*1529. सकल हंस में राम हमारा।।669।। गुरु नानक।।
669
सकल हंस में राम हमारा राम बिना कोई धाम नहीं।अखंड ब्रम्हांड ज्योत वसा राम को समरो दजा नहीं।
तीन गुणों पर तेज हमारा पांच तत्व में ज्योति जगी।।
जिनका उजाला चौदह, लोक में सूरत डोर या स्वास चढ़ी।।
नाभि कमल से निर्तख लेना हरदे कमल में फिरे मनी।
हीरा मोती लाल जवारा परम पदार्थ कोश आंटी।
आधा मोती निरखत लेना काम धनी से म्हारी धनी लगी।।
हरिजन हो तो घाटी में गैरों बाहर शहर में भटको मत।
गुरु प्रताप वरने नानक शाह भीतर यह बोले दूजा नहीं।।
Comments
Post a Comment