1498। हंसा निकल गया पिंजरे से खाली पड़ी रही तस्वीर।।
हंसा निकल गया पिंजरे से खाली पड़ी रही तस्वीर।।
यम के दूत लेन ने आवें तनिक धरे ना धीर।
मार के सोटा प्राण काढ ले बहे नयन से नीर।।
बहुत मनाए देई देवता बहुत मनाए पीर।
अंत समय कोई काम ना आवे जाना पड़े आखिर।।
कोई रोवे कोई तुझे नह, कोय उढावे चीर।
चार जने रल मता उपाया, ले गए मरघट तीर।।
भाग्य कर्म की कोई न जाने संग ना चले शरीर।
जा जंगलमें डेरा ला दिया, कह गए दास कबीर।।
Comments
Post a Comment