिवेणी स्नान।। 424।।
964 कर ले रे मन राम नाम से मेल।। 437।।
277 कर ले सुमिरन घड़ीयां चार।।
1483 कर सतगुरु से प्रीत हेली।। 652।।
141 कर  सोलह सिंगार गुरु के देश जाऊंगी।।           8
 114 कर हरि नाम की कमाई बंदे।।
करियो सहाय महाराज गरीबी मेरी जान के।।
      758 करें काया का गुमान काया जल जाएगी।। 369।।
636 करें तो शुभ कर्म कर ले।।
1271 करो अगम निगम की सैल।।
2022 करो ओम नाम का सुमिरन मुक्ति मिल जाए।। 407
1273 करो रे मन गगन मंडल की सैल।।
944 करो रे मन वा दिन की तदबीर।। 430।।
557 करो हरि का भजन प्यारे उमरिया बीती।।
230 करो हरि का भजन या मंजिल पार हो जाएगी।।
1070 कह तो ले चलूं हे।।
744 कहां से आया कहां जाएगा। 354।।
1504 कहो पुरातन बात हंसा।। 660।।
654 काम ने सब जगह खाया।।
1186 काया का पिंजरा डोले रे।। 529।।
           काया कैसे रोई तज दिए प्राण।।
748 काया नगर गढ़ भारी।। 355।।
1534 काया नगरी में हंस बोलता।। 671।।
1539 काया रे तेरी पावनी।। 673।।
       कारीगर की चातरी।।
586 काल गति बलवान साधु।।
          काल ने जगत अजब भरमाया।।
 136 काला काला नाग हे मीरा।।
1295 काशी जी के वाशी रे साधु।।
    1 काहे की भेंट चढ़ाऊ गुरु थारे।।1।।
  61 काहे दूर जाए बंदे ईश्वर तेरे पास में।।
642 काहे बजाए शंख नगा।।
992 काहे रे वन खोजन जाई।। 447।।                 9
970 काहे सोच करे नर मन में।। 439।।
995 कित जाऊं मैं कीत जाऊं मैं।। 448।।
            किन संग करूं मैं लड़ाई।।
635 किया कर्म तेरे आगे आवे।।
    2 किस पर मैं जाऊं तुमको छोड़ दाता जी।।2।।
782 किस भूल में दीवाना हुआ रे।। 371।।
 256 किस विधि हरि गुण गाउं।।
689 कीचड़ में क्यों सोया रे।। 335।।
                कुछ लेना ना देना मगन रहना।।
        856 कुछ सोच समझ प्राणी तूने  जाना।।
717  कुब्घ ने छोड़ दे भाई।। 347।।
457 के के रूप धरा माया ने।।
917 के बांध गांठरी लाया रे बंदे।। 421।।
918 के मनवा मांन रे कही।। 421।।
919 के मनवा मांन रे कह्यो।।
531 के सोवे सुख नींद में रे।।
          866 कैसे जाए सखी मेरे मन के विचार।।
1467 कैसे मिलूं मैं पिया अपने को।।
524 कैसे सोया रे मुसाफिर आवे नींद घनी।।
207 कैसे हो हरि मेला रे।।
365 कोई आन करो व्यापार घाटा रहता ना।।
कोई आवे है कोई जावे।।
140 कोई कहियो रे गुरु आवन की।।
149कोई कुछ भी कहो रे मन लगा।।
1437 कोई गावे गुरु की महिमा सार।।
         1052 कोई चूड़ी ले लो आया शब्द मनियार।।
कोई दूर बतावे देशा हमने समझ।।
425कोई पिए रे रस राम नाम का।।                    10
874 कोई बदलेंगे हरिजन सूर मानव तेरी आदत को।। 408
952 कोई राम राम कोई हरि हरि बकता है संसार।। 433।।
401 कोई रोगी रोग कटा लो।।
400 कोई रोगी ले लो भाई।।
  632 कोई लाख करे चतुराई कर्मों के लेख मिटे ना।।
  632  कोई लाख करे चतुराई कर्म का लेख मिटे ना भाई।।
1456 कोई समझेंगे चतुर सुजान समझ गुरुदेव की।। 638
16 कोई समझे ना गुरु की बात को।।
       कोई सुनता है गुरु ज्ञानी। गगन में आवाज हो रही जिनी
363 कोई सौदा ले लो खुली धर्म की हॉट।।
319 कोई होवे अमली सतगुरु के नाम का।।
1327 कौन कहां से आया रे साधु।।
       कौन मरा और किसने रोवे।। आएए
1488।।कौन मिलावे मोहे पीव से।। 652।।
527 कौन वक्त सोवन की बारी।।
785 कौन सुने कौन माने कूए भांग पड़ी।। 372।।
378 कोय आवे है कोय जावै।। 378।।
खबरदार रहना रे मेरे भाई।।
  97 खसम बिना तेली का बैल भया।।
387 खेती भली कमाई।।
486 खेल तुम खेलो मेरे यार।।
खेल तेरे दो दिन के सारे।।
483 खेल समझ के खेलन लगे।।
1360 खोज करो नगरी में साधु।।
684 खो दिया जन्म फिजूल।। 333।।
507 गई जवानी बीत रहा क्यों होता है।।
               गई सत्संग में जीत ए जंग ने।।
1268 गगन की ओट निशाना है।।
1265 गगन गुफा के बीच में।।                         11
1270 गगन चढ़के देख ले पिया प्यारा।।
1291 गगन पर है देश हमारा।।
1266 गगन मंडल में अमिरस बरसे।।
1264 गगन मंडल में जाकर।।
1267 गगन मंडल लगा ताला।।
1263 गगन में आग लगी बड़ी भारी।।
1276 गगन में कोई हरिजन सेल करें।।
1260 गगन मैं जा चढ़ो भाई।।
1264 गगन में रे अलख पुरुष अविनाशी।।
         गगन में है देश हमारा चलो साहब मिल जाएंगे।।
378 गठरी३ कीत भूला रे मुसाफिर गठरी।।
381 गठरी छोड़ चला रे बंजारा।।
382 गठरी में लगे तेरे चोर।।
1405 गढ़ चेतन चढ़ देख ले।।
715 गंदी खोड अंधेरी तेरी रे।। 344।।
  96 गर्ज बिना कोई नहीं रे प्यारा।।
697 गर्व ना करो रे गवारा।।338।।
80 गलती है तेरे हिसाब में सतगुरु का।। 369।।
 135 गले में माला बनी भगतनी।।
539 गाढी नींद ना सोवे।।
574 गाफिल कैसे रे।।
1322 गुणी साच बता दे जीव कहां से आया।।
           191 गुमानी गोविंदा थारे चरण कमल पे वारी।।
  31 गुरु का नाम रटा भाई।।
            31 गुरु का नाम सुमर मन भाई रे।।
  32 गुरु का शरण ले भाई।।
791 गुरुओ ने आन जगाई हे सखी।। 374।।
487 गुरुओं ने बीन बजाई साधु मेरा मन पकड़ा।।        12
  30 गुरु कर दो बेड़ा पार जिस पर दया थारी।।
  31 गुरु कर दो बेड़ा पार जिस पर दया थारी।।२।।
1256 गुरु की मेहर हुई घर पाया।।
142 गुरु की लाडली हे तु क्यों ना प्रेम बदावे।।
1100 गुरु की शरण में आओ री सुरतिया।।
    17 गुरु के चरण में धरो ध्यान मान अभिमान।।
427 गुरु के बिना कोन बांधावे हमारी धीर।।
1020 गुरु के बिना बंदे तेरी कैसी होगी मुक्ति।।
  123 गुरु के बिना सुना हमारा देश।।
0010 गुरु के समान दाता और ना जहां में।।4।।
0011 गुरु के समान दाता कोई नहीं रे जग मामन।।4।।
0008 गुरु के समान नहीं दाता रे जग में।।3।।
0009 गुरु के समान नहीं दूसरा जहां में।।3।।
             गुरु खेय के पार लगाइए मेरी नाव।।
1447 गुरु गम ज्ञान एक न्यारा।।
गुरु चरण कमल बलिहारी।।
   35 गुरु चरण लगा रहे।।
 861 गुरु चरणों से प्रीत ना जोड़ी।। 403।।
   20 गुरुजी ओड निभाइयों मेरी।।
1234 गुरुजी तार दो मेरी फंसी भंवर में नया।।
       6 गुरुजी थारी महिमा न्यारी है।।2।।
   312 गुरुजी दर्शन की प्यास घनेरी।।
   388 गुरुजी दे दो आशीर्वाद खेती हम भी बोएंगे।।
     36 गुरुजी हमने अवगुण बहुत करें।।
  90 गुरु थारे बिना बिगड़ी ने कौन समारे।
287 गुरु दरिया में नहाना रे बंदे।।
52 गुरुदेव दया करके मुझको अपना लेना।।
411 गुरु नाम की दवाई जिसने खाई।।                  13
579 गुरु नाम को रट ले बंदे जीवन है यह थोड़ा।।
 72 गुरु नाम सुमर मन भाई रे तेरी सहज मुक्त हो जाई रे।
  40 गुरु ने झीनी वस्तु लखाइ।।
        गुरु बिना कौन उभारे जी 
  84 गुरु बिन कौन बतावे बात।।
 108 गुरु बिन कौन मिटावे भव दुख।।
  106 गुरु बिन कौन सहाई नरक में।।
   77 गुरु बिन घोर अंधेरा रे साधु भाई।।
       गुरु बिना जग अधियारा।।
           102 गुरु बिन जाओगे कौन बटिया।।
  79 गुरु बिन तेरा कौन सहाई है।।
  80गुरु बिन धक्के खाओगे।।
1249 गुरु बिना पावे ना वह तो घर और है।।
  82 गुरु बिन मुक्ति ना चाहे करले यतन हजार।।
  81 गुरु बिन मुक्ति ना होएगी रे मन चंचल भाई।।
  99 गुरु बिन विपदा हरे कौन भाई।।
  83 गुरु बिना ज्ञान नहीं मुक्ति कैसे पाओगे।।
  16 गुरु भजा सोई जीता रे जग में।।
1444 गुरु म्हारे ने दिनही है ज्ञान जड़ी।।
         गुरु मिल गए पुरमपूरा।।
1090 गुरु मिले खिलावन हार।।
1091 गुरु मिले पढ़ावन हार।।
             123 गुरु मिले पुरमपुरा।।
403 गुरु मेरा वैद्य है जी।।
1507 गुरु मेहर करें जब कागा से हंस बना दे।। 661।।
1306 गुरु रामानंद जी समझ पकड़ो मेरी बहिया।।
           गुरु दरिया में नहाना रे।।                      14
692  गुरु वचन हिये में धार।। 336।।
  39 गुरु वचनों को रखना संभाल के।।
 774 गुरुवर मेरा यह जीवन अब तो संभल दो।।
   21गुरु सुनियो अर्ज हमारी।।
गुरु से लगन कठिन है रे भाई।।
  29 गुरु हमको पार लगाओ जी।। 
1449 गुरु ज्ञान की भांग पिलाई।।
