*1465 निरंजन गुरु का ज्ञान सुन लो नर नार 232।।
निरंजन गुरु का ज्ञान, सुनो नर नार।।
क्या खोजे वन परवत कंदरा क्या खोजें जलवार।
तेरे तन में देव विराजे उल्टा सूरत संसार।।
पांच तत्वों की है यह काया चेतन जीव आधार।
ईश्वर अंश जीव अविनाशी सत चित रूप विचार।।
सुर नर मानव पशु पक्षी सब विश्व समान निहार।।
अंदर बाहर घट घट पूरण एक ब्रह्म निर्धार।।
ऊंच-नीच सब भेद मिटाओ द्वैतभाव सब टार।
ब्रह्मानंद सत्संगति स दृढ़ निश्चय मन धार।।
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