1501 चल हंसा उसे देश समंद विच मोती है।।

          चल हंसा उस देश समंद विचमोती है।।
चल हंसा वहदेश निराला बिन शशि भान रहे उजाला।
         लगे ना काल की चोट जगामग ज्योति है।
करु चलन की जब तैयारी, दुविधा जाल फंसे अति भारी।
        हिम्मत कर पग धरू हंसिनी रोती है।।
चल पड़ा जब दुविधा छूटी पिछली प्रीत कुटुंब से टूटी।
        सत्रह उड़ गई पांच धरण में सोती हैं।।
जय किया अमरपुर वासा, फिर ना रही जीने की आशा ।
        धरी कबीर मौत के सिर पर जुती है।।

Comments

Popular posts from this blog

आत्मज्ञान।Enlightenment

*78. सतगुरु जी महाराज मो पर साईं रंग डाला।।27

कभी टेलीफोन बूथ पर काम करता था , आज है। Comedy King है। || KAPIL SHARMA BIO-GRAPHY ||TKSS