*646 पिया के फिक्र में भयी मैं दीवानी।।646।।

                                  646
पिया के फिक्र में भई मैं दीवानी, नैन गंवाए रो रोय।।

बालापन बच्चों सङ्ग खेली, भरी जवानी गई सोय।
के मुख ले के मिलूँ मैं पीव से, रंग रूप दिया खोय।।

बालकपन की चमक चुनडिया, दिन-२मैली होय।
मेरा मन करै मैं फेर रंगा लूँ, फेर इसा ना होय।।

चन्दन चौकी हाथ जल झारी, पिया का न्हाण संजोय।
ऊंची अटारी लाल किवाड़ी, पिया जी का पौढ़न होय।।

गहरी नदियां नाव पुरानी, तरना किस विध होय।
सखी सहेली पार उतर गई, मैं पापन गई सोय।।

इसे देश का सखियों बसना छोड़ो, लोग तकें सैं मोय।
मीराबाई पार उतर गई, फेर जन्म नहीं होय।।
 

Comments

Popular posts from this blog

*165. तेरा कुंज गली में भगवान।। 65

*432 हे री ठगनी कैसा खेल रचाया।।185।।

*106. गुरु बिन कौन सहाई नरक में गुरु बिन कौन सहाई 35