1308 गैबी लहर रजा की वाणी।।
1450 गुरु ज्ञान की हो बरसात।।
1356 गोरख जोगी बाबा नाथ पुकारे।।
986 घट का करो विचार साधु।। 445।।
993 घट पट में लखो हे दीदार।। 448
989 घट ही में अविनाशी साधु।। 446।।
160 घर कुनबे का ख्याल रहा ना।।
          1411 घर तेरा अमरपुर बंदे।।
1248 घररर घरर गगना गाजे।।
 188 घुंघट के पट खोल रे।।
850 घूम घूम के देखा सारे।। 397।।
1553 चढ़ जा रे हंसा अमर लोक में।।
 763 चमड़ा देख चमार बतावे।। 360।।
1161 चरखले वाली रे तेरा चरखा बोले राम राम।।
1171 चरखा कात सुधार री।।
1167 चरखा चले सूरत विरिहन का।।
1166 चरखा नहीं निगोड़ा चलता।।
1165 चरखा परे हटा माई।।
1162 चरखा परें हटा ले री मां।।
      चरखा रे सतगुरु ने खूब घड़ा मेरे भाई।।
1170 चरखा हालन लगा सारा।।                        15
1163 चरखे का भेद बता दे।।
1494 चल गुरुओं के देश हेली।।
932 चल मन हरि चटसाल पढ़ाऊं।। 426।।
362 चल सतगुरु की हाट सौदा महंगा है।।
1479 चल सतगुरु के द्वारा हेली।।649।।
1531 चल हंसा उसे देश जहां कभी मौत नहीं।। 670।।
1501 चल हंसा उस देश समंद विच मोती है।। 659।।
808 चला संसार छोड़कर।। 382।।
555 चली चली रे उमर बीत चली र।।
556 चली जा रही है उमर धीरे धीरे।।
1208 चली जा रही है जीवन की रेल।। 537।।
1482 चलो उसे देश में हेली।।650।।
850 चलो गुरु की नगरिया दुनिया से नाता तोड़ के।।
1407 चलो चले अमरपुर गांव में।।
178 चलो चलो सखी अब जाना।।
1434 चलो नर उस देश में।।
1082 चलो पिया के देश है मेरी सूरता।।
1254 चलो मुसाफिर अपने घर।।
914 चलो रे मन यहां नहीं रहना।। 420।।
1532 चलो हंस वही देश।। 670।।
1153 चादर हो गई बहुत पुरानी अब तो सोच समझ अभिमानी
 125 चांदी की दीवार को तोड़ा।।
818 चार दिन की जिंदगी है।।
611 चार दिनों की चमक चांदनी।।
  57 चाहे भूल जाए यह सारा जमाना।।
       634 चाहे लाख करो चतुराई कर्म का लेख मिटे ना।।
 384 चिड़िया चुग गई खेत मसाफिर।।
1537 चुग हंस मोती मानसरोवर ताल।। 672।।
1150 चुनर में दाग कहां लागा 
1146 चुनरिया ओढ़ने वाली है।।                          16
1385 चेतन चमन न्यारी साधु।।
1104 चेतन होकर जड़ने पूजा।।
1214 चेतन होजा रे मुसाफिर।।
      चेत रे नर चेत प्यारे।।
1291 चेला रे दिल दरिया हीरा भरा।।
533 चौरासी की नींद से।।
576 छम छम करता आवेगा जब।।
1212 छुक छुक जीवन की रेल चली।। 538।।
1209 छुक छुक रेल चली है जीवन की।। 537।।
730 छुड़वाइयों मेरे सैयां लगे यह ऐब निगोडे।। 349।।
1253 छैल चतुर रंग रसिया।।
       851छोड़ इस दुनिया को बंदे एक दिन जाना है।। 398
853 छोड़कर संसार जब तुम जाएगा।। 399।।
 121 छोड़ मत जइयो जी महाराज।।
881 छोड़ मन मेरा रे मन मुखिया रो सॉन्ग।। 411।।
480 छोड़ व्यर्थ अभियान त्याग दे।।
720 छोटा सा बनकर रहना।। 346।।
721 छोटा सा होकर हांड ले।। 346।।
              1348 जग जोगी वाला फेरा।।
855 जगत चला जाए यहां कोई ना रहना रे।। 400।।
807 जगत तज चलना है रे नादान।।
832 जगत में आकर रे बहुत गए ज़ख्मार।।
829 जगत में कोई नहीं तेरा रे।।
682 जगत में जीवन है दिन चार ।।333।।
837 जगत में जीवन है दिन चार।।२।। 391।।
854 जगत में राम नाम है सार।। 400।।
832 जगत में स्वार्थ का व्यवहार।।
1509 जगमग जगमग होई।। 661।।                   17
787 जग सपना की माया साधु।।
169 जगा ले सजनी बना सोवे हैं।।
 1144 जतन से जरा औढ चुनरी।।
340 जन्म तेरा हीरा है।।
  70 जन्म लिया ना लिया।।
1383 जप तप योग तपस्या साधन।।
755 जप ले हरि का नाम काया ना तोहे।। 358।।
219 जपले हरी का नाम वक्त गवाई न।।
1297 जपो रे मन केवल नाम कबीर।।
        जब तेरी डोली निकाली जाएगी।।
839 जब रहना नहीं संसार में दो दिन की।।
1228 जरा गाड़ी हल्के हांको मेरे।।
        जल भरा किले में ताल।।
1496 जहां हंस अमर हो जाए।।657।।
1518 जाएगा हंस अकेला।। 665।।
418 जा के पीए से अमर हो जाए।। 
536 जाग जाग नर जाग सवेरा।।
509 जाग जा मुसाफिर घना सोवे मत ना।।
537 जाग प्यारी अब क्या सोवे।।
        548 जाग मुसाफिर क्या सुख सोवे।। 
       जाग मुसाफिर देख।।
1064 जाग री जाग री मेरी सूरत सुहागी जाग री।।
526 जाग रे नर जाग दीवाना।।
540 जाग रे नर जाग प्यारे।।
541 जाग रे मुसाफिर ज्यादा सोना ठीक नहीं।।
543 जाग सखी उठ जाग है तेरे सतगुरु आए।।
530 जागो जागो रे मुसाफिर अब तो करो तैयारीया।।    18
1137 जागो जागो है ननंद मेरी जागो।।
1556 जागो रे माया के लोभी।। 683।।
796 जा टूट भरम के ताले।। 375।।
624 जाना पड़े जरूर एक दिन।।
596 जाना पड़े जरूर बंदे तू राही यमपुर का।।
1417 जाएंगे दीवाने देश फिर नहीं आएंगे।।
462 जित देखूँ  उत्त माया बैठी।।
1359 जिनके मन में निश्चय हो गई।।
      1046 जिनके लगी शब्द की सेल घायल।। 468।।
1462 जिनको ज्ञान हुआ था छोड़ चले।।
680 जिंदगानी भूल में लुट गई।। 332।।
1194 जिंदगी एक पंछी तो है।। 532।।
786 जिंदगी की बाजी प्यारे हार मत जाना ।।334।।
1526 जिंदगी में हजारों का मेला लगा।। 668।।
781 जिंदगी सुधार बंदे।।332।।
1023 जिंदा राम कहो या सतगुरु।। 460।।
जिन में लगी गुरु की ओट कारज उनका सरा।।
1300 जिया मत मार चेला मुआ मत लाना।।
           449 जिसकी ले केआई पूंजी।।
    1045 जिसके लागे शब्द की चोट दूजा क्या जाने भाई।।
1460 जिस को नहीं है बौद्ध तो गुरु ज्ञान क्या करें।।
309 जिस दिन गुरूजी तेरा दर्शन होगा।।
1372 जिसने आपा मारा वो सतगुरु संत।।
1374 जिसने जान अपना आप लिया।।
602 जिसने वचन सुने साहब के दरबार।।
761 जिसमें बोले से रमता राम।।360।।
             335 जीवडा दो दिन का मेहमान।।              19
996 जीव जीव में है वही।। 449।।
761 जिसमें बोलने से रमता रे राम।। 360।।
670 जी करके भतेरा देख लिया।।327।।
               जीवतडा मेहमान है।।
1207 जीवन तो भैया एक रेल है।। 537।।
             674 जीवन यह अनमोल रे इसे मिट्टी में।।329।।
673 जीवन यह अनमोल रे तूने यूं ही गुजर।। 329।।
675 जीवन है अनमोल इसके दाग लगाइए ना।।330।।
1339 जो आनंद संत फकीर के।।
1059 जो गुरु धर्म पर डट गए।।
 474 जोड़ जोड़ धर ले जितना बस जोड़ चला जाएगा।।
             जोड़ जोड़ भर लिए खजाने।।
            जोड़ो री कोई सूरत नाम से।।
1392 जो तीन लोक से न्यारा।।
1550 जो तुम पिया की लाडली री।। 681।।
1379 जो नैना अलख लखावे सो सतगुरु।।
1191जो मैं होता सोन चिरैया।। 530।।
1048 जो शिष्य धर्म पर डट गए।। 468।।
726 झूठ फरेब को मन से हटा कर।। 348।।
648 झूठ बराबर पाप नहीं है।।
830 झूठ सब जगत पसारा।।
799 झूठा है संसार रैन का सपना।। 377।।
800 झूठा है संसार सारा। 377।।
395 टांडा तो तेरा लद जाएगा बजारी।।
396 टांडा लाद चला बंजारा।।
443 ठगनी क्यों नैना घमकावे तेरे हाथ कबीर ना आवे।।
431 ठगियों की नगरी फंस गया।।
451 डर लगे और हांसी आवे।।                       20
954 डाटा ना डटेगा अरे।। 434।।
डाटा।।2।।
1429 डुगडुगी शहर में बाजी।।
757 डोर लागी रे गुरु संग।। 358।।
1057 ढूंढ शब्द में कन्यारी।। 472।।
  859 त्याग के न चलना होगा सतगुरु के दरबार में।। 402।
  827 तज आश जगत की भज ले निज नाम।।
        तज दिए प्राण काया रे कैसी रोई।।
1538 तजदे हंसा भूल भरम को।। 672।।
882 तजो रे मन हरि विमुखन को सन्ग।। 411।।
1463 तत्व ज्ञान के बारे में।।
          तन का क्यों करता गरुर। एक दिन जाना पड़े जरूर।
742 तन खोजा मन पाया रे साधु।। 354।।
743 तन धर सुखिया कोई ना देखा।। 354।।
741 तन मंदिर अंदर खेले है खेल खिलाड़ी।। 353।।
293 तन मन के मिटे विकार।।
769 तन मन धन की बाजी लाले।। 363।।
         768 तन राम का मंदिर साधु।। 362।।
193 तन मन शीश ईश अपने को।।
1545 तन सराय में जीव मुसाफिर।। 679।।
323 तनिक न तोड़ा जाए नाता नाम का।।
148 तने खबर नहीं ससुराल की।।
628 तने जाना होगा रे।।
      841 तने तो जाना होगा रे सारी दुनिया छोड़ के।। 393
