*1559 तुम साहिब करतार हो हम बंदी तेरे।।684।।
तुम साहिब करतार हो हम बंदी तेरे।
रोम रोम गुन्हेगार है बख्सो हरि मेरे।।
दसों द्वारे मैल है सब गंदम गंदा।
उत्तम थारो नाम है बिसरे सोई अंधा।।
गुण तज के अवगुण किए तुम सब पहचानो।
तुम से कहां छुपाईये तुम घट की जानो।।
रहम करो रहमान तुम यह दास तुम्हारो।
भक्ति पदार्थ दीजिए आवागमन निवारों।।
गुरु सुखदेव उबार लो अब मेहर करीजे।
चरण ही दास गरीब को, अपनों कर लीजे।।
Comments
Post a Comment