*1453. फीका लागे रे सिपाही सरदार ज्ञान तलवार बिना।।

फीका लागे रे सिपाही सरदार ज्ञान तलवार बिना।।
          काया गढ़ के बीच में रे भली बजी तलवार।
          सूरा छाती दे रहे रे, कायर भाग भाग जाए।।
सुरा के संग राम है रे, कायर जूझे आप।
ना मारे ना मार सके रे मन ही मन पछताए।।
         सूरा सोई सराहीए जो लड़े धनीके हेत।
         शीश काट धरनी धरण कभी ना छोड़े के।।
कहने के सुरा घने रे, सब बांधे हथियार।
वहां तो कोई बिरला डटे रे, बाज रही तलवार।।
         यमराज जाने दूत पथाए ले गए मस्क चढ़ाए।
         कहे कबीर सुनोभाई साधो, सीधा यमपुर जाए।।

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