1147 तने तो मेरा पिया मोहलिया री।।
1148 तने तो मेरा पिया मोह लिया है।।
593 तने धर्मराज के जाना ना कुकरम कर।।
672 तने नहीं आपा चिन्हा रे।। 328।।
770 तने मनुष्य धर लिया नाम।। 363।।                21
455 तने माया रे बटोरी हरि नाम ना लिया।।
341 तने मिला यह हीरा कीमती।।
657 तने व्यर्था जिंदगी खोई है 
      तूने रमता राम भुलाया रे। 
446 तने सुमरा न हरि नाम मोह माया के चक्कर में।।
 116 तने हरि नाम ना गाया।।
600 तमाशा थोड़े से दिन का।।
           तारा है सारा जमाना गुरु हमको भी तारों।।
484 ताश तुम खेलो रे भाई।।
1388 तीन पांच से जगत रचाया।।
1014 तूं कर प्रभु से प्रीत।। 456।।
357 तूं कर ले एक वकील मुकदमा भारी है।।
358 तू कर ले गुरु वकील।।
      तू कर बंदगी और भजन धरे-धीरे।।
240 तू कर भजन भगवान का इंसान बावले।।
821 तू किस लिए जग में आया रे बंदे।।
985 तू खोजना किसे फिरे तेरे घट में।। 445।।
1269 तू चढ़ जा गगन के बीच।।
तू चाली जा हे मार्ग अपने को।।
181 तू झीने रास्ते जइए हो।।
1179 तू तो उड़ता पंछी यार तेरा।। 527।।
1317 तू तो कोई गजब है।।
390 तू तो गफलत में सो गया रखवाला।।
1120 तू तो चल साजन के देश।।
तू तो सत्संग करता रहिए रे।।
 122 तू तो से मेली सी नार।।
521 तूं दे निदरा ने त्याग।।                                22
1043 तूं  पकड़ शब्द की डोर है सखी।। 467।।
174 तू तो फंसी काल के जाल।।
302 तू तो सत्संग करता रहिए र।।
569 तू भजले सतनाम उमर रही थोड़ी।।
597 तू बचना चाहवे यमसे।।
217 तू भज ले हरि का नाम तेरे काम आएगा।।
1426 तूं राम भजनमें लग जा।।
232 तूं  राम सुमर ले मंजिल दूर पड़ी।।
                तूं ले जा रे दवाई निज नाम की।।
1061 तू शब्दों का दास रे जोगी।।
1051 तू समझ देख ले सतगुरु शब्द आधार।।
तू ही तू ही याद मोहे आवे रे दर्द में।
1368 तुम देखो बाबा संत करें बादशाही।।
1201 तुम पढ़ो री मेंना।। 534।।
1204 तुम पढ़ो रे तोता।। 535।।
139 तुम पलक उघाड़ो दीनानाथ।।
138 तु म्हारी भी बनाई हो महाराज।।
       तुम साहब करतार हो हम बंदी तेरे।।
1371 तुम सुनियो संत सुजन गर्भ नहीं करना रे।।
  22 तुम सुनियो दयाल मेरी मर्जी।।
1465 तूर्यपद में आसन लाकर।।
तू राम भजन में लग जा।।
  14 तू ही तू ही याद मोह आवे रे दर्द में।।
336 तेरा किसने लाल चुराया।।
167 तेरा कुंज गली में भगवान।।
            1086 तेरा गुरु से मिलन कैसे होगा हे।।
385 तेरा चिड़िया ने खा लिया खेत।।
386 तेरा चिड़िया ने खा लिया खेत।।2।।               23
405 तेरा जन्म मरण कटे रोग।।
  51 तेरा जन्म मरण मिट जाए गुरु का नाम रातों प्यार।।
481 तेरा जीवन तो जुए का खेल है।।
227 तेरा जीवन है बेकार गुरु ज्ञान के बिना।।
1442 तेरा जीवन है बेकार भजन बिना दुनिया में।।
277 तेरा गांव लगा है खूब।।
तेरा मंदिर मेला है इसमें राम कहां से आए।।
371 तेरा मेला लगा बाजार।।
310 तेरा मैं दीदार दीवाना।।
158 तेरा लेकर नाम रहूंगी।।
               तेरा साहब तुझ में है भरम पड़ो मत कोई।।
 734 तेरा सूना मनुष्य शरीर प्यारे गुरु बिना।। 351।।
 735 तेरा सूना मनुष्य शरीर प्यारे गुरु बिना।। दो।। 351।।
1062 तेरा हरी से मिलन कैसे होए।।
1063 तेरा हरी से मिलन कैसे होए गली तो।।2।।
1003 तेरी आनंद हो जाए काया।। 451।।
 748 तेरी काया के अंदर छोटा सा।। 357।।
 732 तेरी काया नगर का कौन धनी।। 350।।
 750 तेरी काया नगर का हीरा।। 355।।
 759 तेरी काया में गुलजार।। 359।।
237 तेरी किस्मत माड़ी जो कहे राम ने।।
556 तेरी गई उमरिया बीत।।
347 तेरी गुदड़ी में हीरा जड़ा।।
 665 तेरी जन्म जन्म की कट जाए बेडी।।325।।
 892 तेरी दूरमति कौन मिटावे।। 414।।
218 तेरी बिगड़ी बात बन जाए गुरु का नाम प्यार।।
562 तेरी बीत उमरिया जाएगी रे।।
566 तेरी बीती जाए उमरिया हरि के नाम बिना।।          24
       452 तेरी माया है अपरंपार सतगुरु।।
  64 तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना।।
1032 तेरी याद सतावे मैंने पल पल रलावे।। 463।।
1250 तेरे अगले घर में रोज खड़क रहे तार।।
410 तेरे कोना बस का रोग।।
987 तेरे घट में झलका जोर।। 446।।
997  तेरे घाट में सर्जन हार।। 449।।
448 तेरे जीवन के दिन कर मत फंसे सहेली माया में।।
702 तेरे जैसे बहुत गाने मर गए।। 340।।
265 तेरे द्वार खड़ा भगवान भगत भर दे।।
1439 तेरे दुख कटे अविनाशी।।
326 तेरे नाम पर आशिक हो गए और किस पर।।
1123 तेरे बंधन कट जा सारे।।
1153 तेरे मन की चादर मैली है।।
1328 तेरे सब दिन बंदे रहते ना एक समान।।
198 तेरे दोजख दोस मिटाले।।
614 तोड़ चलेगा जग से नाता।।
895 तोरा मन दर्पण कहलाए।। 415।।
745 थारी काया कमडती नारी को।। 355।।
415 थारी काया रहे अलमस्त।।
 113 थे ऊपर ने पैर तले न सिर तेरा।।
998 थोड़ा ध्यान लगा गुरुवर दौड़ेआएंगे।। 449।।
616 दम निकले पीछे घड़ी ए न राखे कोई।।
 103 दया सिंधु दातार दयाकरो मेरी।।
412 दर्द ने चूंट खाई रे।।
1342 दर्श दीवाना बावला अल मस्त फकीरा।।
          304 दर्शन दियो जी दीदार।।
313 दर्श देख दिल में छका।।                          25
315 दर्शन बिन जियरा तरसे रे।।
213 दर्शन सदा राम मोहि दीजे।।
311 दर्श बिन दुखन लगे नयन।।
  62 दाता तुमने काज बनाय जी सबन के।।
186 दिखा दे यार अब मुखड़ा।।
1160 दिन दिन मैली होय चुनरिया।।
1138 दिन दिन मेली हो चुनरिया।।2।।
दिन दिन मैली होय चूनरिया।।3।।
976 दिया तो चासो भाई गुरु की लगन का।। 441।।
797 दिया है भरमगढ़ तोड़।। 376।।
943 दिल दे दिया सतगुरु प्यारे नू।। 430।।
1490 दिल मेंहरम की बात।। 653।।
314 दिला दे भीख दर्शन की।।
249 दीनदयाल भरोसे तेरे।।
794 दीवानी दुनिया रे यो भूला है जग सारा।। 794।।
523 दीवाने जाग जा रे।।
766 दुइ ने छोड़ एक होले।। 372
652 दुख आया है बंदे।।
435 दुख पावेगा बंदे मोह के जाल।।
651 दुख में मत घबराना साथी।।
845  दुनिया खा रही धोखा साधो भाई।।
350 दुनिया में तेरा कोई ना मित्र प्यारा।।
847 दुनिया में हो बाबा नहीं है गुजारा।। 395।।
842 दुनिया से हम हारे तो आए तेरे द्वार।। 393।।
1544 दुविधा को कर दूर धनी को।। 679।।
408 दूर धाम से चलकर।।
1305 देख कबीरा रोया संसार के लिए।।
248 देख तमाशा रे डाट लोभी मन को।। 432।।          26
817 देख तेरे संसार की हालत।।
915 देख तेरे ही मन मंदिर में।। 420।।
        देख नजरों से।।
546 देख प्यार मैं समझाऊं।।
812 देख लिया संसार हमने देख लिया।।
          देखा अजब खिलाड़ी साधु।।
       1286   देखा देखी खेल है अवधू।।
1432 देखा देश अनोखा।।
1436 देखा देश अपारी साधो।।
296 देखी अजब निराली महिमा सत्संग की।।
  66 देखो रे भाई अपने स्वामी का नूर।।
784 देखो रे लोगो भूल भुलैया का तमाशा।। 371।।
826 देखो सब जाग जाए बहा।।
1001 दे ध्यान जरा।। 451।।
1522 देश विराना रे हंसा।। 666।।
1188 दे हरि वचनों पर ध्यान तोता उड़ जाएगा।। 529।।
765 देहि ने के धोवे मलमल के।। 361।।
322 दौड़ सब मेटी है।।
661 दो जगदीश कहां से आया।।
835 दो दिन का जग में मेला सब चला चली।।
610 दो दिन का है डेरा सवेरे जाना है।।
688 दो दिन की जिंदगानी रे प्राणी ।।335।।
724 दो दिन की जिंदगी इतरावे क्यों।। 347।।
1481 दो नैनो के बीच रमैया प्यारा।।650।।
1002 ध्यान का वादा करके सजन।। 452।।
660 धत तेरा दरबार दाता धत ही दरबार।।
725 धन जोबन और काया नगर की।। 347।।          27
690 धन माया रंग रूप का।। 335।।
1290 धन धन सत्य कबीर भव पार मिटाने वाले।।
       धन्य हो धन्य साहब बलिहारी।।
1311 धरती धन्य जहां पर जन्मे।।
633 धर्म कर्म दीए छोड़।।
1117 धर ले सूरता ध्यान हे।।
1108 धाम दिनोद में चलिए सुरता।।
429 धीरज क्यों ना धरे रे लोभी मन।।
428 धीरज क्यों ना धरे लोभी मन।।2।।
426 धीरा रे मन धीरा।।
923 धीरे-धीरे मोड़ तू इस मन को।। 423।।
             धोखे में मुक्ति मानी साधो भाई।।
490 धोबीया जल बिन मरे प्यासा।।
