*1477. हेली हमने नींद ना आवे हे।।653।। सुखदेव।।
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हेली हमने नींद ना आवे हे, सोवे है नगरिया सारी।।पिया मिलन की आज हमने लगन लगाई है।।
लगन मगन हो के, विरिहन जगाई है।
आगे सुर नर मुनि जन बैठे हमने सूरत ठहराई है।।
बिन दीपक बिन बाती तेल बिना ज्योत जगाई है।
सुंदर-मूंदर दरस गुरुओं के मारे हुई रोशनाई हैं।।
सतगुरु हम साथ लागी गगन मंडल में ध्याइ है।
गगन मंडल में सेज पिया की बड़ी मुश्किल से पाई है।।
सोहम सोहम बोली प्यारी हम ने आवाज लगाई है।
सूरत वहां जा मगन हो बैठी सुखमणि सेज बिछाई है।।
शत-शत आनंद रूप गुरु का शोभा वर्णी ना जाई है।
कहे सुखदेव सुनो मारी सुरती, पिया में समाई है।।
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