*1557. समर्थ दीनदयाल कृपा मो पे कीजिए।।684।।

     समर्थ दीनदयाल कृपा मो पे कीजिए।
     मांगू दोऊ कर जोड़ नाम बक्स दीजिए।।
भक्ति दान मोहे दीजिए, और कुछ ना चाहूं।
प्रेम प्रतीत आधार और सुख ना लहू।
     मंगल मूल आधार सफल दर चाहूं
     दर्शन चरण आधार प्रेम चित् लावहुँ ।।
मैं अती नींच निकाम सूरत मेरी ना चढ़ी।
अब के लिए उभर शीश चरणों धरी।।
    पदम दास पद सार, वेद दर्शाइए। 
    लीला चरण विलास, चित् ठहराइए।।

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