1136 धो ले न काया चुनरी।।
991 नजर से देख ले भाई।। 448।।
260 नजर भर देख ले मुझको।।
261 नजर भर देख ले मुझको।।2।।
  72 नजरों से देख प्यारे, मैं हूं तेरे पास में।।
  65 नजरों से देख प्यार वह क्या दिख रहा है।।
1227 नदिया गहरी नाव पुरानी।।
402 नब्ज या वैद्य क्या देखें।।
    4 नमो नमो म्हारे गुरुदेव को।।2।।
194 नमो निरंजन3 स्वामी।।
779 नर कपट खटाई त्याग।। 368।।
693 नर काहे करे गुमान।।337।।
734 नर कितनी ए कर चतुराई।। 353।।
716 नर कितने खपगे।। 344।।
471 नर चेत गुमानी माया ना संग चले।।                28
587 नर चेत ले बुढ़ापा आएगा।।
695 नर छोड़ दे कूबध कमान ।।337।
672 नर जन्म अमोलक खोया रे।।३२८।।
नर तू बचना चाहवे यम से।।
418 नर  तेरी काया रत्न अमोल।।
620 नर धोखें धोखे लुट गए।।
          नर यूं ही देह धरी रे।।
1438 नर सोच समझ के चलिए रे मन मूरख देश पराया।।
1521 नहा हंसा नहा हंसा।। 666।।
679 नहीं भरोसा कुछ भी बंदे ।।332।।
354 नही रे कोई धुर का मीता।।
646 ना जाने तेरा साहब कैसा है।।
472 नाथ तेरा माया जाल बछाया।।
999 ना ध्यान हरि में लाया रे इंसान बावले।। 450।।
441 ना ना रूप धर मोहे।।
1183 ना का भरोसा किसी बात का।। 128।।
281 नाम का सुमिरन करके।।
   50  नाम की जड़ी रे हरि नाम की जड़ी।।
328 नाम गुरु का जप ले बंदे।।
332 नाम निरंजन गाओ साधो।।
327 नाम निरंजन नीको साधु।।
790 नाम बिन भरम करम नहीं छूटे।। 373।।
  49 नाम लखा दिजो थारे पायाँ लागूं।।
329 नाम सुमिर ले सुकृत कर ले।।
320 नाम से मिला ना कोई रे साधो।।
252 नाम हरि का जप ले बंदे।।
578 नाम हरि का जपले बंदे जीवन है यह थोड़ा।।              29
1193 नारायण नारायण बोल तोते।। 531।।
1228 नाव तेरी मझदार किनारे।।
604 नाशवान की आस में।।
              1346 ना समझे यह मूर्ख लोग।।
1085 ना सोवे सूरत सुहागिन तुझे पिया मिलेबड भाग्य से।।
211 नित्यानंद छक रहे नूर में।।
1404 निंदक यार हमारा सधु।।
512 निद्रा बेच दूं कोई ले तो।।
513 नींदरिया तोहे बेच आऊं।।
690 निंदा चुगली ईर्ष्या में ।।336।।
          240 नींद से अब जाग बंदे।।
419 निरंजनपुर का पथ कठिन है।।
994 निरंजन माला घट में फिरे दिन-रात।। 448।।
       निर्भय देश के माही हमने राज जमाया।।
540 नींद से अब जाग बंदे।।
775 नुगरा मत मिलियों।। 366।।
1231 नैया बोझ भरी गुरु जी मेरी।।
197 प्यास दर्श की लग रही।।
582 पछताएगा अ रे पछताएगा काल सिरहाने।।
571 पछताएगा पछताएगा फिर बेला हाथ।।
        पढ़ सुगना सतनाम बैठ तन ताक में।।
1198 पंछीड़ा लाल आसी रे।। 533।।
1182 पंछी बिन पिंजरा आवे भला किस काम।। 528।।
 863 पंथीड़ा पंथ बांका रे।। 404।।
  661 पंडित बाद बदे सो झूठा।।
 129 पपीया बैरी रे पिया पिया मत बोल।।
202 प्रभु जी दीजो दर्श सुखार।। यू।। 680।।
352 प्रभु तुम सच्चे मन के मीता।।                      30
1238 प्रभु मेरी नैया को।।
1006 प्रेम का मार्ग बांका रे।। 453।।
1008 प्रेम की बात निराली है।। 453।।
                प्रेम नगर मत जाना मुसाफिर।।
1007 प्रेम प्रीत की रीत सुहेली।। 453।।
1010 प्रेम बिना ना सतगुरु मिलता।। 454।।
1096 पहरों पहरों हे सुहागन सूरता नार।।
776 पाखंड में कुछ नाहीं साधु।। 367।।
778 पाखंड की दुनिया कहो ना कैसे तरिया।।
1164 पांच तत्व और तीन गुणों में।।
706 पांच तत्व का बनापुतला।। 341।।
1156 पांच तत्व की बनी है चादर।।
1164 पांचों हे तत्व मिला के।।
823 पानी बीच बताशा।।
469 पानी में मीन प्यासी।।
                1439 पाया अमरपुर में वास।।
1491 पाया निजी नाम हेली।। 653।।
 337 पाया रे पाया सत्संग में मोती पाया।।
  58 पाया है अब पाया है हमारे सतगुरु भेद बताया है।।109 पायो जी मैंने राम रतन धन पायो।।
1178 पिंजरा तोड़ चला जाएगा।। 526।।
1187 पिंजरे की मैना बोल।। 529।।
1185 पिंजरे के पंछी रे तेरा दर्द न जाने कोई।। 529।।
196 पिया क्यों न ली हो खबरिया हमारी।।
 1472 पिया के फिक्र में भई मैं दिवानी।। 646।।
148  पिया चलो नगरिया हमारी रे।।
1471 पिया पाया हेली तेरा हे।। 646।।
1466 पिया मिलन का योग है।।
            पिया मिलन की लगन सजन मोहे।।                31
1329  पिया मिलन के काज आज जोगन बन जाऊंगी।।
175 पी पी मत ना बोल पपीहा रे।।
            1007 पिला दे प्रेम का प्याला।।
413 पी ले न भाई पी ले।।
414 पी ले पी ले रे मना।।
331 पीले प्रेम का प्याला चाहना अग्नि मंद पड़े।।
421 पीले प्याला हो मतवाला।।
1473 पीव मिलन का मौका भला।।
1145 पिहर में दाग लगा आई चूनरी।।
1508 पूर्ण गढ़ चल भाई हनसा रे।। 661।।
806 पैदा सो नापैद जगत में।। 379।।
1343 फकीरा कैसी सस्ती फकीरी पाई।।
1345 फकीरा बिन धूनी के तप्ता।।
1338 फकीरी में मजा जिसको।।
1352 फकीरी मेरी आप निभाओगे।।
1344 फकीरी सदा अखंड निजामुल।।
     280  फिर तुम कब सुमरोगे नाम।।
1453 फीका लागे रे सिपाही सरदार।।
 1543 बक्शों जी थारी याद याद बिना हम दुखी।।  678।।
          बचाइयो बाबा कुतिया बैर पड़ी।।
1018 बता दे मोक्ष का मार्ग।। 458।।
884 बदला जा हो मनवा हो जाएगा बेड़ा पार।। 411।।
1176 बंगला अजब दिया करतार।।
1173 बंगला अजब बनाया खूब।।
1172 बंगला खूब बना दरवेश।।
394बनज कैसे किया रे मेरे लालो के व्यापारी।।
392 बंजारन अखियां खोल।।                            32
1337 बंदी छोड़ छुड़ा ले।।
1004 बंदे कब ध्यान लगाएगा।। 452।।
1211 बंदे नाम की गाड़ी।। 538।।
622 बंदे चलेगा तेरा कोई ना बहाना।।
         बंदे बंदगी मत छोड़।।
562 वंदे बीती उमरिया छूटेगी नगरिया।।
264 वंदे रट ईश्वर की माला।।
  26 बंदे सतगुरु सतगुरु बोल तेरा क्या लगेगा।।
728 बंदे सोच समझ के चला गलती में।।
666 बंदे हरिका गुण नहीं गाया।।२।।
607 बंधन काटियो मुरारी मेरे मन के।।
        बना है तू पुतला मोह जाल का।।
660 बरज रही मैं इन विषयों से।।
 56  बरसेगा बरसेगा तुम करो हरी से प्यार।।
बरसे नूर लहरिया संतो।।
               ब्रह्म एक पहचान लिया।।
931 बसा हुआ भगवान सबके मन मंदिर में।। 426।।
1169 बहना विरूथा जन्म गुमाया।।
1240 बहुत दूर वह घर है साधो।।
                बहे प्रेम की धार में कोई बिरला संत।।
154 बाजा बाजा री मा अनहद तूरा।।
619 बाजा अंत समय का बाजा।।
499 बाण मेरे मारा है।।
496 बाण हरि का लगा है।।
883 बाना बदलो सो सो बार।। 411।।
1330 बादल झुक आया मेरा भीगा।।
1332 बादल झुक आया मेरी भीगी रही काया।।
1305 बाबा कबीर गुरु पूरा है।।
432 बाबा भाग बिलैया झपटी।।
960 बार-बार तूने में समझाऊं समझ मेरे मन।। 436।।  33
663 बार-बार नहीं आवे रे जन्म तेरा।। 667।।
169 बाहर ढूंढने जा मत सजनी।।
बिचाले बैठ लेना हे।।
1021 बिन सतगुरु के भजनबिना तेरीमुक्ति ना होती।। 459
305 बिन सत्संग के मेरे नहीं दिल को करारी है।।
1475 बिन सतगुरु पाव नहीं जन्म धरो।।
                 बिना भेद बाहर मत भटको।।
1375 बिना रमझ समझ नहीं पावे।।
               बिना वैराग्य कहो ज्ञान किस काम का।।
                 1276 बीजों खेत निराला अवधू।।
711 बीत गई सो बात गई रे।। 342।।
118 बीत गए दिन भजन बिना रे।।43।।
           1016 बगुला भक्ति करके बदे।।
7   बूटी गुरु ने पिलाई मैंनेहौस ना।।
271 बुढली सुमिरन कर ले पड़े भजन में सीर।।
588 बुढ़ापा तेरी कोई न बूझेगा बात।।
147 बे देहिया चतन चोर मेरा मन मोह लिया रे।।
351 बैरी तेरा कोई नहीं रे।।
1241 बोल कहां घर तेरा पगले।।
1400 बोलता नजर नहीं आया।।
1199 बोल सुआ राम राम मीठी मीठी वाणी रे।। 533।।
1034 भक्त वत्सल भगतन सुखदाई।। 464।।
1035 भक्ति कर सतगुरु की बंदे।। 464।।
1033 भक्ति करो निज तत्व की।। 463।।
1029 भक्ति का मार्ग झीना रे।। 462।।
1028 भक्ति के घर दूर बावले।। 462।।
1030 भक्ति ज्ञान गुरु दीजिए।। 462।।
1027 भक्ति भजन फिर करना पहले।। 461।।
643 भक्तों वश भगवान कहे।।                            34
1537 भगवान मेरी नैया उस पर लगा देना।।
