*644 पिया मिलन का योग से हमने कौन मिलावे।।644।।घीसा।।
644
पिया मिलन का योग से हमने कौन मिलावे।।मंदिर जाऊं रोज में री करूं पिया की खोज में।
दिन कट जा मेरा मोज में री मने रेन सतावे।।
दो घड़ी में सूती रे आंखें खुले जब रोती रे।
कुंज गली में टोहती रे पिया हाथ नहीं आवे।।
देख पिया ना हंसा सरे ना जानू कित जाए फंसा रे।
ज्ञान का दीपक ना चसा री रो रो उदम मचावे।।
गगन मंडल बंगाला पड़ा री गुरु ले ताला खड़ा री।
देख अचंभा हो रहा जी सुन सुन अचरज आवे।।
हद बेहद दोनों खड़ी री उनके वश की मैं ना रही री।
घीसा संत ने साध दई री, जीता दास गुण गावे।।
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