*667 देश वीराना रे हंसा देश वीराना।।667।।
667
देश विराना रे हंसा देश विराना। नहीं है ठिकाना अपना देश बेगाना।।
जितने दिन का है दाना पानी उतने दिन अरे राजा रानी।
आखिर को ना कुछ आनी जानी, वापस जाना रे हनसा।।
सोच समझ के तू काट बावले, मन की झाल ले डांट बावले।
दुनियादारी है हॉट बावले मोल चुकाना रे हंसा।।
मत ना राख तुम रूख नाटन में, सुख मिलेगा सुख बाटन में। लाभ रहेगा रे हंस काटन में, हो जा स्याना रे हंसा।।
रीत रीत से ने जीत जगत ने भूलना मत ना रे अपने अगत ने ओम छोड़ तू लालच लत ने ना रे उलहाना रे हंसा
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