 118 भजन कर राम दुहाई रे।।
1535 भजन करले बीती जाए घड़ी।।
238 भजन करो भाई रे ऐसा तन पाए के।।
247 भजन के बिना रे तेरे बैल है लदनिया।।
601 भजन गढ़ बांध ले रे।।
220 भजन बंदगी कर सतगुरु की।।१।।
221 भजन बंदगी कर सतगुरु की।।२।।
222 भजन बंदगी कर सतगुरु की।।३।।
  94 भजन बिना कोई न जागे रे।।
  93 भजन बिना फिरें जा लाख चौरासी।।
857 भजन बिन बने खवारी रे।। 403।।
  105 भजन बिन भवजल कौन तरे।।
1024 भजन बिना रे तेरी कैसे होगी मुक्ति।। 460।।
  92 भजन बिना व्यर्था  जन्म गया।।
भजन बिना व्यर्था ही ऊंट बड़े।।
1025 भजन में रस ही रस आवे।। 461।।
239 भज ले राधा स्वामी तेरे काम आएगा।।
1194 भज ले  हरि का नाम तोता।। 532।।
       117  भज ले हरि को एक दिन तो है जाना।।
1510 भज हंसा हरी नाम जगत में।। 662।।
            भजो रे भैया राम गोविंद हरी।।
792 भटकता क्यों फिरे बन बन।। 374।।
510 भतेरा सो लिया रे।।
भरमत डोले पट ना खोलें।।
705 भरा छल रग रग में तेरे बदे।। 341।।
         भरा सत्संग का दरिया।।
1233 भरोसे थारे चाले रे सतगुरु मेरी नाव।।
  42 भला हे दिन उज्ञा।।                                   35
672 भंवरे मिलकर मजा उड़ा ले।।
617 भाई अंत समय में काम ना आवे तेरा रोना।।
  15 भाई तूंकर गुरुओं से प्यार।।
248 भाई तुम राम नाम चित धरता।।
366 भाई तू स्याना कौन्या गेर लिया।।
850 भाई तेरा कोई ना अपना सै।। 398।।
337 भाई तेरा चोला रतन अमोला।।
724 भाई तेरी मैं रल जागी रेत में।। 348।।     
1184 भाई पिंजरे के पंछी रे।। 528।।
902 भाई मैं नित्य कहूं समझाय।। 416।।
1251 भाई रे यो ना तेरा मकान।।
1451 भाई रे ज्ञान बिना पच मरता।।
290 भाई सत्संग हो रहा सच्चे गुरु के दरबार।।
270 भाई साधन कर ले पड़े भजन में सीर।।
               भाग बड़े सत्संग पधारे।।
                1315 भाग रे भाग फकीर के बालका।।
291 भाग्यवान घर होवे सतगुरु के दर्शन।।
292 भाग्यवान घर होवे संतों का सत्संग।।
1427 भूल गई रास्ता में तो भूलि रे ठिकाना।।
1083 भूल भरम का सुरता तेरे भरोसा सै।।
1244 भूला लोग कहे घर मेरा।।
907 भूले मन समझ के लाद लदनिया।। 418।।
591 भोली बुढ़िया के आए लणिहार।।
592 भोली बुढ़िया है तू क्यों ना।।
1157 म्हारी आओ बहन सत्संग में।।
1133 म्हारी सूरत सुहागन जागी री।।
736 म्हारे अवगुण भरे हैं शरीर।। 352।।      २।।
737 म्हारे अवगुण भरे हैं शरीर।। 352।।      ३।।      36
738 म्हारे अवगुण भरे हैं शरीर।। 352।।       १।।
     7 म्हारे गुरु की चरण की धूल मस्तक लग रही।।3।।
335 म्हारे गुरु ने दी है बताएं।।
1154 म्हारे गुरु राम रस भीनी।। 
497 म्हारे प्रेम विरह के बाण।।
199 म्हारे प्रेम संदेशी गुरु आए।।
180 म्हारे सतगुरु दीनदयाल हे सखी।।
1492  म्हारे सतगुरु दे रहे हेला।। 654।।
496 म्हारे सतगुरु ने मारा से बाण।।
1440 म्हारे साधु भाई सुनो जी बात अगम की।।
मृगा नाभि में कस्तूरी।।
274 मत अवसर खोवै हे।।
          338 मत कर तू अभिमान बंदे।।
746 मत प्रेम करो इस काया से।। 355।।
380 मत बांधो गठरिया अपयस की।।
719 मत बीज बिघन के बोवे।। 345।।
              मत बुरे कर्म कर बंदे वरना पछताएगा।।  
694 मत बोवे बदी के बीज ।।337।।
मत मारे हे बंजारी।।
810 मतलब का संसार पगले।।
811 मतलब का संसार होस कर चलिए।।
1520 मत लूटे हंस रास्ते में।। 666।।
1540 मत लूटे हंस रास्ते में।।2।।673।।
 132 मतवाली मीरा सत्संग करती डोले।।
580 मत रोको काल हरामि।।
549 मत सोना मुसाफिर नींद भरी।।
1408 मथुरा जाऊं ना मैं काशी।।                         37
1382 मंगते फिरें हजार साधुजन कोई कोई।।
 124 मंदिर जाती मीरा ने सांवरिया मिल गया रे।।
मंदिर मस्जिद जाकर प्राणी ढूंढ रहा।।
888 मन ऐसा ब्याह करवा रे।। 413।।
965 मन क्यों भूल रहा दुनिया की मौज में।। 438।।
मन क्यों भूला रहा दुनिया की मौज में।।
929 मन करले साहब से प्रीत।। 425।।
890 मन कहां लगा लिया रे।। 413।।
            मन का धोखा भाज्या साधो भाई।।
185 मन का मरण लगा परिवार।।
935 मन का मेल ना धोवे।। 427।।
904 मन की जो फेरे माला जोगी जन।। 417।।
924 मन की तरंग मार लो।। 423।।
967 मन की बात ना मानो साधु।। 438।।
              863 मन को जमा रे बंदे मैल मत राखे।।
901 मन को डांट ले गुरु वचन पर।। 816।।
899 मन को लगाए पिया पावे रे साधु।। 415।।
906 मन खोज ले मिले अविनाशी।। 417।।
933 मन तू माने ना मेरी मति मारी।। 426।।
             मन तुम नाहक द्वंद मचायो।।
873 मन तेरी चाल समझ ना आई।। 408।।
1177 मन तोते तेरी बंद छूट गई।। 526।।
945 मन ना रंगाया रंगाए जोगी कपड़े।। 431।।
876 मन नेकी कर ले दो दिन का मेहमान।। 409।।
963 मन पकड़े शो सुरा।। 437।।
908 मन परदेसी रे जहां ना तेरा देश।। 418।।
898 मन भजन करेजा भूला क्यों।। 415।।
971 मन भाती है मन भाती है।। 439।।
       मन भोला जाने गुजर गई रे गजरान।।
911 मन मगन हुआ अब क्या गावे।। 419।।              38
910 मन मगन हुआ फिर क्या डोले।। 419।।
893 मन मार सूरत में डटो रे।। 414।।
919 मनमुख मान चाहे मत मान।। 421।।
मन मूर्ख अखियां खोल।।
909 मन मेरा हो हो चल परम फकीर।। 418।।
949मन में सोच विचार बुलबुला पानी का।। 432।।
897 मन रहना होशियार एक दिन कर आएगा।। 415।।
894 मन राम सुमर ले ला ले गुरु में ध्यान।। 414।।
920 मन रे अबकी बार संभालो।। 422।।
1340 मन लेले राम फकीरी में।।
950 मन लोभी तू तो लुट गया रे संसार में।। 432।।
       मनवा उल्टी।।
885 मनवा तुम किसका सरदार।। 412।।
886 मनवा बना मदारी रे।। 412।।
880 मन रे क्यों भुला मेरे भाई।। 410।।
मन ला ले यार फकीरी में।।
मन लोभी रे तू तो लुट गया संसार में।।
865 मनवा उल्टी तेरी प्रीत।। 405।।
648 मनवा रे तज विषयों का संग।।
916 मनवा रे राम भजन।। 420।।
875 मनवा लगा मेरा राम फकीरी में।। 408।।
969 मनवा सोच समझ के देख ले सब संसार।। 439।।
590 मने ईब के बचा ले मेरी मां।।
 130 मने गुरु मिले रविदास।।
344 मैंने पाया नगीना सतगुरु मिल गया परा।।
     मने लगन लगी गुरु पवन की।।
1141 मने लागे चुनरिया प्यारी।।
1056 मने सुनी शब्द की लहरी।।                           39
460 ममता तू ना गई मेरे मन से।।
343 मृगा नाभि में कस्तूरी।।
1428 मरहम हो सोई जाने भाई साधो।।
1230 मलाह के मेरी नाव किनारे।।
208 मस्ताना२ कोई जन।।
1134 महलों से उतरी हे।।
150 माई री मने लियो गोविंदा मोल।।
      766 माटी के पुतले तूने।। 361।।
709 माटी में मिले माटी।। 342।।
733 मान जा ओ भूले राही मान जा।। 350।।
922 मानत नहीं मन मेरा।। 423।। 
981 मान रे मन मान मूर्ख।। 443।।
710 मानव किसका अभियान करें।। 342।।
640 मानस बन के आया जग में।।
447 माया को मजूर बंदो।।
1182 मायाजाल ने मोह लिया रे पिंजरे वाला तोता।। 527।
457 माया ठगनी हे देख लिए तेरे ठाठ।।
436 माया महाठगनी हम जानी 
456 माया मोहनी रूप धरे।।
मायावी संसार झमेला।।
442 माया हे रंग बादली।।
809 मायावी संसार झमेला।। 381।।
814 मालिक मेरा राजी से।।
1454 मिलता ना आत्मज्ञान गुरु के बिना।।
  71 मिलते नहीं है भगवान गुरु के बिना।।
249 मीठा है अविनाशी रामधन मीठा है।।
1480 मिल बिछड़ने की पीर।।649।।
356 मित्र तेरा कोई नहीं संगीयन में।।                     40
144 मींरा जोगन बन गई रे श्याम तेरी मस्ती में।।
          156 मीरा तेरी हो गई उम्र जवान।।
146 मीरा दीवानी हो गई रे मीरा मस्तानी।।
143 मीरा वीरागण हो गई रे।।
359 मुकदमा हो गया रे तुम कर लो एक वकील।।
713 मुखड़ा क्या देखे दर्पण में।। 343।।
  54 मुझ पर दया करो महाराज।।
846 मुझे क्या काम दुनिया से बिरहा का।। 394।।
848 मुझे मिल गया मन का मीत।। 396।।
            मुझे मिल गया मन का मीत गुरु नानक देव।।
263 मुझे है काम ईश्वर से।।
मुट्ठी भींच जगत में आया।।
1197 मुनिया पिंजरे वाली।। 532।।
            367 मूर्ख नर पाखंड छोड़ दे।।
