*1469. हे हेली तूं कौन कहां से आई।।645।।
645
हे तू कौन कहां से आई।।
किसने तेरा करा आरता, किसने घाली शाही।।
कौन देश घर गाम तुम्हारा कौन पिता की जाई।
कितने तेरे गोती नाती कितने तेरे भाई।।
पीछे का कोई पता नहीं है, बतलाते शरमाई।
जो कोई घर बाबुल का भूले, होती बड़ी दुखदाई।।
सतगुरु राम सिंह जी पूछ रहे तू किसकी आई खंदाई।
ताराचंद को भी पता नहीं था सतगुरु ने समझाई।।
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