1468 सदा रहूंगी सत्संग में हेली जाऊंगी गुरु के देश।।
सदा रहूंगी सत्संग में हेली री, जाऊंगी गुरु के देश।।
अपना पिया निर्धन भला हे, चाहे काला कुश्टी हो।
वाहे की सेज पधारिया हेली री, भला कहे सब लोग।।
अपना तो कालर भला हेली री निपजो चाहे खारी नून।
देख वीराने डहर ने हेली री, मत ललचावे जी।।
पीर पैगंबर झूठ है हेली री ,झूठे तीर्गुण लोक।
बैठ सभामें कड़वा बोलना हेली री बुरा कहे सबलोग।
मीरा ने सतगुरु मिला हेलीरी गुरु मिला रविदास।
बांह पकड़ गुरु ले गया नाम धनी के पास।।
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