504 मुसाफिर क्या सोवै अब जाग।।
849 मुसाफिर चले जाना चले जाना रे।। 396।।
528 मुसाफिर जागते रहना नगर में।।
519 मुसाफिर सोवे क्यों पांव पसार।।
        मूल भेद कुछ न्यारा।।
173 मैं तो ढूंढत डोलूँ हे।।
मैं नित कहूं समझाएं।। 339।।
798 मेरा किया भरम सब दूर।। 376।।
  24 मेरा कोई न सहारा बिन तेरे।।
889 मेरा तेरा मनवा भाई।। 413।।
152 मेरा दर्द न जाने कोई।।
1296 मेरा नाम कबीरा रेसाधो।।
                मेरा बिछड़ गया भरमार कोई मुझे।।
891 मेरा मन बानीया जी।। 413।।
878 मेरा मन मूर्खा भाई।। 409।।                        41
928 मेरा मन वैरागी हुआ री मेरी मां।। 425।।
951 मेरा मन सुकरम कर ले रे।। 433।।
258 मेरा रह गया राम मिटा रगड़ा।।
405 मेरा सतगुरु वैद्य सियाना।।
1258 मेरा साहब कब घर आवे।।
808 मेरा सुन ले वचन नर हितकारी।।
342 मेरा हीरा खो गया कचरा में।।
 128 मेरा हुआ गुरु से प्यार बधाई बाटूंगी।।
  67 मेरी गुरु के बिना लागे ना अखियां।।
1143 मेरी चुनरी के लागा दाग पिया।।
869 मेरी तेरी करके उमर खोदी सारी रे।। 406।।
871 मेरी तेरी करके उमर खोदी सारी रे।।२।। 407।।
856 मेरी धुन गगन में लागी।। 4 00।।
346 मेरी नजर में मोती आया है।।
1073 मेरी प्यारी सुरतिया हे।।
मेरी बात समझ में आई है सखी।।
164 मेरी लगती ना गुरु बिना अखियां।।
 133 मेरी वृंदावन ससुराल।।
1084 मेरी सूरत गगन में जाए रही।।
1093 मेरी सूरत बावली हे।।
1075 मेरी सूरत भजन में लागी।।
1105 मेरी सूरत सुहागन चाल जहां।।
           1077 मेरी सूरता प्यारी शब्द डोर चढ़ जा।।
1135 मेरे दिल का धोखा धो लें हे।।
867 मेरे पूरे गुरु ने पकड़ लिया मन।। 406।।
     मेरे पूरे गुरु ने मोह लिया।।
  34 मेरे बिछड़ गए दिलदार।।
939 मेरे मन अब तो संभाल के चाल।। 428।।         42
966 मेरे मन अब तो सुमर हरि नाम।। 438।।
205 मेरे मन बस गयो री।।
266 मेरे मन बस गयो रे सुंदर सदन कशोर।।
 187 मेरे मालिक बिना दर्द कलेजे होय।।
298 मेरे मिट गए सभी विकार।।
493 मेरे लग गए बाण सुरंगी हो।। 220।।
1457 मेरे सच्चे गुरु में ज्ञान की भांग।।
163 मेरे सतगुरु काट जंजीर।।
131 मेरे सतगुरु चेतन चोर।।
495 मेरे सतगुरु ने दे दिया मौका।। 220।।
  59 मेरे सतगुरु पकड़ी बांह।।
1140 मेरे सतगुरु है रंगरेज।।
1443 मेरे साधो भाई पारख है निज ज्ञान।।
153 मेरे सिर पर मटकी पाप की।।
1524 मेरे हंसा परदेसी एक दिन।। 667।।
1541 मेरे हंसा भाई यू होता है आत्मज्ञान।। 673।।
1497 मेरे हंस भाई सब जग भूल पाया।। 657।।
195 मेरे हिवरे में बस गए राम।।
1425 मैं अटल धाम का वासी।।
1326 मैं क्या जानू राम तेरा गोरख धंधा।।
581 मैं काल ने खा ली।।
                  मैं किसे समझाऊं यह जग अंधा।।
1229 मैं कैसे उतरु पार।।
1424 मैं चली पिया क देश।
1423 मैं जाऊंगा गुरु क देश।।
278 मैं तो इस विधि सुमिरन किन्हा।।
1425 मैं तो जाऊंगी पिया क देश।।
मैं तो ढूंढत डोलूं हे।।                                       43
252 मैं तो प्रभु तुम चरणों का दास।।
629 मैं तो माड़ी हो गई राम।।
मैं तो रमता जोगी राम।।
631 मैं तो हार गई मेरे राम।।
161 मैं थारी रंग राशि हो मीरा।।
   12 मैं थारे चरण का दास।।4।।
308 मैं दर्शन की प्यासी गरुजी।।
1431 मैं देखूं थारी नगरी अनोखी यगीराज।।
 189 मैं ना लड़ी मेरे पीया।।
मैं नित्य कहूं समझाएं छोड़ दे मेरा मेरी रे।।
491 मैं प्यासा पपिया हूं।।
             338  मैं पापन रही सोती।।
1313 मैं पारस चेतन आप हू।।
1358 मैं रमता जोगी राम।।
1158 मैली चादर ओढ़ के कैसे।।
300 मैं सत्संग के मां जांगी।।
282 में सत्संगी सबका संगी।।
13 मोको कहां ढूंढे बंदे।।
339 मोतिया बरसे रे साधु।।
459 मोह माया ने छोड़ क्रोध।।
458 मोह माया की नगरी को छोड़ के।।
               मोहे ऐसा सतगुरु भावे आत्मज्ञान रहे मतवाला।।
1459 मोहे दीजो ज्ञान अपार।।
968 मोहे लगन लगी गुरु पवन की।। 439।।
  95 यतन बिन मृगा ने खेत उजाडा।।
605 यमराज कहे दंडधारी।।
595 यम से बचना चाहे, कर सतगुरु से प्यार।।
551 यहां जम की चले हकवाई।।                          44
753 यहां से चला गया कोतवाल।। 357।।
              यही घड़ी यही बेला रे साधो।।
638 या कर्मों की रेखा टाली नाही टले।।
747 या काया कुटी निराली जमाने भर से।। 355।।
1155 या चादर पुरानी।।
845 या दुनिया ऊत कसूत।। 394।।
795 या दुनिया भरम ने खाई रे।। 375।।
1275 या धुन गगन में लागी।।
764 या नर देही बंदे फिर ना मिलेगी।। 361।।
1210 या प्रेम की गाड़ी आए गई।। 538।।
418 या मानस देही बार-बार नहीं आवे।।
1031 या माया उपजे बशुमार।। 463।।
  473 या माया कमा कमा धर ली।।
467 या माया जोर जमावे रे।।
156 या मीरा याद कर दिन रात।।
1402 या विधि मारो गोता।।
461 यह कैसी अद्भुत माया।।
838 यह जगत सराय भठियारे की।।
482 यह जग तासो का खेल।।
398 यह जग रोगिया रे।।
385 ये जग है एक मेला तेरा ज्यादा हंस अकेला।।
386 यह जग है एक मेल यहां से एक दिन।।
687 ये जिंदगी एक किराए का घर है।।334।।
685 ये जिंदगी धोखा दे जाएगी।।334।।
739 ये तन बालू केसा डेरा।। 353।।
938 यह तरने का घाट।। 428।।
570 ये दुनिया जाए कयाम।।
844 ये दुनिया नहीं जागीर किसी की।। 394।।
781 ये दुनिया भूल भरमानी।। 369।।                   45
857 यह दो दिन का जीवन तेरा।। 401।।
834 यह नासी शक्ल जमाना है।।
1304 यह निर्गुण की चर्चा है।।
656 यह पांच बड़े बलवान।।
        यह बीता समय अनमोल फिर नहीं आएगा।।
667 ये मनुष्य जन्म हर बार ना।।
843 यह संसार असार रे।। 393।।
801 ये संसार सराय मुसाफिर।। 377।।
             यह सब मतलब का संसार मत प्रेम करो काहू से।।
        1441 ये सब वाचक ज्ञान कहावे।।
777 ये सारे पाखंड फेल मचावे।।
383 ये सोदा सतभाय करो परभात रे।।
854 यो कितना बड़ा झमेला।। 399।।
1174 यो बांग्ला बना गगन के बीच।।
433 यो मोह माया का जाल।।
813 यो संसार पाप का बंधन।।
407 यो ही तो मैंने ले जाएगा।।
        रट ले हरि का नाम काया ना फिर मिले।।
1092 रट ले न नाम सुरता शब्द सार का।।
255 रट ले हरि का नाम री बैरी।।
रट ले हरि का नाम बंदे।।
1336 रमते से राम फकीर।।
1294 रस की भरी एक वाणी।।
1272 रस गगन गुफा में अजर झरे।।
422 रस टपके अमी रस बरसे।।
731 रहना ना अमर शरीर।। 350।।
1422 रहना नहीं देश विराना है।।
1222 रहबरी वीरा रे थाकी टोरडी।।                     46
1228 रहबरी वीरा रे थारी टोर्डी ने।।
1217 रहबरी विरा रे थाकी।।
145 राणा जी तेरे महलों में आग लगे।।
282 राधा स्वामी नाम समर मन मरा।।
962 राधा स्वामी२ बोल रे मना। 437।।
244 राम कहो आराम मिलेगा।।
243 राम गुण गाया नहीं आकर के।।
 109 राम तेरी रचना अचरज भारी।।
241 राम नाम का सुमिरन कर ले आगे आडो।।
1547 राम नाम की मौज गुरु से पाईए।। 680।।
            राम नाम धन खेती।।
231 राम नाम पूंजी पल्ले बांधो रे मना।।
584 राम नाम से तूने बंदे।।
              282 राम बुलावा आवे एक दिन।।
215 राम भजन की बरिया तेरी।।
397 राम भजो रे सुमिरन कर लो।।
564 राम रट ले रे तू प्राणी।।
           101 राम रसायन पाई जीन्होंने।।
563 राम सुमर राम उम्र बीत जाएगी।।
233 राम सुमर राम तेरे काम आएगा।।
912 रुक जा रे पापी मन रुक जा।। 419।।
1060 रुक जा रे भाई रुक जा।।
805 रे जोगिया यह जग है एक सराय।।
718 रे तने बेरा कोन्या।। 345।।
            943 रे दिल का गाफिल गफलत मत कर।। 430।।
355 रे दीवाने बंदे कौन है तेरा साथी।।
896 रे भूले मन वृक्षों की मति ले रे।। 415।।
101 रे मन मृगा खेत चरे।।
877 रे मन मान जा तन की।। 409।।
रे मन मुसाफिर निकलना पड़ेगा।।                        47
868 रे मन मूरखा भाई।। 406।।
879 रे मनमुर्खा जागा कौन सी घाटी।। 410।।
756 रे मन मुसाफिर निकलना पड़ेगा।। 358।।
रे मनवा अब तो संभाल के चाल।।
       रे मनवा क्यों।।
       रे मनवा तू धरले हरि का ध्यान भजन बिन नहीं गुजरा रे
