1461 ऐसा ज्ञान हमारा साधो ऐसा ज्ञान हमारा जी।।

       ऐसा ज्ञान हमारा साधो ,ऐसा ज्ञान हमारा जी।।
जड़ चेतन दो वस्तु जगत में, चेतन मूल आधारा रे।
चेतन से सब जग उपजत है नहीं चेतन से न्यारा रे
      ईश्वर अंश जीव अविनाशी नहीं कुछ भेद विचारा रे ।
     सिंधु बिंदु सुरत दीपक में, एक ही वस्तु निहारा रे।।
पशु पक्षी नर सब जीवन में पूर्ण ब्रह्म अपारा रे।
ऊंच नीच जग भेद मिटायो, सब सामान निर्धारा रे।।
     त्याग ग्रहण कुछ कर्तव्य नहीं, संशय सकल विचारा रे।
     ब्रह्मानंद रूप सब भासे,यह संसार पसारा रे।।

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