1450 गुरु ज्ञान की हो बरसात आपके वचनों से।।
गुरु ज्ञान की हो बरसात आपके वचनों से।
अमृत बरसे दिन रात आपके वचनों से।।
सत्य का दर्पण दिखा दिया है, नींद से तुझे जगा के।
हे आचार्य मेरी आंखों में, देखा जब मुस्कुरा के।
मैं समझ गया हर बात।।
सच कहता हूं आपसे नाता जोड़ा मैंने जब से।
लोभ मोह छल कपट वासना, पास ना आए तब से।
हो शुरू मेरी प्रभात।।
बूंद था मैं पानी की आपने सागर बना दिया।।
खाली मन को ज्ञान का गुरुवर गागर बना दिया।।
मिलता है प्रभु का साथ।।
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