864 रे मनवा राजा जाएगा कौन सी घाटी।। 405।।
1215 रेल चली रे भैया रेल चली।।
1205 रेल धर्म की चलती कोई बैठो आकर।। 536।।
500 रे संकट में साधु।।
1514 रे सुन बलधो वाले।। 663।।
1542 रे हंस भाई देश पूर्वले जाना।।
1516 रे हंस भाई हो जा न मस्त दीवाना।। 664।।
903 रोवेगा लोभी तक जाएंगे पोरुष तेरे।। 417।।
1316 रोवे नीर भरन वाली।।
502 रोवै हिरनी हे मालिक।।
606 लख चौरासी फिर भटकता 
973 लगन की चोट भारी है।। 440।।
982 लगन तुमसे लगा बैठे।। 444।।
          लगन बिन कोई ना जागे रे।।
983 लगन बिन जागे ना निर्मोही।।
979 लगन म्हारे लगी हो पायो निज नाम।। 442।।
975 लगन लगाए फकीर तन में लागे।। 441।।
978 लगन लगी थारे नाम की।। 442।।
1017 लगा ले प्रेम ईश्वर से अगर तुम मोक्ष।। 458।।
  60 लागा रहीए प्रेमी मेरे भाई रे।।
768 लाई रे तन मन धन बाजी।। 362।।
297 ला के फुर्सत दो घडी।।
लाखों सर दे रख अब तक।।                                48
972 लागी कहे जग सारा।। 440।।
980 लागी का मार्ग और है।। 443।।
192 लागी थारे पाया राम।।
971 लागी रे साधु नाम की फेरी।। 440।।
295 लागे ना सत्संग प्यारा।।
430लाडो मेंडकी हे तु तो पानी।।
            लाले प्रीत गुरु से भाई।।
661 लिए काट जिसे बो के आया।।
662 लिए भोग जिसे करके चला।।
         लिया दिया सब चुका दिया है।।
1430 लूटा लूटा हे शहर भटियारी।।
858 ले के जग से बुराई मत जाना रे।। 402।।
  48 ले गुरु का नाम बंदे।।
475 ले जोड़ नाम की माया।।
956 ले परमपिता का नाम बावले।। 434।।
1218 ले ले टिकट नाम की भाई।।
1293 ले ले न मुजरा मेरा हो गुरु जी।।
406 ले लो रे नाम दवाई।।
900 वश में कर ले मन शैतान को।। 415।।
279वह सुमिरन एक न्यारा अरे साधो भाई।।
514 वा घर जाइए हे निद्रा।।
        वा घर कभी ना जाना जी।।
936 वा दिन की कुछ शुद्ध कर।। 427।।
184 विरह पपया बोलन लगा।।
655 विषयों में फंस कर बंदे।।
1225 वे नर हुए नदी के पार।।
409 वैद्य मरहम का पा गया हे।।
1243 वो घर सबसे न्यारा।।                                49
1406 वो बेगमपुर कैसा है।।
1061 शब्द चढ़ देखो रे भाई।।
1470  झड़ लागे हे।।
1037 शब्द तलवार है भाई साधु।। 465।।
1040 शब्द तलवार है भाई साधो।।२।। 466।।
1038 शब्द तेरा दर्द अगूठा रे।। 465।।
1042 शब्द तेरी सार कोई कोई जाने।। 466।।
1058 शब्द धुन सुन ले रे भाई।।
1041 शब्द बनी तलवार गुरु के सत्संग में।। 466।।
1047 शब्द मत छोडिया रे।।
1044 शब्द रे तेरी बिरले ने परख करी।। 467।।
1054 शब्द हमारा सत्य है।।
1331 श्याम मैं बादल देख डरी।।
1435 शिखर में देश हमारा है।।
639 शुभ कर्म कर सुख मिलेगा।।
स्वास का पंछी बोले रे।।
1529 सकल हंस में राम तुम्हारा।। 669।।
 182 सखी री पड़ी अंध के कूप।।
162 सखी री म्हारे जागे पूर्वले भाग।।
177 सखी री मैं कर सतगुरु का भेष।।
589 सखी री मैं दे दूं झुकते तोल।।
176 सखी हे मैं रही पीहर में घूम।।
1149 सजन घर कैसे जाऊं री।।
1009 सजन यह प्रेम की घाटी निभाओ तो।। 454।।
168 सजनी घट के पर्दे खोल।
1147 सत्य के धनी मेरी रंग दे चुनरिया।।
1307 सत्य के शब्द से धरण आकाश है।।                 50
276 सत्य नाम का सुमिरन करके।।
789 सतगुरु बिन घोर अंधेरा।। 373।।
1377 सतगुरु अलख लखाया साधु जिसमें।।
1312 सतगुरु कबीर की वाणी।।
1418 सतगुरु का देश निराला मैंने देखा।।
  98 सतगुरु के बिना कटते ना कर्म क्लेश।।
  87 सतगुरु के बिना कौन रास्ता खोले।।
  86 सतगुरु के बिना कौन है तेरा साथी।।
  88 सतगुरु के बिना भरम मिटावे ना कोई।।
  85 सतगुरु के बिना मार्ग कौन बतावे।।
  89 सतगुरु के बिना राह ना पाव कोई।।
108 सतगुरु के भजन में लगे रहना।।
    48 सतगुरु खोजो री प्यारी।।
   78 सतगुरु जी महाराज मोपे साइ रंग डाला।।
 166 सतगुरु तुमसे कह रही हूं मैं।।
            सतगुरु तेरा कर ले बेरा।।
    67 सतगुरु तेरे चरणों की धूल जो मिल जाए।।
1018 सतगुरु तो तेरे घट में बैठा क्यों भटकता।। 458।।
307 सतगुरु दर्शन दो चित चोर।।
 492 सतगुरु ने मारा तीर री मेरे।।
1493 सतगुरु ने वह दिया हेला रे।। 654।।
1455 सतगुरु पूर्ण ज्ञान तुम्हारा।।
    72 सतगुरु पूजिए भाई नहीं पत्थर से लाभ।।
  637 सतगुरु पूरा जो मिले।।
1381 सतगुरु ब्रह्म लखाया साधु।।
1452 सतगुरु बांटे सै पुड़िया ज्ञान की।।
  76 सतगुरु बिन घोर अंधेरा।।
1239 सतगुरु भवसागर डर भारी।।
सतगुरु म्हारे ने दिनहीं है ज्ञान जड़ी।।
1495 सतगुरु मिलने चलो हेली।। 655।।                   51
984 सतगुरु मिले हमारे सब दुख मिट गए।। 445।।
1309 सतगुरु मेरा मरहमी।।
  41 सतगुरु मैं तेरी पतंग।।
1551 सतगुरु शरण में आए राम गुण गाइए।। 681।।
1239 सतनाम को छोड़कर बंदे हो लिया।।
  46 सतनाम सतनाम सतनाम बोल।।
284 सत्संग करत बहुत दिन बीते।।
267 सत्संग करने से बहुत घने हुए पार।।
              सत्संग के में चलिए सुरता।।
              सत्संग गंग की धार में मलमल न्हाई हे 
283 सत्संग गंगा की धार में कोई नहाएगा।।
304 सत्संगति एक अमर जड़ी है।।
303 सतसंगत जग सार साधु।।
286 सत्संग नाम की गंगा है।।
सत्संग में आकर पापी पार हो जाते।।
1107 सत्संग में सुरता चाल तू अपनी।।
        1104 सत्संग में सूरता चाल।।
294 सत्संग वह गंगा है जिसमें जो नहाते हैतो।।
289 सत्संग सा तीर्थ कोई नहीं।।
282 सत्संगी जग सारा रे साधु भाई।।
1476 सदा रहूंगी सत्संग मे।।
 108 सदा शरण रखो गुरुदेव बंदी छोड़।।
454 संग चले सोई धन है साधु।।
269 संगति कर ले गुरुदेव की।।
1401 संगत तो कर ले साध की।।
478 सांग ना तेरे माल खजाना जाएगा।।
1375 संत का होना मुश्किल है।।
1552 संत समागम होय वहां नित जाइए।। 682।।
1555 संत सेन को समझ।। 683।।                       52
1365 संतों का देश निराला है क्या जाने।।
1363 संतों का देश निराला बिन ज्योति।।
1369 संतों की शरण में आजा।।
1367 संतों के आगे कौन चीज बादशाही।।
1370 संतो के संग लाग रे।।
1373 संतो घर में झगड़ा भारी।।
529 संतो जागत नींद ना कीजिए।।
1366 संतो देखत जग बोराणा।।
1378 संतो सतगुरु अलख लखाया।।
1361 संतो शहज समाधि भली।।
1384 संतो सो सतगुरु मोहे भावे।।
594 संदेश आ गया यम का।।
1341 संदेश संत फकीरों का।।
940 सफा ना देखा दिल का।। 429।।
565 सब उम्र बीत गई धोखे में।।
615 सब खड़े देखते रह जाएंगे।।
641 सब खेल है कर्मों के।।
793 सब जग भूल भरम में जाई।। 375।।
515 सब दिन धंधे में खोया।।
760 सबर बड़ा हथियार।। 359।।    
सब रोगों की एक दवाई।।
576 सब लिए काल ने डंस रे।। 
1011 सबसे ऊंची प्रेम सगाई।। 455।।
516 सब सौवें नगरिया के लोग।।
समझ कर देख ले प्यार मोक्ष का पथ है न्यारा।।
1255 समझ घर आजा रे।।
953 समझ मन बावला।। 433।।                         53
957 समझ ले तेरी कौन चीज की आशा।। 435।।
921 समझ समझ गुण गाओ रे प्राणी।। 422।।
370 समझ सौदा कर चलो रे।।
1557 समर्थ दीनदयाल कृपा मौके कीजिए।। 584।।
210 समर्थ साहब दया करो मेरा।।
1536 सरगुन मरण जीवन वाली संसय।। 671।।
              साइ की नगरिया जाना है रे बंदे।।
511 साइ के नाम बिना नहीं मिस्तारा।।
1398साधु अवगत लिखा ना जाए।।
1394 साधु एक आप जग मांही।।
574 साधु कल ने जाल फलाया।।
1298 साधु कीड़ी ने हाथी जाया।।
1393 साधु चुप का है विस्तारा।।
               साधो जग में मानस कोई ना देखा।।
1392 साधो हरिजन होते हर के कलेजे की कोर।।
1395 साधु भजो नाम अविनाशी।।
1261साधु भाई गगन घटा झुक आया।।
375 साधु भाई सतगुरु है व्यापारी।।
1350 साधु यह तन ठाठ तंबूरे का।।
1396 साधु वह जानो मन पर जो काबू पाले।।
1055 साधु शब्द साधना कीजे 
1397 साधु सुर नर मुनि भरमावे।।
318 साधु हम अमली निज नाम के
1391 साधु है मुर्दों का देश एक।।
942 साफ कर दिल के शीशे को।। 429।।
627 सामान सो वर्ष का।।
603 सामान सो वर्ष का।।                                   54
399 सारा जग रोगिया रे।।
632 सारी उमर गई धंधे में।।
0005 सारे तीर्थ धाम आपके।।2।।
1202 सांस का पंछी बोले रे।। 534।।
               सासरे में कोन्या रहूं।।
630 सासु जी ताना मारे।।
1310 साहब कबीर आ जा।।
645 साहब तेरा भेद न जाने कोई।।
1150 साहब पूछेंगे चुनडिया तेरी।।
              647 साहब साहब सब कहे।।
669 सीखा करो भाई गम खाने की बात।।३२७।।
203 सुख के सागर प्यार हमारी शुद्ध लेना।।
1523 सुख सागर में आए के मत।। 667।।
1257 सुध बुध भूल गया उस घर की।।
1200 सुन गंगाराम पिंजरा पुराना।। 534।।
1089 सुन म्हारी सूरता गुरु के वचन अनमोल।।
                   सुन लो चतुर सुजान नुगरे ना रहना।।
1219 सुन्न महल में जहाज पिया का।।
1061 सुन ले शब्द लहरी।।
1554 सुन सतगुरु की तान।। 682।।
1131 सुन सूरत मछलियां हे।।
1065 सुन सूरत सयानी हे।।
1502 सुन हंसा भाई हंस गति में होना।। 659।।
1500 सुन हंसा भाई हंस रूप था।। 658।।
1445 सुनाऊ तने ब्रह्म ज्ञान को लटको।।
1446 सुना है हमने गुरु अपने का ज्ञान।।
961 सुनिए मन चंचल रे।। 436।।
121 सुनी थी हमने गुरु आवन की आवाज।।49।।
1226 सुमर सुमनर उत्तरों पार।।         
             सुमिरन में सुख भारी  अब देखा हमने।।                  55
1110 सूरत अपने घर चालो हे।।
1097 सूरत तूं कौन कहां से आई।।
1118 सूरत तूं मन से यारी तोड़।।
1067 सूरत निज नाम से अटकी है।।
1068 सूरत बंजारन प्यारी हे।।
1094 सूरत मेरी साहब से राजी।।
1076 सूरत सुहागिन गुण भरी।।
1074 सूरत सुहागन नार तू सत्संग में आईए।।
      1081 सूरत सुहागन नार हे उठ लग भजन में।।
1071 सूरत सुहागिन सुन मेरी प्यारी।।
1129 सूरत सुहागन हे बड़भागी।।
             1152 सूरत सुहागन हे बड़ भागन।।
1127 सुरता तेरा तेरे बिना।।
1125 सुरता प्यारी चाल जड़े।।
1101 सूरता प्यारी तू देश दीवाने चाल।।
         1151 सूरता पीले न शब्द की शाही शराब।।
1122 सुरता भूल भरम दे त्याग।।
1466 सुरता हिलकी दे दे रोवेगी।।
         1095 सूरता हो ले भजन की लार।।
1088 सूरता होले शब्द की गैल।।
1124 सुरतिया झूल रही।।
       1353 सुल्ताना बलख बुखारे दा।।
184 सुहागिन में तो हो गई मेरा जिस दिन।।
937 सेवा कर ले गुरु की भूले मनवा।। 428।।
1252 सै कितने दिन का डेरा।।
सै जीभ जुल्म का जोर।।
 137 सैंया जी मैं लूट ली वैराग ने।।                          56
701 सोच ले न कौन है तेरा।। 339।।
583 सोच समझ के चला।।
852 सोचो जरा तुम करो विचार।। 398।।
545 सोता क्यों है जाग मुसाफिर।।
सौदा कर चल रे भाई।।
360 सौदा कर सो जाने रे।।
506 सोने वाले जाग जरा संसार।।
538 सोने वाले उठ जाग रे तेरी गांठ कटे से।।
1389 सोहन सोहन बोलो साधु।।
1203 सोहन सोहन सदा बोल री मैंना।।
1192 सोहन सोहन सदा बोल रे तोता।। 531।।
377 हटडी छोड़ चला बंजारा।।
456 हट जाओ माया पापनी।।
1499। हंसा कहां से आया रे।। 658।।
1515 हंसा कौन लोक के वासी।। 664।।
1535 हंसा गहो शब्द टकसार।।
1512 हंसा चाल बसों उस देश।। 662।।
1498 हंसा निकल गया पिंजरे से।। 658।।
1506 हंसा परम गुरु जी के देश चलो।। 660।।
1519 हंसा यह पिंजरा नहीं तेरा।। 666।।
1503 हंसा हंस मिले सुख होई।। 659।।
1527 हंसों का एक देश है।। 668।।
1362 हम उन संतों के दास।।
618 हमको उधावें चदरिया।।
819 हम घूमने आए जी दुनिया की करने।।
  23 हमने गुरुजी मिलन को घनो चाव।।
1414 हमने देखा अजब नजारा।।                          57
11089 हम पंछी परदेसी मुसाफिर।। 530।।
1415 हम परदेसी लोग फिर नहीं आएंगे।।
762 हम बसे चाम के धाम।। 360।।
364 हम सत्य नाम व्यापारी।।
368 हमसे कौन बड़ा परिवारी।।
1511 हम हंसा उस ताल के।। 662।।
हम हंसा उस देश के।।
1416 हम हैं मस्त दीवानी लोग।।
361 हम हैं सत्य नाम व्यापारी।।
349 हमारा कोई मीत ना वेरी।।
  25 हमारा दाता अपने ही उर में पाया।।
           863 हमारा पथ है बांका।। 404।।
1168 हमें कोई कातन दे सिखाएं।।
  190 हृदय बीच हरि है साधु।।
1484 हरदम पृभी नहा म्हारी हेली।। 651।।
783 हरदम याद करो सतगुरु ने।। 371।।
259 हर में हरी को देखा।।
229 हरि ओम के भजन बिना तूं।।
598 हरि के घर से आवे बुलावा।।
1420 हरी के बिना रे साधो सूना पड़ा यह देश।।
226 हरि के भजन कर ले रे  दरसेगा नूर 
1354 हरिजन होते हरि के कलेजे की कोर।।
251 हरी तेरो अजब निरालो काम।।
316 हरि दर्शन कि मैं प्यासी रे।।
111 हरि नाम का सुमिरन करले क्यों रहा में।।
253 हरि नाम सुमर मन मेरा।।
678 हरिनाम सुमर सुख धाम।।331।।                    58
200 हरि प्रीतम से प्रीत लगा के।।
              हरि बिन कौन सहाई मन का।।
723 हरि बिना यहां नहीं कोई तेरा।। 349।।
हरि भजन बिना सुख नाहीं रे।।
683 हरि भज ले जन्म सुधर जाएगा।। 333।।
216 हरी भज हरी भज हीरा।।
423 हरि रस ऐसा रे पीने से अमर।।
419 हरि रस बूटी पी ले।।
353 हरि सच्चे मन के मिता।।
815 हरी से नेह लगा ले बाबू।।
930 हरी हर भजता नाहि रे।। 425।।
212 हरी हर भज ले बारंबार।।
650 हरे राम मुख बोल संकट।।
 477 हाय हाय ये माया जोड़ी।।
1334 हाल फकीरी घट के अंदर।।
501 हिरनी या हर ने टेरन।।
337 हीरा लेजा वही भुनाइए।।  
872 हुआ मन गुरु भक्ति में लीन।। 407।।
182 हुई मेहर गुरु की मरने लगा परिवार।।
773 हुई रंग महल में चोरी।।
       1121 हे क्यों ना सतगुरु ने रटती।।
1387 हे जी है जी साधु कैसे यह विश्व बनाया।।
1053 हे जी हे जी साधो सर शब्द हम पाया।।
1486 हे तने मानसरोवर जाना हे।। 652।।
435 हे तू पांच ठगो ने ठगली।।
1069 हे तु सतगुरु साबुन लाए।।
1072 हे तूं हो ले सुरता त्यार।।
393 हे बंजारन तेरा छोड़ चला बंजारा।।
643 हे भगवान तेरी माया का।।                            59
644 हे भगवान पता ना पाता।।
440 हे माया ठगनी हे।।
157 हे मीरा हम हो जाएंगे बदनाम।।
1103 हे मेरी सूरत सुहागिन नार ।।
517 हे मैं नींद भरम की सोऊं।।
1078 हे री मेरे पांच लगे लगवाल।। 480।।
1079हे री मेरे हरि मिलन की लगन।।
1080 हे री मेरे हरि मिलन की लगन।।२।।
437 हे री हे री ठगनी यो कैसा खेल रचाया।।
1487 हेली छोड़ दे वीराना देश।।652।।
1469हेली तूं कौन कहां से आई।।
             हेली मान सत्य वचन मेरा।।
1489 हेली हमने नींद ना आवे हे।। 653।।
179 हे सखी जाना है ससुराल मोह।।
1115 हे सुरता आओ हे सत्संग में।।
1111 हे सुरता क्यों गई राम ने भूल।।
1106  सुरता चाल देख दीवाना देश।।
       1116 हे सुरता चाल बसों उस देश।।
1102 हे सुरता तुम करो हरी का ध्यान।।
1114 हे सुरता तेरे सतगुरु दे रहे बोल।।
1098 हे सूरता दिए नींद नशे ने त्याग।।
1113 हे  सूरता यो झूठा जग का खेल।।
1112 हे सुरता ले चमक चुनरी ओढ़।।
1130 हे सुरता होले हे तैयार।।
926 है कोई मन मूर्ख समझावे।। 424।।
424 है कोई रसिया महल का।।
990 है तेरा तुझ मांही देख ले।। 447।।                   60
1528 है संत समागम सार।। 669।।
1259 हो गगन मे रे अलख पुरुष।।
1181 हो गया पिंजरा पुराना।। 627।।
1213 हो जाओ तैयार गाड़ी।।
717 होता क्यों ना गरीब रे।।345
हो तेरे कोन्या वश का रोग
804.हो मतलब में फंसा जहांन।।379।।
959 हो मन मेरे दिए छोड़ कुबद अभिमांन।। 435।।
                     1125 होले सुरता त्यार
1335 होय होय के मोज फकीरा दी।।
 488 होली के खेल में।।
             होले सुरता त्यार इब तूं क्यों।।
204 हो विदेशी प्यारे मेरी अखियां जोहै बाट।।
1558 हो संतो का सत्संग वहां नित जाइए।। 684।।
1542 हो हंसा भाई देश पूर्वले जाना।। 674।।
 1461 ज्ञान दे दीन्हा गुरुदेव ने।। 
  91 ज्ञान बिना मनुष्य बने हैं ढोर।।1568।।     ।।1697।।


हम रोज लगावे सट्टा तुम कर लो ना धन इकट्ठा।।
हम जुए के जवारी हम सट्टे के खिलाड़ी।।
सतगुरु अपने के सनमुख रहना।।
शब्द में रमें रहना लगी है राम में लो।।
लगन कर टोह लियो भाई।।
कोई नहीं घर तेरा रे साधु भाई।।


              984 से आगे।।

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